राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी 'पेटीएम करो'
टोल प्लाजा पर डिजिटल भुगतान के लिए पेटीएम ने एनएचएआई के साथ करार कर लिया है।
डिजिटल भुगतान प्लेटफार्म पेटीएम ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के राष्ट्रीय राजमार्ग टोल प्लाजा का परिचालन करने वाली प्रमुख कंपनियों रिलायंस इन्फ्रा, सद्भाव, आईआरबी, एमईपी, एलएंडटी और जीएमआर के साथ भागीदारी की घोषणा की है। इसके तहत सभी राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्यों और शहरों के टोल प्लाजा पर नकदीरहित भुगतान किया जा सकेगा।
इस भागीदार के बाद देशभर में यात्री अपने टोल शुल्क का भुगतान सभी टोल प्लाजा काउंटरों पर क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें पेटीएम एप का इस्तेमाल करना होगा।
कंपनी ने बयान में कहा है, कि इस पहल के जरिये वह वित्त वर्ष के अंत तक प्रतिदिन पांच लाख वाहनों को लक्ष्य कर रही है। पेटीएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष किरण वासिरेड्डी ने कहा है, कि अब प्रयोगकर्ता पेटीएम के जरिये देशभर में 6,000 से अधिक मार्गों पर कोड आधारित नकदीरहित भुगतान कर सकेंगे।
पेटीएम का दावा है, कि वर्तमान समय में 10 लाख से अधिक कारोबारियों ने पेटीएम के जरिये भुगतान प्राप्त करने को प्राथमिकता दी है।
उधर दूसरी तरफ निजी क्षेत्र की दूसरी बड़ी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन इंडिया ने डिजिटल भुगतान को आसान बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुये अपने मोबाइल वॉलेट में ‘वोडाफोन एम-पैसा पे’ की शुरूआत की घोषणा कर दी है। इसके जरिये कारोबारी और खुदरा विक्रेता बड़ी आसानी से बिना नकदी के अपने ग्राहकों से भुगतान प्राप्त कर सकेंगे।
वोडाफोन इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुनील सूद ने कहा, ‘वोडाफोन एम-पैसा पे की शुरूआत के साथ हम कारोबारी और खुदरा विक्रेताओं को एक ऐसा मंच उपलब्ध करायेंगे जिससे डिजिटल भुगतान को आसान बनाया जा सकेगा। इससे लाखों उपभोक्ता नकदीरहित भुगतान के लिये प्रोत्साहित होंगे।’ उन्होंने कहा कि वोडाफोन का यह नया निदान ‘पांइट ऑफ सेल’ मशीन का बेहतर विकल्प होगा। उद्यमी अथवा कारोबारी वोडाफोन की एम-पैसा पे को डाउनलोड कर अपने ग्राहकों के साथ नकदीरहित लेनदेन कर सकेंगे।
सूद ने बताया, ‘हमने वर्ष 2013 में वोडाफोन एम-पैसा की शुरूआत करते हुये वित्तीय एवं डिजिटल समाधानों के क्षेत्र में यात्रा की शुरूआत की थी। इसके तहत अब तक देशभर में 84 लाख ग्राहकों ने इसे अपनाया और सितंबर 2016 तक 860 करोड़ रूपये का लेनदेन इसके जरिये किया है। करीब 1.30 लाख बिक्री केन्द्र इससे जुड़े हैं।’
गौैरतलब है कि सरकार के आठ नवंबर को 500 और 1,000 रूपये के नोट बंद कर देने के बाद से डिजिटल भुगतान से लेनदेन में काफी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही मोबाइल वॉलेट कंपनियों जैसे फ्रीचार्ज, पेटीएम, एम-पैसा के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है और उन्होंने अपनी गतिविधियां काफी तेज कर दी हैं।