चुनाव आयुक्तों की 'बिजली की गति से' नियुक्ति पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट का सवाल 'इतनी जल्दी किस बात की?'
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को ज़्यादा पारदर्शी बनाए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई जारी है. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई.
इस दौरान केंद्र सरकार ने संविधान पीठ को अरुण गोयल की निर्वाचन आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित फाइल सौंपी. जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ (जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋषिकेस राय और सीटी रविकुमार) ने फाइल पढ़ने के बाद उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए. फाइल देखकर जस्टिस जोसेफ ने पूछा, '18 को हमने मामला सुना, उसी दिन आपने फाइल आगे बढ़ाई, उसी दिन पीएम कहते हैं मैं उनके नाम की सिफारिश करता हूं. इतनी जल्दी किस बात की?'
बता दें, 3 दिन पहले ही भारत के नए चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्त हुई है. अरुण गोयल ने 18 नवंबर को उद्योग सचिव के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी और 19 नवंबर को चुनाव आयुक्त के पद पर उनकी नियुक्ति हो गई.
सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा, 'सेम डे प्रोसेस, सेम डे क्लियरेंस, सेम डे अप्लिकेशन, सेम डे अपॉइंटमेंट. फाइल ने 24 घंटे का सफर भी पूरा नहीं किया. हम समझते हैं कि कभी-कभी स्पीड जरूरी होती है. हम यह कह रहे हैं कि यह पद 15 मई से खाली था.' इसके बाद अदालत ने उन 4 नामों के चयन पर केंद्र को ग्रिल करना शुरू किया.
इससे पहले जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने कल हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा था, ‘हम देखना चाहते हैं कि नियुक्ति कैसे हुई? किस प्रक्रिया का पालन किया गया. कुछ ऐसा-वैसा तो नहीं हुआ है, क्योंकि गोयल ने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. नियुक्ति कानूनन सही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. यह विरोधात्मक कदम नहीं है, हम इसे सिर्फ रिकॉर्ड के लिए रखेंगे.’ जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'हम किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं. हम नियुक्ति के ढांचे को लेकर चिंतित हैं.'
यह सुनवाई भविष्य में कॉलेजियम सिस्टम के तहत CEC और EC की नियुक्ति की प्रक्रिया पर 23 अक्टूबर 2018 को दायर की गई एक याचिका पर की जा रही है. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र एकतरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करती है.
इस केस की सुनवाई के दौरान मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट का तेवर बहुत सख़्त था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश को इस समय टीएन शेषन जैसे मुख्य चुनाव आयुक्त की ज़रूरत है.
वहीँ, बुधवार के दिन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाते हुए एक उदाहरण के साथ सरकार से पूछा कि कभी किसी पीएम पर आरोप लगे तो क्या आयोग ने उनके ख़िलाफ़ ऐक्शन लिया है? जस्टिस केएम जोसेफ़ ने कहा, 'हमें एक सीईसी की आवश्यकता है जो पीएम के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई कर सके. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि प्रधान मंत्री के ख़िलाफ़ कुछ आरोप हैं और सीईसी को कार्रवाई करनी है. लेकिन सीईसी कमज़ोर घुटने वाला है. वह ऐक्शन नहीं लेता है. क्या यह सिस्टम का पूर्ण रूप से ब्रेकडाउन नहीं है?'
सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में तय करेगा कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन किया जाए.