जब कोई कहे,‘‘ये तो पहले से ही किया जा रहा है!’’तो एक उद्यमी को कैसे प्रतिक्रिया करनी चाहिए
अधिकतर स्टर्टअप्स को किसी न किसी मौके पर एक सवाल से जरूर रूबरू होना पड़ता है- ‘‘कोई और भी पहले से ही इस विचार पर काम कर रहा है! आप इसपर अपना समय क्यों बेकार कर रहे हैं?’’ आज के इंटरनेट के युग में जब सूचना बहुत ही तेजी के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच रही है और विशेषकर स्टार्टअप की संख्या में बहुत तेजी के साथ वृद्धि देखी जा रही है धरती एक छोटे से खेल के मैदान का रूप ले चुकी है। और ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि कुछ दूसरे लोग या तो उस विचार पर काम कर रहे हैं या काम कर चुके हैं जिस विचार को लेकर आप आगे बढ़ रहे हैं।
यह सवाल सबसे पहले प्रतियोगिता के स्तर पर आपको छूता है और जब आप गहराई में पहुंचते हैं तो यह इस बात का द्योतक हो जाता है कि उद्यमी किस प्रकार के जोखिम उठाने के लिये तैयार होते हैं।
हम सबसे पहले प्रतिस्पर्धा को लेते हैं- टोनी स्टबलबाइन ने प्रतिस्पर्धा के बारे ले सबकुछ जानने के बारे में एक पूरा संग्रह लिखा है जिसको अगर संक्षेप में देखें तो उसका सार है, ‘‘अपनी मर्जी का करो और प्रतिस्पर्धा के बारे में बिल्कुल भी चिंता मत करो।’’ और गहराई में जाने पर लोग अब भी अपने स्टार्टअप के विचार को या फिर वे जिस चीज का निर्माण कर रहे हैं उसके बारे में दूसरों के साथ साझा करने में झिझकते हैं क्योंकि उन्हें दूसरों द्वारा उस अवधारणा के चोरी करने या नकल करने की चिंता रहती है। लेकिन अगर यही विचार प्रक्रिया है तो आपका स्टार्टअप कभी भी सफल नहीं हो सकता क्योंकि अगर कोई सिर्फ आपके विचार के बारे में जानकर ही उसे चुरा सकता है तो कोई ऐसा वास्तविक आईपी या अंतर नहीं है जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं। जैसा दूसरे कहते हैं, ‘‘विचार से कोई फर्क नहीं पड़ता, निष्पादन ही सबकुछ है।’’
अब जब गहराई से देखें तो, जब कोई आपसे कहे, ‘‘मैं कुछ ऐसे लोगों को जानता हूं जो पहले से ही यह कर रहे हैं।’’- आप क्या कहते हैं? आपका क्या विचार है? एक उद्यमी के रूप में आप बाहरी आवाजों से खुद को दूर करते हुए सिर्फ काम पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं लेकिन कई बार ये आवाजें परेशान कर देती हैं। ऐसे में मैंने मनोविज्ञान पढ़ चुके एक कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंटिस्ट साई गद्दाम से मिलने का फैसला किया जो स्वयं एक उद्यमी हैं और मक्खीचूस के डवलपर हैं। उनका कहना है कि उद्यमियों के लिये वास्तव में जोखिम के बारे मे पूछना एक बिल्कुल प्रच्छन्न सवाल है; ‘‘आप क्यों इस रेस को जीतने वालों में से एक होंगे?’’ करीब-करीब सभी स्टार्टअप को उनके जैसी ही या फिर उन्हीं चुनौतियों का समाधान पेश करने वाली दूसरी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है और ऐसा तबतक होता है जबतक वे एक बिल्कुल ही नया और दूसरों से अलग हल लेकर सामने नहीं आते हैं। हालांकि यह बहुत हद तक जोखिम से भरा हुआ है जिसके चलते बहुत कम ही सफल हो पाते हैं। जोखिम उठाना किसी भी उद्यमी के जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
तो आप कैसे एक उद्यमी के रूप में जोखिम उठाते हैं?
साई राय देते हैं कि आपको पूर्वाग्रहों से दूर रहना चाहिये ताकि आप अपने उत्पाद को लेकर वास्तविक चिंताओं से दूर न रह सकें। अगर कई लोग ऐसा सोचें कि आपका उत्पाद इतना बेहतर सुधार नहीं है कि वह एक बदलाव ला सके और दूसरी तरफ आपके कमरे का साथी उसे बेहतरीन बताए और आप सिर्फ उसकी ही बातों पर ध्यान दें तो बधाई हो, आप अपने पूर्वाग्रहों को पार पाने में सफल रहे हैं।
जैसा कि कहा गया है आप भी प्रयास करें और देखें कि वह क्या है जो आपको औरों से अलग करती है। उम्र के एक निश्चित पड़ाव को पार कर चुके अधिकतर लोग एक ऐसी वेबसाइट जहां वे अपने दिल के भावों को खुलकर प्रकट कर सकने के अलावा हर प्रकार की तस्वीरों को दूसरों के साझा करने के विचार को पहली ही नजर में खारिज कर दिया होता लेकिन मार्क जुकरबर्ग को पता था कि वे उनके लक्षित उपयोगकर्ता नहीं हैं। तो ऐसे में देसरी तरफ आपको जोखिम लेने से बचने की प्रवृति पर काबे करना भी आना चाहिये। वास्तुनिष्ठता प्राकृतिक रूप से नहीं आती बल्कि आपको तर्कहीन आत्मविश्वास से सवाल करना आना चाहिये और साथ ही आपको अनुचित निराशा से दूर भी रहना आना चाहिये।
तो ऐसे में सवालों का जवाब सबसे आशावादी तरीके से देने के अलावा अंधेरे भाग्यवादी ढंग से देने का प्रयास करें। सही जवाब इन दोनों के मध्य ही कहीं मिलेगा। साधारण शब्दों में कहें तो प्रतिस्पर्धा हमेशा ही रहेगी और इस क्षेत्र के दूसरे लोग आपपर उंगली भी जरूर उठाएंगे। लेकिन अगर आपको अपने किये पर यकीन है और आपके अंदर इतना आत्मविश्वास है कि आप दूसरों को, फिर चाहे वे गिनती के ही हों, को समझाने में कामयाब रहेंगे, तो आपको खुद को पागल समझने की कोई आवश्यकता नहीं है। बाहर निकलो और बस करके दिखाओ!
लेखकः ज़ुबिन मेहता
अनुवादकः निशांत गोयल