Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने 67 वर्षीय किसान निकला 100 दिन के सफर पर

अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने 67 वर्षीय किसान निकला 100 दिन के सफर पर

Wednesday October 24, 2018 , 3 min Read

प्रमोद खुद अंगदानकर्ता हैं और उन्होंने अपनी एक किडनी दान कर रखी है। बीते रविवार को उन्होंने पुणे से अपने इस सफर की शुरुआत की। उनकी योजना देशभर में 10,000 किलोमीटर का सफर तय करना है।

प्रमोद महाजन

प्रमोद महाजन


 प्रमोद ने इस यात्रा का नाम 'भारत ऑर्गन यात्रा' रखा है। इस सफर का खर्च 'रीबर्थ' एनजीओ द्वारा उठाया जा रहा है। यह एनजीओ लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करता है।

हमारे देश में आमजन में अंगदान को लेकर इतनी भ्रांतियां हैं जिससे चाहते हुए भी कई लोगों की जान नहीं बच पाती। लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करने के लिए ही महाराष्ट्र के सांगली के रहने वाले 67 वर्षीय किसान प्रमोद महाजन 100 दिन के सफर पर निकले हैं। प्रमोद खुद अंगदानकर्ता हैं और उन्होंने अपनी एक किडनी दान कर रखी है। बीते रविवार को उन्होंने पुणे से अपने इस सफर की शुरुआत की। उनकी योजना देशभर में 10,000 किलोमीटर का सफर तय करना है। उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ सही रहा तो वे 15,000 किलोमीटर का सफर तय कर लेंगे।

पुणे में रविवार को केईएम अस्पताल में रीजनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (ROTTO) द्वारा प्रमोद का स्वागत किया गया। प्रमोद ने इस मौके पर बोलते हुए कहा, 'मैंने जिस व्यक्ति को अपनी किडनी दान की थी, अब उसकी शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी हैं। उसकी जिंदगी में 16 और साल जुड़ गए हैं। मुझे इससे ज्यादा खुशी नहीं मिल सकती कि मैंने किसी को जिंदगी दी है।' यदि ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान होने लग जाए, तो प्रतिवर्ष कई लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।

ROTTO प्रमुख डॉ. अस्ट्रिड लोबो गाजीवाला ने बताया कि बीते साल 114 लोगों ने अंगदान किया था। लेकिन यह संख्या काफी कम है इसलिए प्रमोद लोगों को जागरूक करने निकले हैं। प्रमोद ने कहा, 'बॉम्बे हॉस्पिटल में अपने ऑपरेशन के बाद मुझे कोई मुश्किल नहीं महसूस हुई। अब मैं अपने इस अभियान के जरिए देशहित में कुछ योगदान करना चाहता हूं।' प्रमोद ने इस यात्रा का नाम 'भारत ऑर्गन यात्रा' रखा है। इस सफर का खर्च 'रीबर्थ' एनजीओ द्वारा उठाया जा रहा है। यह एनजीओ लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करता है।

रिबर्थ के फाउंडर गणेश बकाले ने कहा, 'वैसे तो प्रमोद पेशे से किसान हैं, लेकिन अंगदान के प्रति उनके भीतर अलग ही जुनून है। उन्होंने काफी साल पहले खुद की किडनी दान कर दी थी। जिस व्यक्ति को उन्होंने किडनी दी थी वह सेना का जवान था।' अंगदान को लेकर आमजन में अभी भ्रांतियां हैं। इन्हीं में से एक यह भी है कि अंगदान के लिए शरीर के साथ चीरफाड़ करने से उसका स्वरूप बिगड़ जाता है। जबकि ऐसा नहीं है। वर्तमान में अनुभवी चिकित्सकों और आधुनिक तकनीक से अंग निकाले जाते हैं। जिसमें शरीर की बनावट नहीं बिगड़ती।

यह भी पढ़ें: केरल में अब मुस्लिम महिलाओं के फोरम ने मस्जिद में प्रवेश के लिए मांगा सुप्रीम कोर्ट से अधिकार