Supertails: ये स्टार्टअप रखता है पेट्स का ख्याल, देता है ऑनलाइन ट्रेनिंग, दीपिका पादुकोन ने भी लगाए हैं इसमें पैसे
कोरोना काल में बहुत सारे लोगों ने पेट्स रखे हैं. ऐसे में उनके खाने से लेकर हेल्थ और ट्रेनिंग तक की जरूरत बढ़ गई. ये देखते ही विनीत खन्ना, वरुण सदाना और अमन टेकरीवाल ने सुपरटेल्स की शुरुआत की.
कोरोना काल में जब लोग घरों में कैद हो गए तो बहुत सारे लोगों का ढेर सारा वक्त बचने लगा. लोग अपने उस खाली वक्त का इस्तेमाल अपने शौक पूरे करने में लग गए. कई लोगों ने इसी दौरान पेट्स (पालतू जानवर) लाने का भी फैसला किया. ऐसा इसलिए क्योंकि अब उन्हें ऑफिस नहीं जाना था और वह घर में रहते हुए अपने पालतू कुत्ते या बिल्ली का ख्याल रख सकते थे. सुपरटेल्स के तीनों ही को-फाउंडर्स पेट पैरेंट हैं और वह लोगों की दिक्कत को अच्छे से समझते हैं. ये ट्रेंड तेजी से बढ़ता देख विनीत खन्ना, वरुण सदाना और अमन टेकरीवाल को एक वेटनरी केयर स्टार्टअप शुरू करने का आइडिया आया. यहां से शुरुआत हुई
की, जो आज के वक्त में देश भर में अपनी सेवाएं दे रहा है.ऑक्सीटॉक्सिन थ्योरी का नतीजा है ये आइडिया
विनीत, वरुण और अमन... तीनों की एक थ्योरी थी, जिसे वह ऑक्सीटॉक्सिन थ्योरी कहते हैं. ऑक्सीटॉक्सिन एक हार्मोन होता है, जो इंसानों को चाहिए होता है. यह हार्मोन साथ रहने से और आपस में प्यार होने से बढ़ता है. विनीत बताते हैं कि जैसे-जैसे कोई देश विकास करता है, तो धीरे-धीरे वहां शादी की उम्र आगे बढ़ती जाती है और लोग भी तमाम तरह की चीजों पर खर्च करना शुरू कर देते हैं. यही वजह है कि देश के विकास के साथ-साथ वहां का डी2सी मार्केट भी बढ़ता जाता है. भारत में भी ऐसा ही हुआ. विनीत के अनुसार जब ऑक्सीटॉक्सिन की जरूरत बढ़ती है तो पहले उस देश में टिंडर और बंबल जैसी डेटिंग साइट आती हैं और शानदार बिजनस करती हैं. उसके बाद लोगों का रुझान पेट्स की तरफ भी बढ़ता है. पेट्स के साथ लोगों को जो प्यार मिलता है, उसका कोई विकल्प नहीं होता है.
लॉकडाउन में डेटिंग ऐप्स हुए फेल तो लोग लाए पेट्स
2020 में जब लॉकडाउन लगा तो डेटिंग ऐप्स बुरी तरह फेल हो गए. लोग एक दूसरे से नहीं मिल पा रहे थे. ऐसे में ऑक्सीटॉक्सिन की जरूरत को पूरा करने के लिए लोगों ने पेट्स रखने शुरू किए. सुपरटेल्स के को-फाउंडर्स को एक सर्वे से पता चला कि करीब 25 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले एक साल में ही पेट्स रखे हैं या उनकी उम्र 1 साल से कम है. ऐसे में उन्हें पहला सिग्नल मिला कि ये सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है.
वहीं जब विनीत अपने पेट के लिए वेटनरी डॉक्टर का अप्वाइंटमेंट ले रहे थे, तब उन्हें दूसरा सिग्नल मिला. विनीत बताते हैं कि जब उन्होंने डॉक्टर से बात की तो पता चला कि अब बहुत सारे लोगों ने पेट्स रखे हैं. ऐसे में अप्वाइंटमेंट मिलने में दिक्कत हो रही है और डॉक्टरों की किल्लत हो गई है. ये सब उन्होंने सिर्फ एक थ्योरी के तौर पर सोचा था, लेकिन वह सब उनकी आंखों के सामने सच होता जा रहा था. ऐसे में तीनों ने उस थ्योरी को आधार बनाते हुए जुलाई 2021 में सुपरटेल्स की शुरुआत की.
क्या बिजनस करती है सुपरटेल्स?
जिस तरह इंसान को रोटी, कपड़ा, मकान की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही पेट्स को खाना, हेल्थकेयर और ट्रेनिंग की जरूरत होती है. सुपरटेल्स के जरिए ये तीनों जरूरतें पूरी की जाती हैं. यहां से लोग अपने पेट्स के लिए डॉक्टर सर्च कर सकते हैं, उनसे बात कर सकते हैं. भारत में अभी करीब 1 लाख वेटनरी डॉक्टर हैं, जिनमें से करीब 90 हजार तो कैटल फील्ड में हैं. वहीं दूसरी ओर भारत में करीब 3.25 करोड़ पेट्स हैं, जिनके लिए डॉक्टर्स की संख्या महज 8-10 हजार है, जिसका समाधान सुपरटेल्स के जरिए करने की कोशिश की जा रही है. साथ ही सुपरटेल्स से आपको हेल्थ प्रोडक्ट मिल सकते हैं. सबसे खास बात ये है कि सुपरटेल्स के जरिए आप कुछ सेशन लेकर पेट्स को ट्रेनिंग दे सकते हैं.
पेट्स को ट्रेनिंग का आइडिया है यूनीक
तमाम तरह की कंपनियां पेट्स फूड बना रही हैं, लेकिन पेट्स को ट्रेनिंग देने की तरफ किसी ने नहीं सोचा. लोग जब पेट लाते हैं तो उन्हें ये पता नहीं होता कि उन्हें कैसे ट्रेनिंग दी जाए. सुपरटेल्स इस समस्या का भी समाधान कर रहा है. कई ऑनलाइन सेशन के जरिए सुपरटेल्स लोगों को बताता है कि उन्हें अपने पेट्स को किस तरह ट्रेन करना चाहिए. सुपरटेल्स तो अपने नए ग्राहकों से कहता है कि आप बस पेट्स को घर ले आइए, उसके बाद की सारी चिंता हम पर छोड़ दीजिए.
विनीत बताते हैं कि देश में ट्रेनिंग का डिजाइन ही गलत है. लोग अपने पेट्स को ट्रेनर से ट्रेनिंग दिलाते हैं और फिर बाद में जब वह पेट्स को अपनी बात नहीं समझा पाते तो ट्रेनिंग को गलत कहते हैं. दरअसल, ट्रेनिंग किसी ट्रेनर के जरिए नहीं दिलानी चाहिए, बल्कि खुद देनी चाहिए तभी पेट्स आपकी बात मानेंगे. सुपरटेल्स यही करता है और ऑनलाइन सेशन के जरिए ट्रेनिंग देना सिखाता है. अगर आप पेट लाने की सोच रहे हैं और कनफ्यूज हैं तो पहले भी कंपनी को फोन कर के पूछ सकते हैं कि आपके लिए कौन सी ब्रीड का कितना बड़ा पेट लाना अच्छा रहेगा.
क्या है कंपनी का बिजनस मॉडल?
कंपनी की कमाई पेट प्रोडक्ट्स बेचकर, हेल्थकेयर सर्विस और ट्रेनिंग सर्विस से होती है. सुपरटेल्स पर अलग-अलग तरह के पेट पैरेंट्स के लिए अलग-अलग सेशन होते हैं. विनीत बताते हैं कि जब भी कोई शख्स कोई सेशन बुक करता है तो पहले कंपनी उसे फोन कर के कुछ जानकारियां जुटाती है. कंपनी पता करती है घर कैसा है, कहां है, कितना बड़ा है, कितने लोग हैं, पेट्स का ख्याल कौन रखेगा आदि. ये सेशन करीब 30-45 मिनट का होता है, जिसके बाद कस्टम सेशन बनाया जाता है. 7-15 दिन में कंपनी फॉलोअप कॉल भी करती है, अगर परेशानी दूर नहीं होती है तो फिर से सेशन होता है.
दीपिका पादुकोन ने भी इसमें लगाए हैं पैसे
जब सुपरटेल्स की शुरुआत हुई तो उससे पहले ही प्री सीड राउंड किया गया, जिसके तहत करीब 22 करोड़ रुपये जुटाए गए. इसके बाद कंपनी ने 6 करोड़ रुपये का वेंचर डेट लिया. फिर दिसंबर 2021 में करीब 30 करोड़ रुपये की फंडिंग ली. यानी कुल मिलाकर अब तक कंपनी ने करीब 55 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इसमें ग्लोबल इन्वेस्टर सामा कैपिटल, डीएसजी कंज्यूमर पार्टनर्स, वाइट बोर्ड, सॉस वीसी, टाइटन कैपिटल समेत बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोन भी हैं. बिजनस शुरू होने से पहले ही पादुकोन ने फंड किया था.
एक निवेशक ने सुपरटेल्स के को-फाउंडर्स को बताया था कि दीपिका पादुकोन भी एक ऐसी कंपनी की तलाश में हैं, जो पेट्स के लिए काम कर रही हो. दीपिका पादुकोन तो पेट्स नहीं रखती हैं, लेकिन उनके पिता प्रकाश पादुकोन पेट लवर हैं. सुपरटेल्स के को-फाउंडर्स ने दीपिका पादुकोन से मुलाकात की और आइडिया उन्हें बताया तो उन्हें सब कुछ पसंद आया, जिसके बाद उन्होंने पैसे लगा दिए.
भविष्य की क्या है प्लानिंग?
विनीत खन्ना बताते हैं कि यह कैटेगरी बहुत बड़ी है और बहुत सारे लोग पेट्स ला रहे हैं. जब आपको आस-पास कोई व्यक्ति कुछ करता है तो आपका भी मन वैसा करने को करता है. ऐसे में आने वाले वक्त में लोग और अधिक पेट्स लाएंगे. सुपरटेल्स आने वाले दिनों में पूरे देश के कोने-कोने तक फैलना चाहता है. विनीत बताते हैं कि अभी उनके पास करीब 75 हजार ग्राहक है, जिसमें से लगभग 40 फीसदी टीयर2 और टीयर3 शहरों के ग्राहके हैं. लोगों में जैसे-जैसे जागरूकता फैल रही है कि पेट्स के लिए हेल्थकेयर, उनका खाना, ट्रेनिंग कितनी जरूरी है, वैसे-वैसे कंपनी के ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है. विनीत बताते हैं कि उनकी कंपनी पेट पैरेंट्स की हर परेशानी दूर करने की दिशा में काम कर रही है, जैसे-जैसे लोगों की दिक्कतें दूर होंगे, ग्राहकों की संख्या बढ़ती ही रहेगी.