बैंकिंग सुविधा से पिछड़े लोगों को सशक्त करना: वित्तीय समावेशन का रोडमैप
ऋण देने वाली संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे मांग और आपूर्ति के अंतर को दूर करें और हाशिए पर खड़े समुदायों को सशक्त करने के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दें.
अगर हम ग्लोबल इकोनॉमी के जटिल ताने-बाने पर नजर डालते हैं तो एक कड़वी सच्चाई सामने आती है. ये है बैंकिंग सेवा से वंचित और सीमित सेवा प्राप्त व्यक्तियों की चौंका देने वाली संख्या जिनकी औपचारिक वित्तीय पारितंत्र में कोई जगह नहीं है. इस मामले में भारत सबसे आगे है. भारत में 13 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनको अभी तक जरूरी बैंकिंग सेवाओं की सुविधा नहीं मिली है. हाल ही में जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है. ऐसे लोगों को पेडेलोन, नकद लेनदेन और इसी तरह की दूसरी सेवाओं के लिए वैकल्पिक वित्तीय सेवाओं पर भरोसा करना पड़ता है. इससे पता चलता है कि हमारे देश में वित्तीय समावेशन की दिशा में एक व्यापक रोडमैप पर तत्काल काम करने की जरूरत है.
लोगों के बैंकिंग की सुविधा से वंचित होने के मुद्दे की कई वजहें हैं. अक्सर देखने को मिलता है कि बैंकिंग सुविधा से रहित लोगों को सरकार द्वारा जारी आईडी, निवास का प्रमाण और रोजगार सत्यापन जैसे दस्तावेज के न होने की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसी वजह से वे बैंकों में खाते नहीं खुलवा पाते. इन आवश्यक कागजातों के अभाव में पारंपरिक बैंकिंग के दरवाजे उनके लिए बंद रहते हैं.
बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों का एक बड़ा तबका ऐसे लोगों का होता है जो असंगठित सेक्टर में काम करते हैं. यहां वेतन आदि का लेन-देन नकदी में ही होता है. ऐसे में इनको बैंकिंग सेवाओं की बहुत कम जरूरत होती है. इनको अपने दैनिक भरण-पोषण के लिए प्रतिष्ठित बैंकिंग सिस्टम के साथ जुड़ने की जरूरत नहीं होती है. इसके अलावा, इन बैंक रहित समुदायों में बड़ी संख्या में लोग नकदी-आधारित वित्तीय लेनदेन को प्राथमिकता देते हैं. वे नकद मुद्रा को अक्सर बैंकों से जुड़ी जटिलताओं से बचने के एक सरल साधन के रूप में देखते हैं.
इसके अलावा कई लोगों को लगता है कि बैंकों से लिए गए कर्ज की किस्तों को एक निर्धारित तिथि पर चुकाना अपने में एक बड़ी चुनौती है. इसकी वजह ये है कि ऐसे लोगों की आय नियमित नहीं होती. कभी-कभी लोगों को ऋण प्रबंधन के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है जिससे भी वह वित्तीय संस्थानों से दूर हो जाते हैं.
बैंकिंग की सुविधा से वंचित इन लोगों के पास अक्सर कोई क्रेडिट हिस्ट्री या पूर्व में लिए गए किसी उधार के पुनर्भुगतान का रिकॉर्ड नहीं होता. जिससे कर्ज देने वाली संस्थाएं ऐसे लोगों को उच्च जोखिम वाले उधारकर्ताओं के रूप में देखती हैं. इससे इनको ऋण मिलने में बड़ी बाधाएं आती हैं. इसके चलते ये लोग जरूरी बैंकिंग सुविधाओं एवं बैंकिंग अवसरों का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं.
वित्तीय समावेशन का मार्ग
इस लगातार बढ़ रहे अंतर को कम करने और वित्तीय समावेशन की शुरूआत करने की जिम्मेदारी अब पूरी तरह से ऋण देने वाली संस्थाओं पर है. इन संस्थाओं पर वंचित समुदायों को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी है. इसके लिए सबसे पहले बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को वित्तीय सेवाओं के बड़े फायदों के बारे में शिक्षित करना जरूरी है. इस तरह की जानकारी होने पर मुख्यधारा की आर्थिक गतिविधियों से ऐसे लोगों को आसानी से जोड़ा जा सकेगा. इससे वित्तीय अनुशासन की एक नई भावना के विकास के साथ उनके मौजूदा संसाधनों का सही इस्तेमाल हो सकेगा. विभिन्न वित्तीय सुविधाओं की उपलब्धता भी ऐसे लोगों के व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में बड़ी भूमिका निभा सकती है.
खासकर असंगठित सेक्टर में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए आत्म-नियंत्रण का माहौल बनाना बेहद महत्वपूर्ण है. बैंकिंग प्रणाली के साथ सीधा जुड़ाव वित्तीय अनुशासन और योजनागत रूप से काम करने की आदत को बढ़ावा देता है. इससे बचत और निवेश की आदत पड़ती है और निरंतर और दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त होता है. इसके अलावा, नकदी से इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की तरफ शिफ्ट होने और बैंकिंग सुविधा होने से नकदी को संभालने का जोखिम कम हो जाता है.
समावेशी वित्तीय तरीकों को अपनाने से अब तक बैंकिंग सेवाओं से वंचित जनता केवल तमाशबीन नहीं बनी रहेगी. बल्कि आर्थिक विकास को गति देने में सक्रिय रूप से भागीदारी करेगी. औपचारिक माध्यमों से निवेश, बचत और उधार के जरिए लोग व्यापक आर्थिक विकास के अभिन्न अंग बन सकते हैं.
ऋण देने वाली संस्थाओं की भूमिका
विकास और बदलाव की इस यात्रा में ऋण देने वाले संस्थानो की काफी अहम भूमिका है. ऋण देने वाले संस्थान देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने वाले अभियानों को संचालित करने की जिम्मेदारी निभाते हैं. इसका एक बड़ा उदाहरण बैंक रहित स्थानों में चलाए जाने वाले सामाजिक अभियान हैं. इनको बैंकिंग से वंचित समुदायों के लिए वित्तीय सेवाओं के महत्व के समझाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. सही और जरूरी जानकारी प्रदान करके ये अभियान बैंकिंग की अनेक बाधाओं को दूर कर सकते हैं और फाइनेंशियल एकीकरण की भावना पैदा कर सकते हैं.
डिजिटल लेंडिंग प्रोग्राम
डिजिटल इनोवेशन इस लक्ष्य को हासिल करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. बैंकिंग सुविधाओं से वंचित इलाकों की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया डिजिटल लोन सिस्टम भौगोलिक सीमाओं को तोड़कर तमाम वंचित लोगों को आसानी से लोन उपलब्ध करा सकता है. इन कार्यक्रमों में आसानी से खाता खोलने की प्रक्रियायें, मोबाइल बैंकिंग और अन्य टेक्नोलॉजी आधारित पहलें शामिल हैं जो बैंकिंग सेवाओं को प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाती हैं.
वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाओं और नीतियों पर आधारित पहलों की पेशकश
ऋण देने वाली संस्थाओं और सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली योजनाओं के बीच आपसी सहयोग वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में काफी सहायक होता है. इस तरह की साझेदारियां कई तरह के कामों के लिए हो सकती हैं. जैसे इनके जरिए विशेष ऋण कार्यक्रम, आसानी से खाता खोलने की प्रक्रियायें और वित्तीय साक्षरता बढ़ाने पर आधारित शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं. प्रधान मंत्री जन धन योजना (PMJDY), अटल पेंशन योजना (APY), प्रधान मंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) और स्टैंड अप इंडिया योजना इसके उदाहरण हैं.
बैंक सेवाओं से वंचित या कम सेवा प्राप्त समुदायों की परेशानी आज के वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की एक दुखद स्थिति है. ऐसे लोगों को परेशानियों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है. इसके चलते ये वित्तीय प्रणालियों के साथ पूरी तरह से जुड़ नहीं पाते, जिसे अधिकांश लोग हल्के में लेते हैं. इन बाधाओं को दूर करने के लिए एक संपूर्ण नजरिये और प्रयासों की जरूरत है. शिक्षा, जरूरत के मुताबिक डिजाइन किए गए प्रोडक्ट और सेवाओं के साथ ही सरकारी प्रयासों के साथ महत्वपूर्ण सहयोग करके इस मुश्किल से निपटा जा सकता है.
सरकारों और सामुदायिक संगठनों के साथ साझेदारी करके ऋण देने वाले संस्थान बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों के जीवन में बदलाव लाने के प्रयास में बड़ी भूमिका निभाते हैं. ज्ञान के प्रसार में निवेश, बैंकिंग प्रक्रियाओं को सरल बनाने और डिजिटल टेक्नोलॉजी का समझदारी से उपयोग करके हम बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों और वित्तीय सेवाओं के बीच मौजूद अंतर को कम कर सकते हैं.
अपने इस नेक प्रयास के जरिए, हम न केवल इन वंचित समुदायों को सशक्त करते हैं बल्कि समानता और लचीलेपन पर आधारित वित्तीय पारितंत्र को बढ़ावा देकर व्यापक आर्थिक विकास के लिए आधार भी तैयार करते हैं. अनेक लोगों के जीवन में बड़े बदलाव लाने का ये नजरिया बहुत महत्वपूर्ण है.
(लेखिका Religare की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखिका के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक