हर हफ्ते 300 जरूरतमंदों को खाने की चीजें उपलब्ध कराती हैं दसवीं में पढ़ने वाली ताइरा
दिल्ली की रहने वाली ताइरा भी दसवीं क्लास में पढ़ती हैं, लेकिन उनसे गरीबों और भूखे लोगों की हालत देखी नहीं गई इसीलिए उन्होंने उनके लिए कुछ करने का प्लान बनाया और वे अपन छोटी कोशिश के जरिए लोगों की जिंदगी में खुशियां लाने का काम कर रही हैं।
जब आप दसवीं क्लास में थे तो आप किन चीजों में व्यस्त रहा करते थे? बोर्ड एग्जाम्स, मस्ती, खेल कूद और शायद आगे की पढ़ाई के बारे में? क्या आपने उस उम्र में कभी सोचा कि हमारे आस पास गरीब और सुविधाओं से विपन्न लोगों को अपनी जिंदगी चलाने में इतनी मुश्किलें क्यों आती हैं? क्या आपने कभी उनकी भलाई के लिए कुछ करने का सोचा? अधिकतर लोगों का जवाब 'न' में होगा। दिल्ली की रहने वाली ताइरा भी दसवीं क्लास में पढ़ती हैं, लेकिन उनसे गरीबों और भूखे लोगों की हालत देखी नहीं गई इसीलिए उन्होंने उनके लिए कुछ करने का प्लान बनाया और वे अपन छोटी कोशिश के जरिए लोगों की जिंदगी में खुशियां लाने का काम कर रही हैं।
ताइरा भार्गव गुड़गांव के श्रीराम स्कूल में दसवीं की स्टूडेंट्स हैं। वे एक परिचित के शादी समारोह में गई थीं जहां उन्होंने देखा कि काफी सारा खाना बेकार चला गया है और उसे बाद में फेंक दिया गया। खाने की बर्बादी देख ताइरा का मन विचलित हो गया। उन्होंने सोचा कि वे गरीब और भूखे लोगों के लिए कुछ करेंगी। घर लौटकर उन्होंने इस बारे में रिसर्च करना शुरू कर दिया। इसी बीच उनके दिमाग में आइडिया आया कि बेकरी में ब्रेड जैसा काफी सामान बनता होगा जो नहीं बिक पाता होगा या बेकार चला जाता होगा। उन्होंने सोचा कि क्यों न इसे बेकार होने से पहले ही भूखे लोगों में बांट दिया जाए।
ताइरा ने मॉडर्न बेकरी से संपर्क किया और उनसे अपना आइडिया शेयर किया। बेकरी की तरफ से भी अच्छा रिस्पॉन्स मिला और उन्होंने ताइरा को एक निश्चित मात्रा में ब्रेड और बाकी चीजें मुफ्त में देने पर सहमति प्रदान कर दी। इसीलिए उन्होंने अपने फाउंडेशन का नाम 'डबल रोटी' रखा है। योरस्टोरी से बात करते हुए ताइरा ने कहा, 'डबल रोटी ब्रेड का हिंदी वर्जन है और हमारी पहल के दो मकसद हैं, एक तो जरूरतमंदों का पेट भरना और दूसरा खाने की बर्बादी को रोकना।'
ताइरा बताती हैं, 'मुझे काफी खुशी हुई और अब मैं बेकरी से खाने पीने का सामान ले कर भूखे और जरूरतमंद लोगों में बांट देती हूं।' ताइरा बताती हैं कि ये ब्रेड पूरी तरह से खाने योग्य होता है। वे कहती हैं, 'बेकरी का जो सामान एक या दो दिन में एक्सपायर होने वाला होता है उसे हम उठा लेते हैं और जल्दी से बांट देते हैं।'
इसके लिए ताइरा को उनके भाई और मम्मी पापा का भी पूरा सहयोग प्राप्त है। वे सप्ताह में एक बार लोदी रोड के पास शनि मंदिर, वसंत विहार, मदर टेरेसा फाउंडेशन और जंगपुरा जैसे इलाकों में जरूर जाती हैं और ब्रेड को बांट कर आती हैं। उनके साथ या तो उनका बड़ा भाई या फिर मम्मी होती हैं जो उनका पूरा सहयोग करती हैं। अभी तक वे लगभग 300 जरूरतमंदों तक इस पहल को पहुंचा चुकी हैं। वे बताती हैं कि ब्रेड पाकर बच्चों को काफी खुशी मिलती है और बच्चों के चेहरे की खुशी देखकर उन्हें भी काफी खुशी मिलती है।
ताइरा अभी तो दसवीं क्लास में हैं और उनके बोर्ड एग्जाम्स भी आने वाले हैं, लेकिन वे कहती हैं कि इस काम से उनकी पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ता। वे कहती हैं, 'अगर आपकी नीयत किसी की मदद करने की होगी तो आप आराम से वक्त निकाल लेंगे।' ताइरा के पैरेंट्स कॉर्पोरेट जॉब में हैं लेकिन ताइरा आगे चलकर मेडिसिन की पढ़ाई करना चाहती हैं। ताइरा कहती हैं कि ये काफी छोटी सी चीज है जो वे आसानी से कर पा रही हैं, लेकिन आने वाले समय में वे बड़े पैमाने पर इसे आगे बढ़ाएंगी। अगर आप ताइरा की मदद करना चाहते हैं तो आप उनसे [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं। आप उनकी वेबसाइट या फंडिंग पेज पर भी जा सकते हैं।
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