मंगल पर भूकंप ने पूरी दुनिया को चौंकाया
नासा के वैज्ञानिकों ने एक बेहद चौंकाने वाली बात दुनिया को बताई है कि हमारी पृथ्वी ही नहीं कांपती, धरती पर ही प्रकृति के कहर नहीं टूटते, बल्कि मंगल ग्रह भी ऐसे अंदेशे से अछूता नहीं रहा यानी वहां पर भी भूकंप आते हैं। इस ताज़ा घटनाक्रम ने विज्ञान के लिए एक नया रिसर्च सब्जेक्ट इजाद कर दिया है- 'मंगल पर
नासा (अमेरिका) को पहली बार मंगल ग्रह पर भूकंपीय संकेत मिले हैं। इस घटनाक्रम ने विज्ञान के लिए आधिकारिक रूप से एक नया क्षेत्र खोल दिया है- मंगल पर भूकंप। नासा की 'जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी' में 'इनसाइट प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर' ब्रूस बैनर्डट के मुताबिक, इनसाइट से मिली पहली जानकारियां नासा के अपोलो मिशन से शुरू हुए विज्ञान को आगे बढ़ाती हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक नासा द्वारा प्रक्षेपित रोबोटिक लैंडर 'इनसाइट' ने पहली बार मंगल पर 'भूकंप' दर्ज किया है।
लैंडर के भूकंपमापी यंत्र 'साइस्मिक एक्सपेरिमेंट फॉर इंटीरियर स्ट्रक्चर' (एसईआईएस) ने पिछले माह 06 अप्रैल को कमजोर भूकंपीय संकेतों का पता लगाया था। मंगल पर 'इनसाइट' का 06 अप्रैल 128वां दिन रहा। इससे पहले मंगल की सतह के ऊपर के वायु जैसे कारकों के कारण भूकंपीय संकेत मिलते थे। संकेत के सटीक कारण का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक अब भी डेटा की जांच कर रहे हैं।
यह घटनाक्रम इसलिए भी विशेष रूप से गौरतलब है कि 'मंगल पर भी भूकंप' की सूचना से प्राकृतिक आपदाओं से बेचैन दुनिया के लिए चांद और मंगल ग्रहों पर बसने-बसाने के सपने में खलल पड़ी है। परेशान लोग सोचते हैं कि काश, हमारी पृथ्वी के अलावा भी कोई ऐसा धरातल हो, जहां लोग जाकर बस सकें। लोग ऐसा सिर्फ सोचते ही नहीं, बल्की इसी दिशा में वैज्ञानिक वर्षों से खोज करने में जुटे हुए हैं। कभी चंद्रमा पर तो कभी मंगल पर भविष्य में इंसानी बस्तियां बसाने की बातें लंबे वक्त से चलती आ रही हैं।
मंगल ग्रह की ताजा सूचना तो यही अंदेशा जताती है कि आने वाले वक्त में अगर इंसान मंगल ग्रह पर जाकर बस भी जाए तो वहां भी उसका प्राकृतिक त्रासदियों से पिंड नहीं छूटने वाला। जैसे हमारी पृथ्वी भूकंप से थरथरा उठती है, विनाश लीला होने लगती है, वैसा मंगल ग्रह पर भी संभव है। खैर, ऐसी बातें अभी दूर की कौड़ी लगती है। भला कौन अभी वहां बसने ही जा रहा लेकिन दुनिया भर के खोजी वैज्ञानिकों ने इस दिशा में अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है। उनके रिसर्च के लिए प्रकृति ने एक और नया विषय दे दिया है कि वह उसका पता लगाते रहें।
अंदेशे साफ होते जा रहे हैं कि पृथ्वी और चंद्रमा की तरह मंगल की सतह भी कांपती है। मंगल ग्रह वाली घटना की जानकारी पहली बार दुनिया के सामने आई है। नासा ने मई 2018 में मंगल ग्रह पर सीस्मिक (सतह के कंपन संबंधी) गतिविधियों के अध्ययन के लिए इनसाइट नामक रोबोटिक प्रोब भेजा था। मंगल ग्रह पर उतरने के पांच महीने बाद इस प्रोब ने वहां की सतह भी डांवाडोल होने का संकेत दे दिया। नासा की कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पहली बार सतह के कंपन की गतिविधि को रिकॉर्ड किया है। इसे मार्सक्वेक कहा जा रहा है। यह किसी दूसरे ग्रह पर रिकॉर्ड किया गया पहला सीस्मिलॉजिकल ट्रेमर (सतह का कंपन) है।
गत माह 06 अप्रैल को जब मंगल की जमीन पर उतरने के 128 दिन इनसाइट प्रोब पूरे कर रहा था, तभी कंपन-गतिविधि मापने के लिए लगाए गए उपकरणों में हलचल हुई। इसके बाद कैलिफोर्निया में जेपीएल के वैज्ञानिकों के चेहरे खिल उठे। अब वैज्ञानिक इनसाइट प्रोब द्वारा भेजे आंकड़ों का गंभीरता से अध्ययन करने में जुटे हैं ताकि उनके कारणों को जाना जा सके।
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