वाई-फाई और ब्लूटुथ से 100 गुणा ज्यादा तेजी से काम करेगा ‘वेलमेन्नी’ का 'लाई-फाई'
उच्च गति से डाटा ट्रांसफर करने की तकनीक को तैयार कर रहे हैं दिल्ली स्थित स्टार्टअप कंपनीजनवरी 2014 में दीपक सोलंकी और सौरभ गर्ग ने दिल्ली में रखी थी कंपनी की नींवजुलाई 2014 में एस्टोनियाई हार्डवेयर एक्सेलरेटर ‘बिल्डइट’ से प्रारंभिक निवेश और व्यापार समझौता करने में हुए सफललाई-फाई तकनीक के इस्तेमाल से उच्च गति से डाटा ट्रांसफर हो जाएगा आसान
दीपक सोलंकी और सौरभ गर्ग ने जनवरी 2014 में ‘वेलमेन्नी’ की शुरुआत की। प्रारंभ में इस जोड़ी ने खुद को बाजार में टिकाए रखने के लिये बड़ी कंपनियों के लिये यातायात प्रकाशकों को संचालित करने वाले काउंटर, वाहन ट्रैकिंग सिस्टम, गृह स्वचालन समाधान सहित बहुत सारे उत्पाद तैयार करके खुद को प्रतिस्पर्धा में बनाए रखा। लेकिन वे हमेशा से ही अपने खुद के उत्पाद पर काम करना चाहते थे।
‘वेलमेन्नी’ एक उच्च तकनीक से लैस हार्डवेयर स्टार्टअप है जो दिल्ली और एस्टोनिया के टार्टू के बाहर स्थित है। यह दृश्य प्रकाश (विजि़बल लाइट) की सहायता से उच्च गति पर डाटा ट्रांसफर करने वाली एक नई वायरलेस तकनीक को तैयार करने के काम में लगे हुए हैं।
दीपक बताते हैं, ‘‘हमने लाई-फाई तकनीक के कुछ डेमो तैयार किये जिनमें हमने लैपटाॅप स्क्रीन से अपने हार्डवेयर डिवाइस को सफलतापूर्वक डाटा का हस्तांतरण करने में कामयाबी पाई। इसके बाद हमने एक ऐसे छोटे एलईडी बल्ब का निर्माण किया जिसे उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन के माध्यम से नियंत्रित कर उसका रंग और तीव्रता बदल सकते हैं और हमने इसे जुगनू नाम दिया।’’
वर्ष 2014 के जुलाई महीने में दीपक और सौरभ ने एस्टोनियाई हार्डवेयर एक्सेलरेटर ‘बिल्डइट’ से एक व्यापार प्रस्ताव के साथ-साथ प्रारंभिक निवेश पाने में सफलता प्राप्त की। दीपक बताते हैं, ‘‘हमनें एस्टोनिया के टेल्लिन के एक उद्योग में अपनी तकनीक को सफलतापूर्वक क्रियंन्वित किया है। अब हम दिल्ली में वापस आ गए हैं और एक डेवलपमेंट टीम की स्थापना में व्यस्त हैं। हम अपनी इस तकनीक को प्राथमिक दौर में यूरोपीय बाजार में उतारेंगे।’’
लाई-फाई तकनीक के विकास से बहुत पहले ‘वेलमेन्नी’ ने दिल्ली की ट्रैफिक लाइट के साथ जुड़ी एक बहुत बड़ी परेशानी का हल निकाल चुके हैं। दीपक कहते हैं, ‘‘अब से दो वर्ष पहले दिल्ली में यातायात संकेतकों को संचालित करने वाले आधे से अधिक काउंटर ठीक से काम नहीं कर रहे थे ओर हमें इस समस्या का सामधान ढूंढने की दिशा में काम करने का मौका मिला। हमने इनसे जुड़े हार्डवेयर को दोबारा तैयार करने के अलावा इनके संचालन के जिम्मेदार साॅफ्टवेयर को भी दोबारा कोड करवाया। और आप फर्क खुद ही महसूस कर सकते हैं। आज की तारीख में दिल्ली के अधिकतर यातायात संकेतक बिल्कुल ठीक काम कर रहे हैं।’’
इससे पहले दीपक आईआईटी हैदराबाद की रोबोटिक्स रिसर्च लैबोरेटरी में काम करने के अलावा आईईईई सम्मेलनों के लिये शोधपत्र प्रकाशित करने के काम में लगे हुए थे। दूसरी तरफ सौरभ सॉफ्टवेयर विकास और एल्गोरिदम में कुशल दिल्ली विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र है।
अबतक इस कंपनी ने दिल्ली के अलावा जम्मू-कश्मीर के यातायात संकेतकों का संचालन संभालने वाली कंपनी ‘आॅनिक्स’ के सहयोग से दिल्ली और श्रीनगर की ढाई हजार से अधिक काउंटरों को स्थापित किया है।
लाई-फाई अपने आप में एक बेहद जटिल तकनीक है। अबतक केवल अमरीका, जापान और यूरोप की कुछ अनुसंधान प्रयोगशालाएं ही इस तकनीक के निर्माण में सफल रहे हैं। दीपक कहते हैं, ‘‘हम इस प्रौद्योगिकी के कार्यशील डेमो सफलतापूर्वक तैयार करने वाले पहले भारतीय स्टार्टअप और अनुसंधान प्रयोगशाला हैं। असल में लाई-फाई प्रौद्योगिकी में हम एक बहुत ही जटिल पैटर्न में एलईडी लाइट को बहुत उच्च गति में झपकाते हैं। रिसीवर इन जटिल झपकने के पैटन्र्स का पता लगाते हुए डेटा को डिकोड करते हैं।’’
आसपास का परिवेशी प्रकाश इस सिस्टम को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि इनके रिसीवर एक झपकने के सिर्फ एक विशेष पैटर्न के प्रति ही संवेदनशील होते हैं। भविष्य में इस तकनीक की सहायता से उपयोगकर्ता एचडी वीडियो, फिल्में, आॅडियो एक दूसरे को भेजने के अलावा उच्च गति का इंटरनेट की इस्तेमाल करने में सफल रहेंगे।
वर्तमान में ‘वेलमेन्नी’ 1 एमबीपीएस की गति के साथ डेटा प्रसारण और 20 मीटर तक डेटा भेज सकने में सक्षम वीएलसी लिंक का सफलतापूर्वक निर्माण कर रही है। इनकी योजना भविष्य में डाटा संचारण की गति को और बढ़ाने में सक्षम होने की है। इसके अलावा ‘वेलमेन्नी’ अपनी लाई-फाई तकनीक का उपयोग विमानन उद्योग में प्रयोग करने दिशा में भी काम कर रहे हैं।
दीपक कहते हैं, ‘‘हम छोटे विमानों में उड़ान के दौरान इस्तेमाल होने वाली एक ऐसी मनोरंजन प्रणाली का विकास कर रहे हैं जिसमें प्रत्येक सीट पर एक व्यक्तिगत स्क्रीन नहीं होगी। हमने लैपटाॅप या स्मार्टफोन के साथ जोड़े जा सकने वाली एक डिवाइस को सफलतापूर्वक तैयार कर लिया है जो प्रकाश के माध्यम से डाटा प्राप्त करती है। तो एक तरह से विमान में मौजूद प्रकाश को फिल्मों, वीडियो, न्यूजफीड या किसी भी अन्य स्थानीयकृत जानकारी को भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।इसके बाद हमारी स्मार्टफोन एक्सेसरी की सहायता से यात्री इन्हें अपने लैपटाॅप या स्मार्टफोन में रिसीव कर सकते हैं।’’
वर्तमान में प्रचलित आरएफ या वाई-फाई सिस्टम के मुकाबले इस तकनीक के कई फायदे हैं।
समय के साथ वाई-फाई और ब्लूटुथ जैसे वायरलेस उपकरणों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है और हो सकता हे कि आने वाले पांच वर्षों में एक ऐसी स्थिति सामने आ जाए जब पूरा स्पेक्ट्रम ही भर जाए। एक समय ऐसा भी आएगा जब इस अतिरिक्त भीड़भाड़ के चलते हम ठीक तरीके से वाई-फाई सिस्टम का उपयोग करने में भी सक्षम नहीं होंगे और ऐसे में हमें उन परिस्थितियों में ठीक से काम करने वाली एक वैकल्पिक प्रौद्योगिकी की जरूरत की अहमियत समझ में आएगी। इसके अलावा वाई-फाई भीडभाड़ वाले इलाकोें में भी ठीक से काम नहीं करता है और जैसे-जैसे उपयोगकर्ताओं की संख्या में इजाफा होता जाता है इसका कार्यक्षेत्र कम होता जाता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि लाई-फाई ऐसी परिस्थितियों के लिये ही बना है और वह ऐसे में बहुत अच्छी तरह से काम करता है। इसके अलावा उड्डयन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, रसायन उद्योगों के अलावा कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आरएफ का उपयोग प्रतिबंधित है। हालांकि लाई-फाई इन क्षेत्रों में भी प्रयोग किया जा सकता है। दीपक कहते हैं, ‘‘लाई-फाई की मदद से हम वाई-फाई के मुकाबले 100 गुणा अधिक तेजी हासिल कर सकने में सक्षम होंगे जिसका मतलब है कि हम एक एचडी फिल्म को मात्र एक मिनट के समय में डाउनलोड करने में सक्षम होंगे।’’
कंपनी के कुछ अन्य प्रतिद्वंदी जैसे यूरोप, अमरीका और जापान में स्थित प्योरलाईफाई, एलवीएक्स सिस्टम और नाकाग्वा लैब्स भी इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। ‘वेलमेन्नी’ अपनी इस तकनीक को बड़े एलईडी निर्माताओं को लाइसेंस देकर और पैसा बनाने का इरादा रखती है। इसके अलावा ये वीएलसी का उपयोग कर समस्याओं के लिये अनुकूलित प्रयोग भी तैयार कर रहे हैं।