कोडिंग मास्टर बनना है तो ज्वाइन कीजिए 'प्रैक्टिकल कोडिंग'
- 'प्रैक्टिकल कोडिंग' के जरिए छात्रों को कोडिंग सिखा रहे हैं बासवराज हंमपाली - ऑनलाइन क्लासिज के जरिए पढ़ाया जाता है छात्रों को- भारत के अलावा बाकी देश के छात्रों को पढ़ाना है मकसद
पिछले 1 दशक में जिस रफ्तार से इंटरनेट और स्मार्टफोन के क्षेत्र में क्रांति देखने को मिली है उसने युवाओं के लिए कई नए क्षेत्र खोल दिये हैं। सूचना प्रोद्योगिकी में आए इस बदलाव का असर हम अपनी जिंदगी में भी महसूस कर सकते हैं आज हमें कोई भी छोटी बड़ी चीज के बारे में जानकारी चाहिए होती है तो कुछ ही पलों में हम अपने स्मार्ट फोन या कंप्यूटर और इंटरनेट के जरिए प्राप्त कर लेते हैं। सूचना प्रोद्योगिकी में आए इस बूम के कारण युवाओं का इस क्षेत्र की तरफ काफी रुझान हुआ है वे अब इस क्षेत्र से जुड़कर अपने कैरियर को एक नया आयाम देना चाहते हैं।
आजकल युवा 9 से 5 की नौकरी से अलग कुछ अपना ही काम करना चाहते हैं वे नौकरी तलाश नहीं बल्कि दूसरों को नौकरी देना चाहते हैं। इसी कारण स्टार्टअप्स की जैसे बाढ़ ही आ गई है इनमे से कुछ स्टार्टअप तो बहुत अच्छा भी कर रहीं हैं और ये अपने माध्यम से खुद को और देश को फायदा भी पहुंचा रही हैं। कई नई स्टार्टअप्स तो बहुत कम समय में काफी नाम भी कमा चुकी हैं और इतने कम समय में ही लोग इनपर भरोसा भी करने लगे हैं। इन स्टार्टअप्स के पीछे अधिकांश युवा शक्ति है। बहुत कम फंड से युवाओं ने इनकी शुरूआत की और आज बहुत अच्छा कमा रहे हैं। इन सभी स्टार्टअप्स में सबसे कॉमन चीज ये है कि इनके मालिकों ने अपने प्रोडक्ट्स व सर्विसिज को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए मोबाइल, इंटरनेट और कंप्यूटर का भरपूर प्रयोग किया है।
एक ऐसी ही नई स्टार्टअप है 'प्रैक्टिकल कोडिंग' । यह कंपनी सूचना प्रौद्योगिकी और इसमें प्रयोग होने वाली तकनीक कोडिंग को समझाने की ट्रेनिंग देती है। प्रैक्टिकल कोडिंग में लोगों को मोबाइल एेप और वेबसाइट्स के लिए कोडिंग की एक प्रोपर ट्रेनिंग दी जाती है जिससे वे भविष्य में अपनी स्टार्टअप खोल सकें या फिर विभिन्न माध्यमों से पैसा कमा सकें। 'प्रैक्टिकल कोडिंग' में 100 से ज्यादा टीचर हैं जो ऑनलाइन कोर्स के जरिए सरल तरीके से छात्रों को कोड़िंग की जानकारी देते हैं। इनमें से कई फुल टाइम टीचर्स हैं तो कुछ अपना काम करते हैं और पार्ट टाइम बेसिस पर क्लासिज देते हैं।
बासवराज हंमपाली ने प्रेक्टिकल कोडिंग की शुरूआत की वे एक एंड्राइड डेवलपर हैं और उन्होंने ईडीटेक वेंचर की भी नींव रखी थी। उससे पहले भी वो एक कंपनी में भी काम कर चुके हैं काम के दौरान ही उन्होंने लोगों को एंड्राइड की कोचिंग देना शुरू किया लोगों को कोड़िंग के बारे में बताना शुरू किया। लोग उनके समझाने की स्टाइल की हमेशा तारीफ करते और उन्हें भी इस काम में काफी आनंन्द आता इसी दौरान उनके दिमाग में कोड़िग की शिक्षा के लिए एक अच्छे इंस्टीट्यूट खोलने का विचार आने लगा। और फिर उन्होंने शुरूआत की प्रेक्टिकल कोडिंग की। यह एक ऑनलाइन साइट थी जहां ऑनलाइन क्लासिज के जरिए छात्रों को कोड़िंग सिखाई जाती थी। उन्होंने इसी से जुड़े कई और कोर्स भी रखे हैं।
उनकी कंपनी हुबली में है और उसे बासवराज और उनकी बहन सरोजा चला रहे हैं। सरोजा भी एक कोडर हैं और वे खुद भी क्लासिज लेती हैं।
दोनों ने कोर्स कंटेंट काफी मेहनत से बनाया है औऱ ये काफी सिस्टमेटिक है जिससे छात्रों को चीजों को समझनें में दिक्कत नहीं आती। मेंटर्स की क्लासिज का टाइम फिक्स है। ये लोग काफी प्रोफेश्नल हैं और छात्रों को काफी प्रोफेश्नल तरीके से पढ़ाते व समझाते हैं। ज्यादातर क्लासिज शनिवार व रविवार को होती हैं और ऑनलाइन क्लासिज के लिए गूगल हैंगआउट का प्रयोग किया जाता है। क्लास की क्वालिटी बनी रहे और सब छात्रों को अच्छे से समझ आए इसलिए एक कक्षा में ज्यादा छात्रों को नहीं लिया जाता और एक टीचर एक समय पर 3 छात्रों से ज्यादा को नहीं पढ़ाता। कोर्स के दौरान छात्र अपने शिक्षकों का भी आकलन करते हैं और उन्हें नंबर देते हैं बासवराज बताते हैं कि आज तक उनके किसी भी टीचर को 9 अंकों से कम नहीं मिले हैं जिसको वे एक बहुत बड़ी उपलब्धि बताते हैं।
'प्रैक्टिकल कोडिंग' में पढ़ाने के लिए टीचर्स को स्क्रीनिंग और फिर इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है उनका प्रोफाइल चैक होता है और देखा जाता है कि क्या वे छात्रों को पढ़ाने में सक्षम हैं काफी सोच विचार के बाद ही यह निर्णय लिया जाता है।
बासवराज और उनकी बहन सरोजा के अलावा उनकी टीम में ललित मंगल भी हैं जो कॉमनफ्रोल.कॉम के सह संस्थापक भी हैं। बासवराज को उम्मीद है कि उनका ये प्रयास जल्द ही और ऊंचाइयों को छुएगा और लोग उनसे जुड़ेगें। वे मानते हैं की कोड़िग एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी ट्रेनिंग पाकर कोई भी प्रोफेश्नल काफी ज्यादा पैसा कमा सकता है क्योंकि उसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है।
आने वाले समय में बासवराज भारत के बाहर भी जेसे इंडोनेशिया और बाकी देशों के लोगों को भी अपनी कंपनी के जरिए कोडिंग की शिक्षा देना चाहते हैं। वे कुछ नए कोर्स भी लाना चाहते हैं और कुछ और ट्रेनर्स को भी रखकर आपनी कंपनी का विस्तार करना चाहते हैं।