क्या हैं सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD के फायदे, कैसे बचाते हैं आपका टैक्स
डिडक्शंस की बात करें तो सबसे पॉपुलर है सेक्शन 80C. ज्यादातर करदाता सबसे पहले और सबसे ज्यादा इसी सेक्शन के तहत डिडक्शन क्लेम करते हैं.
आयकर कानून के नियमों के तहत करदाता कई तरह के टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) का फायदा लेकर अपनी कर देनदारी घटा सकते हैं. हालांकि ध्यान रहे कि व्यक्तिगत करदाता या HUF, पुरानी परंपरागत आयकर व्यवस्था के साथ ही आयकर अधिनियम के चैप्टर VIA के तहत उपलब्ध विभिन्न डिडक्शंस का फायदा उठा सकते हैं. सेक्शन 115 BAC के तहत नई आयकर व्यवस्था के साथ ऐसा नहीं है. नई कर व्यवस्था में करदाता को केवल गिने-चुने टैक्स डिडक्शंस का ही फायदा मिल रहा है.
डिडक्शंस की बात करें तो सबसे पॉपुलर है सेक्शन 80C. ज्यादातर करदाता सबसे पहले और सबसे ज्यादा इसी सेक्शन के तहत डिडक्शन क्लेम करते हैं. इस सेक्शन की लिमिट एग्जॉस्ट हो जाने पर किसी और सेक्शन की ओर देखा जाता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर सेक्शन 80C के तहत मिलने वाले डिडक्शन बेनिफिट्स की पूरी डिटेल...
सेक्शन 80C
करदाता पुरानी आयकर व्यवस्था में सेक्शन 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. इस सेक्शन का फायदा व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUFs) के लिए रहता है. सेक्शन 80C के अंतर्गत टैक्स डिडक्शन, जिन निवेश विकल्पों पर मिलता है, उनमें- जीवन बीमा प्रीमियम, ELSS, EPF कॉन्ट्रीब्यूशन, VPF कॉन्ट्रीब्यूशन, LIC के एन्युइटी प्लान में कॉन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, पोस्ट ऑफिस की चुनिंदा स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में निवेश, PPF में जमा, टैक्स सेवर FD में जमा, सुकन्या समृद्धि स्कीम में जमा, Ulip, बच्चों की ट्यूशन फीस, नाबार्ड बॉन्ड, चुनिंदा इक्विटी शेयरों का सब्सक्रिप्शन और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट शामिल हैं.
सेक्शन 80CCC
यह सेक्शन, LIC या किसी भी बीमा कंपनी के किसी भी एन्युइटी प्लान में निवेश पर टैक्स डिडक्शन उपलब्ध कराता है. एन्युइटी यानी पेंशन. इस डिडक्शन का क्लेम करने के लिए प्लान, पेंशन देने वाला होना चाहिए. एन्युइटी प्लान से प्राप्त होने वाली पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर ब्याज सहित मिलने वाली कुल राशि या बोनस आयकर के दायरे में आते हैं.
सेक्शन 80CCD
सेक्शन 80CCD (1)
यह सब-सेक्शन केन्द्र सरकार की पेंशन स्कीम के तहत पेंशन खाते में जमा पर टैक्स डिडक्शन दिलाता है. सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत तक पेंशन अकाउंट में जमा कर डिडक्शन क्लेम कर सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है.
सेक्शन 80CCD (1B)
इस के माध्यम से सैलरीड इंप्लॉई अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकता है, जो कि 50000 रुपये तक का होगा. याद रहे कि सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD (1B) के तहत कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा के टैक्स डिडक्शन का लाभ नहीं लिया जा सकता है.
सेक्शन 80CCD (2)
एंप्लॉयर के अंशदान पर भी कर्मचारी सेक्शन 80CCD (2) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. यह सैलरी के 10 प्रतिशत के बराबर होता है.