सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से छीना चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का अधिकार, जानिए अब कैसे चुने जाएंगे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक संसद द्वारा कानून पारित नहीं किया जाता है, तब तक यह नियम जारी रहेगा. बता दें कि, अभी तक, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा छह वर्ष के कार्यकाल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, के लिए की जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यदि एलओपी नहीं है, तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता चुनाव आयोग और सीईसी की नियुक्ति के लिए समिति में होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक संसद द्वारा कानून पारित नहीं किया जाता है, तब तक यह नियम जारी रहेगा. बता दें कि, अभी तक, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा छह वर्ष के कार्यकाल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, के लिए की जाती है.
पीठ ने चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया.
अपने आदेश को पारित करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग के "स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कार्य करने" और "संवैधानिक ढांचे के भीतर" के कर्तव्य पर जोर दिया.
लोकतंत्र को लोगों की इच्छा से जुड़ा हुआ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए भारत के चुनाव आयोग से जुड़े विवादों पर रोक लगाई जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक लोकतंत्र में चुनाव की पवित्रता बनाए रखना जरूरी होता है, अन्यथा इसके खतरनाक परिणाम होते हैं.
बता दें कि, यह सुनवाई भविष्य में कॉलेजियम सिस्टम के तहत CEC और EC की नियुक्ति की प्रक्रिया पर 23 अक्टूबर 2018 को दायर की गई एक याचिका पर की जा रही थी. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र एकतरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करती है.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश को इस समय टीएन शेषन जैसे मुख्य चुनाव आयुक्त की ज़रूरत है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाते हुए एक उदाहरण के साथ सरकार से पूछा कि कभी किसी पीएम पर आरोप लगे तो क्या आयोग ने उनके ख़िलाफ़ ऐक्शन लिया है? जस्टिस केएम जोसेफ़ ने कहा था, 'हमें एक सीईसी की आवश्यकता है जो पीएम के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई कर सके. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि प्रधान मंत्री के ख़िलाफ़ कुछ आरोप हैं और सीईसी को कार्रवाई करनी है. लेकिन सीईसी कमज़ोर घुटने वाला है. वह ऐक्शन नहीं लेता है. क्या यह सिस्टम का पूर्ण रूप से ब्रेकडाउन नहीं है?'
Edited by Vishal Jaiswal