इबोला से लेकर कोरोनावायरस तक, हाल के सालों में आईं वो 5 वैश्विक महामारियां जिन्होंने अस्त-व्यस्त कर दी ज़िंदगी की रफ्तार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले छह वर्षों में आई पांच वैश्विक महामारियों की घोषणा की है, जिन्होंने दुनिया को घुटनों के बल गिरा दिया। ये महामारियां साल 2014 में आई इबोला महामारी से शुरू हुई।
2019 से शुरू हुई कोरोनावायरस महामारी (2019-nCoV) हाल के दशक में आई पांच प्रमुख महामारियों में से सबसे नई है। आज योरस्टोरी हिंदी इन पांच वैश्विक महामारियों और उनके वैश्विक आपातकाल पर एक नज़र डालती है, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा घोषित सबसे बड़ी वायरल बीमारियां है।
इबोला (2014)
इबोला को 08 अगस्त 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा वैश्विक महामारी घोषित किया गया था।
2014 में इबोला का प्रकोप गिनी, पश्चिम अफ्रीका के दक्षिण-पूर्व में एक छोटे से गाँव में शुरू हुआ, जहाँ दिसंबर 2013 में इसके पहले मामले की पहचान की गई थी। यह वायरस दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गया, कुछ ही हफ्तों में वैश्विक महामारी में तब्दील हो गया।
डब्ल्यूएचओ ने 08 अगस्त 2014 को वैश्विक महामारी (वैश्विक आपातकाल) के रूप में इसके प्रकोप की घोषणा की।
2014 का इबोला प्रकोप 2016 में समाप्त हुआ, जिसमें 28,639 मामलों में संदिग्ध / संभावित / पुष्टि की गई और 11,316 मौतें इसे इतिहास का सबसे बड़ा इबोला प्रकोप बनाती हैं।
विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, महामारी ने तीन अफ्रीकी देशों गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन को जीडीपी का $ 2.2 बिलियन का नुकसान पहुंचाया।
अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने मिलकर इन देशों को मदद स्वरूप लगभग $ 3.6 बिलियन का दान दिया।
पोलियो (2014)
डब्ल्यूएचओ ने 05 मई 2014 को पोलियो को वैश्विक महामारी/ आपातकाल घोषित किया।
जहां एक ओर कुछ अफ्रीकी देश इबोला महामारी से जंग लड़ रहे थे वहीं दुसरी ओर पोलियो वायरस (पोलियोमाइलाइटिस) भी आ धमका। वैश्विक प्रयासों के बावजूद, वैक्सीन-डेराइव्ड यह वायरस अभी भी कई अफ्रीकी देशों पर कहर ढा रहा है।
पोलियो के प्रकोप पर सबसे हालिया अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल को डब्ल्यूएचओ ने 05 मई 2014 को घोषित किया था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रसार के कारण 2013 में वायरस के 400 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। पाकिस्तान, कैमरून और सीरियाई अरब गणराज्य में इस वायरस के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए।
सितंबर 2019 में फिलीपींस में सबसे हालिया पोलियो का प्रकोप देखा गया। 2019 में कैमरून, ईरान, इंडोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी, मोज़ाम्बिक और कांगो में विभिन्न प्रकार के पोलियो वायरसेस रिपोर्ट किए गए।
ज़ीका (2016)
17 जुलाई 2019 को डब्ल्यूएचओ द्वारा ज़ीका (Zika) वैश्विक महामारी और वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया।
2016 में जीका वायरस का प्रकोप हुआ था, जिसकी शुरुआत ब्राज़ील से हुई बाद में अमेरिका में और अंततः उन सभी देशों में फैल गई, जहां एडीज मच्छर हैं, जो इस बीमारी को पैदा करते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने फरवरी 2016 में ज़ीका वायरस के प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया और 18 नवंबर 2016 तक इसे जारी रखा। हाल ही में ज़ीका वायरस का मामला अक्टूबर 2019 में फ्रांस में सामने आया था।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने 2016 की पहली छमाही में 2,300 से अधिक ज़ीका वायरस रोग के मामलों की सूचना दी।
ज़ीका वायरस के खिलाफ टीकाकरण के लिए वर्तमान में कोई टीका नहीं है, जिसे हाल ही में न्यूरोलॉजिकल विकार और जन्म दोष जैसे कि माइक्रोसेफली के कारण जाना जाता है।
इबोला (2018)
17 जुलाई 2019 को डब्ल्यूएचओ इसे वैश्विक आपातकाल घोषित किया।
1 अगस्त 2018 को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला का पहला प्रकोप शुरु हुआ, उसी दशक में दूसरा और कांगो के अफ्रीकी गणराज्य में दसवें इबोला का प्रकोप था। WHO ने 17 जुलाई 2019 को अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में इस प्रकोप की घोषणा की।
इबोला वायरस रोग (EVD) 2020 में भी कांगो को प्रभावित कर रहा है। इस महामारी के 28 जनवरी 2020 तक 3,421 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 3,302 की पुष्टि की गई है। पुष्ट मामलों में 28 जनवरी तक मरने वालों की संख्या 2,123 तक पहुंच गईं।
दो दवाओं का परीक्षण वर्तमान में इबोला वायरस उपचार के लिए किया जा रहा है, जो कि एक चिकित्सीय परीक्षण के तहत किया जाता है जिसका नाम है PALM, जो कि WHO की पहल है।
कोविड-19 (2019-nCoV)
31 जनवरी 2020 को डब्ल्यूएचओ द्वारा इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया और बाद में 11 मार्च 2020 को वैश्विक महामारी घोषित की गई।
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर, हुबेई प्रांत से शुरु हुए नोवेल कोरोनावायरस का प्रकोप दो महीने से भी कम समय में 160 से अधिक देशों में फैल गया।
डब्ल्यूएचओ ने आधिकारिक तौर पर 11 फरवरी को इस बीमारी को कोविड-19 नाम दिया और वायरस जो गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) के रूप में बीमारी का कारण बनता है।
यद्यपि डब्ल्यूएचओ ने चीन में स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में महामारी की घोषणा की, अन्य देशों में तेजी से फैलने के कारण 31 जनवरी को इसे वैश्विक आपातकाल घोषित किया गया।
नोवेल कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण अब तक यानि कि 7 मई 2020 तक दुनिया भर में 2,65,657 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 38,43,153 मामलों की पुष्टि हुई है। वहीं इस महामारी से अब तक 13,14,414 लोग ठीक हो चुके हैं और उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई हैं।
Edited by रविकांत पारीक