मिलिए UPSC में 11वां स्थान हासिल करने वाली संस्कृति जैन से
यूपीएसी में महिला उम्मीदवारों ने दिखाई अपनी ताक़त
चंद हफ्ते पहले पीटीआई/खबरों की सुर्खियां कुछ इस तरह की थीं:
यूपीएससी परीक्षा: राजस्थान में 3 लड़कियों ने पहला तीन स्थान हासिल किया, 3 महिलाओं समेत जम्मू-कश्मीर से 9 उम्मीदवारों ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की, लोक सेवा परीक्षाओं के पहले चार उम्मीदवारों में दिल्ली की 3 महिलाएं शामिल हैं। भारत में लोक सेवा को करियर के तौर पर सबसे पसंद किया जाता है। अलग-अलग चरणों में पूरे साल भर तक चलने वाली इस परीक्षा में लाखों छात्र शामिल होते हैं और छात्रों के लिए इसमें सफलता वर्ल्ड कप जीतने से कम नहीं होती है। बस एक ही फर्क होता है और ये है कि ये आपकी व्यक्तिगत जीत होती है। यूपीएससी की गोल्डन लिस्ट में शामिल नामों में से एक नाम संस्कृति जैन का भी था। उन्हें पूरे भारत में ग्यारहवां स्थान मिला था।
जो भी छात्र इस परीक्षा के आखिरी पड़ाव यानी इंटरव्यू को पार करते हैं, उन्हें रैंक दिए जाते हैं। सबसे आगे आने वाले छात्रों को आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवाएं), अन्यों को आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा), आईएफएस (भारतीय विदेश सेवाएं), रेलवे इत्यादि में जगह मिलती है। संस्कृति ने इससे पहले भी दो बार इस परीक्षा को पास किया था। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के इरादे से तीसरी बार ये परीक्षा दी थी और इस बार उनकी मेहनत रंग लाई। श्रीनगर में जन्मी संस्कृति ने इसकी तैयारी के लिए काफी यात्राएं की और देश के अलग-अलग हिस्सों में छह अलग-अलग स्कूलों में खूब पढ़ाई की। उनका पालन-पोषण भी दूसरों से काफी अलग था, उसकी वजह ये थी कि उनके माता-पिता भारतीय वायु सेना में थे। उन्होंने बीआईटीएस (पिलानी) के गोवा कैंपस से ग्रेजुएशन किया। संस्कृति कहती हैं, “कॉलेज में पढ़ाई के वर्षों में ही मैं एक जगह पर सबसे ज्यादा वक्त बिता पाई थी। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे बीआईटीएस, पिलानी में पढ़ने का मौका मिला। इसने मुझे पूरी तरह बदल कर रख दिया, आज मैं जो कुछ भी हूं, इसी की वजह से हूं।”
विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी हासिल करने के लिए ग्रेजुएशन के बाद संस्कृति ने 2011-2012 तक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च में लेजिस्लेटिव असिस्टेंट टू मेंबर ऑफ पार्लियामेंट (एलएएमपी) के तौर पर फेलोशिप ले लिया। 2012 के आखिर में उन्होंने दिल्ली में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में शोध सहयोगी के तौर पर काम शुरू किया।
पिछले साल दिसंबर में वो आईआरएस (भारतीय आय सेवा) में शामिल हो गईं और फिलहाल वो नेशनल एकेडेमी ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (एनएडीटी) में प्रशिक्षण ले रहीं हैं। वो कहती हैं, “ये एक शानदार सेवा है क्योंकि ये सरकार के सभी कार्यों के लिए पैसे एकत्रित करती है।”
संस्कृति ने फैसला किया था कि वो एलएएमपी फेलोशिप के खत्म होने बाद परीक्षा देंगी। फेलोशिप के कोर्स के दौरान वो भारत में नीति बनाने में रुचि दिखाने लगीं और उन्होंने समझा कि इसका हिस्सा बनने का सबसे अच्छा तरीका लोक सेवाएं हैं।
एक ऐसे शख्स के लिए जिसने एक बार से ज्यादा बार ये परीक्षा दी हो और इसमें वो हर बार तब तक पास भी होती रही हो, जब तक कि उन्हें उनकी पसंद की रैंकिंग न मिली, ये इस बात का सबूत है कि संस्कृति लगातार मेहनत करने वाली हैं। उनके मुताबिक, ये परीक्षा बेहद कठिन होती है क्योंकि यहां आपके दिमाग के साथ-साथ आपके चरित्र की भी परीक्षा ली जाती है। फिलहाल, यूपीएससी परीक्षा का जो पैटर्न है उसमें विभिन्न क्षेत्रों जैसे, अर्थशास्त्र, विज्ञान व तकनीक, इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों इत्यादि की समझ की जरुरत होती है। वो कहती हैं, “अगर किसी की एक विषय पर अच्छी पकड़ है, तो उसे बस करेंट अफेयर्स से अपडेट होने की जरुरत होती है।”
परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों को उनकी सामान्य सी सलाह है - अवधारणाओं पर अच्छी पकड़ आपके अध्ययन करने की जरुरतों के लिए एक मजबूत आधार बनाता है।
ऐसे लोग जो जीवन में छोटी-छोटी खुशियों में विश्वास करते हैं, उनके लिए संस्कृति कहती हैं, “ये सच है कि इस परीक्षा को पास करने के लिए आपको अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन मैं निजी तौर पर ये नहीं मानती हूं कि आपको इसकी तैयारी के लिए अपनी जिंदगी की बाकी सभी चीजों को रोक देना चाहिए। इस परीक्षा के लिए कैसी तैयारी और कितनी मेहनत करनी होगी, ये पूरी तरह से व्यक्तिगत तैयारी पर निर्भर है।” उन्होंने पहले साल अपने वैकल्पिक विषय दर्शन शास्त्र के लिए मदद और कोचिंग की थी। ये उनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा था जो उन्हें हर बार कामयाबी मिली। चूंकि, ये परीक्षा अलग-अलग चरणों में पूरे साल तक चलती है, इसलिए जरूरी है कि आप धैर्य रखें और अपने लिए एक वैकल्पिक योजना बना कर रखें। एक अच्छी वैकल्पिक योजना आपके लिए तब विकल्प के तौर पर काम आएगी जब आप परीक्षा पास नहीं कर पाए। इसके साथ ही वैकल्पिक योजना आपको शांति से इत्मिनान से परीक्षा में भी मदद करेगी। हालांकि, वो ये भी मानती हैं कि यूपीएससी परीक्षा में सफलता या विफलता किसी की कामयाबी को मापने का मापदंड नहीं हो सकता है। नतीजे उनके लिए एक सुखद आश्चर्य से थे, लेकिन नतीजे के एक दिन बाद “एक बड़ी जिम्मेदारी का बोझ मुझ पर आ गया, जब मैंने समझा कि आने वाले वर्षों में मैं क्या करने वाली हूं।”
संस्कृति इस बात से काफी खुश हैं कि इस बार की परीक्षा में बड़ी संख्या में महिलाओं ने कामयाबी हासिल की है। महिलाओं के विषय में वो मानती हैं कि हमारे देश में महिलाओं के साथ भेदभाव एक सच्चाई है, और इसे बदलने के लिए लैंगिक भेद को दरकिनार कर हर किसी को आगे आना चाहिए।
वो कहती हैं, “मुझे लगता है कि मेरी जैसी महिलाएं जिन्हें इस भेदभाव का ज्यादा शिकार नहीं होना पडा है, उन्हें उन पीड़ित महिलाओं के लिए और ज्यादा मेहनत करनी चाहिए।” शिक्षा, खासकर महिलाओं की शिक्षा उनके दिल के काफी करीब रही है। वो कहती हैं, “शिक्षा किसी भी जिंदगी को बदल सकती है। इससे समाज के हर सदस्य में सामाजिक जागृति आती है और ये जागरुकता फैलाती है। और युवा उम्र में जागरुकता पैदा करने से समाज को बदलने में मदद मिलती है।” संस्कृति उस ट्रेनिंग का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही हैं जो जल्दी ही मसूरी की अकेडमी में शुरू होने वाली है। वो अपने क्षेत्र के चुनाव के लिए एक बार में एक कदम ही उठाना चाहती हैं। “मैं समझती हूं कि अभी मेरे लिए बड़े दावे करना जल्दबाजी होगी। मैं ट्रेनिंग के दौरान अपने काम को अच्छी तरह समझना चाहती हूं, जिससे कि जब मैं काम के लिए मैदान में उतरूं तो मेरा आधार मजबूत रहे। मेरा मुख्य उद्देश्य होगा कि मैं अपने देश और देशवासियों की अपनी क्षमता के मुताबिक अच्छे से सेवा करूं।”