निवेशकों के लिए शुरुआती चरण में पैसा लगाना बना फेवरेट, जानिए कैसे स्टार्टअप्स को भी हो रहा है फायदा
मौजूदा समय में निवेशकों के लिए शुरुआती चरण में किसी भी बिजनेस में पैसा लगाना फेवरेट बन गया है. इससे स्टार्टअप्स को भी फायदा हो रहा है, क्योंकि उन्हें शुरुआती दौर में ही पैसा मिल जा रहा है.
निवेश की दुनिया में लेट-स्टेज डील्स में गिरावट के बावजूद शुरुआती चरण की फंडिंग, खासतौर से सीड और सीरीज़ ए में भारत में सक्रियता बनी हुई है. नए संस्थापक शुरुआती चरणों में ही छोटी राशि जुटाकर 3-4 सालों में ग्रोथ के लिहाज़ से अधिक मूल्यवान कंपनी बनाने पर ध्यान दे रहे हैं. नतीजतन, मौजूदा समय में किसी सुधार का नई संस्थापित टीम के संस्थापक सदस्यों पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. वहीं इससे स्टार्टअप्स को भी फायदा हो रहा है, क्योंकि उन्हें शुरुआती दौर में ही पैसा मिल जा रहा है. साथ ही उनको बिज़नेस कंसल्टेंसी भी मिलती है जिससे स्टार्टअप के लिए किसी भी बिजनेस की शुरुआत करना आसान हो रहा है.
जहां तक टेक कारोबारों का सवाल है, उनका एक गेस्टेशन पीरियड होता है और इन नई कंपनियों के लिए इस दौर में अधिक से अधिक फाइनेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है. यह भारत के लिए वाकई गज़ब की स्थिति है और पिछले 15 सालों से इस स्थिति को बरकरार रखा गया है.
भारत के पूंजी बाजारों में साल 2022 ने एक अजीब सी स्थिति पैदा कर दी है. इस साल सेकंडरी और प्राइमरी मार्केट्स में काफी अस्थिरता देखी गई, जो 2021 की तेजी से काफी उलट है, जिसमें अधिकांश कंपनियों ने शानदार गति पकड़ी और 1 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर यूनीकॉर्न का दर्जा हासिल किया. लेकिन 2022 की शुरुआत से ही, अमेरिका और यूरोप के बाजारों में सुस्ती का दौर दिखायी देने लगा था जिसने फंडिंग के मोर्चे पर वैश्विक मंदी का बिगुल बजाया.
इस कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में बेशक भारतीय कारोबारियों ने बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाने में सफलता हासिल की है लेकन यह मुख्यत: अर्ली और सीड फेज़ के लिए है. एन्ट्रैकर डेटा के अनुसार, 596 अर्ली-स्टेज कंपनियों ने 2022 की पहली छमाही में पूंजी जुटायी जबकि केवल 226 लेट/ग्रोथ स्टेज कंपनियां ही ऐसा करने में सफल हो पाई हैं.
2022 की दूसरी तिमाही से, भारतीय कारोबारों के लिए बाद के चरण में (पोस्ट-सीरीज़ ए) वैंचर कैपिटल निवेश की गति धीमी हो रही है, क्योंकि निवेशक न सिर्फ अधिक सतर्कता बरत रहे हैं बल्कि अर्ली-स्टेज स्टार्टअप्स पर कम राशि तथा दीर्घकालिक अवधि के दांव लगा रहे हैं, जो कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में सुधार तथा फंडिंग के मोर्चे पर आयी सुस्ती के मद्देनज़र उठाया गया कदम है.
कई वैंचर कैपिटल फंड्स ने भारत में निवेश के लिए नई पूंजी जुटा ली है. यानि उनके पास काफी कुछ मसाला है, लेकिन यहां भी विडंबना की स्थिति है क्योंकि जहां एक ओर वीसी के पास संसाधन हैं, लेकिन फंडिंग के मोर्चे पर सुस्ती (फंडिंग विंटर) अभी जारी है.
हमने निवेशकों के साथ चर्चा के आधार पर यह जाना है कि वे अपनी रणनीति बदल रहे हैं और निवेश संबंधी फैसलों को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं, अब वे न्यूनतम नकदी खर्च और आवर्ती राजस्व के साथ SaaS, B2B एवं D2C उपक्रमों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं. SaaS तथा D2C सैक्टर्स में, कम-से-कम 25% वैल्युएशन घटा है.
जबर्दस्त बढ़त की संभावनाओं के मद्देनज़र, अर्ली-स्टेज स्टार्टअप में निवेश अनेक निवेशकों के लिए आज भी काफी आकर्षक विकल्प बना हुआ है. निवेशक वाजिब कीमत पर हिस्सेदारी प्राप्त करने के मामले में आगे बने रहना चाहते हैं और सीरीज़ ए/बी राउंड्स या बाद में बाहर निकलकर पर्याप्त मुनाफा भी कमाना चाहते हैं. अर्ली-स्टेज निवेशकों ने 10x, 22x, 35x, और 80x तक लाभ कमाए हैं.
अधिकांश लेट-स्टेज कंपनियां फंड्स की बर्बादी साबित हो रही हैं, और इनमें जो निकट अवधि में मुनाफे की संभावनाओं की पुष्टि कर सकती हैं वे निवेश जुटाने के लिए वीसी निवेश को आकर्षित कर सकती हैं, जैसा कि ज़ॉपर ने पिछले महीने कर दिखाया जबकि उसने सीरीज़ सी एवं कैशिफाई द्वारा जुटाया सीरीज़ ई प्राप्त किया.
एड-टैक कंपनियों, मेड-टैक और सोशल कॉमर्स का नेतृत्व कर रहे स्टार्टअप्स के इर्द-गिर्द काफी उथल-पुथल मची है, और ऐसे में निवेशक भविष्य में यूनीकॉर्न में निवेश को लेकर कुछ संशय दिखा सकते हैं, इस लिहाज़ से भी अर्ली-स्टेज स्टार्ट-अप में निवेश एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प है. Tracxn के विश्लेषण के मुताबिक, भारत में अर्ली-स्टेज वीसी निवेश (सीरीज़ ए राउंड्स तक), 2022 की पहली तिमाही में 28 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1.50 बिलियन डॉलर पहुंच गया है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1.17 बिलियन डॉलर था. वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में, अर्ली-स्टेज सौदों का औसत आकार भी 200% बढ़कर 3.94 मिलियन डॉलर हो गया है जबकि 2021 की पहली तिमाही में यह 1.92 मिलियन डॉलर था.
हमारे पास ऐसे निवेशक हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई)/एमएल, ब्लॉकचेन, वेब 3.0 तथा D2C ब्रैंड्स जैसी टैक्नोलॉजी पर आधारित दीर्घकालिक बिज़नेस मॉडलों को तैयार करने में जुटे कारोबारों में निवेश के इच्छुक हैं. स्वस्तिका इन्वेस्टमेंट बैंकिंग ने हाल में चार स्टार्टअप्स के लिए सीड और सीरीज़ ए चरणों में पूंजी जुटायी है, लेकिन हम सीरीज़ बी लैवल स्टार्टअप के प्रति निवेशकों की रुचि जगाने में असमर्थ बने हुए हैं.
भारत के विशाल टैक इकोसिस्टम की संभावनाओं के मद्देनज़र, मेरा मानना है कि वैश्विक टैक-स्टार्टअप्स की तुलना में टैक आधारित सॉल्यूशंस और D2C सैगमेंट में अर्ली-स्टेज बिज़नेस में ज्यादा बढ़त होगी.
(लेखक अमित पमनानी ब्रोकरेज फर्म स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by Anuj Maurya