IIT रुड़की के पूर्व छात्रों ने शुरू किया एक ऐसा स्टार्टअप, जो दूर करेगा 5 अरब इंटरनेट उपभोक्ताओं की भाषायी मुश्किलें
Vernacular.ai एक ऐसा स्टार्टअप है जो व्यवसायिक तौर पर बहुभाषी (multi-lingual) चैटबॉट्स बनाने के लिए एनएलपी का उपयोग करता है और इस स्टार्टअप ने कालारी कैपिटल से अपने उद्यम की शुरुआत करने के लिए पूँजी का प्रबंध किया है।
IIT रुड़की के चार दोस्त - सौरभ गुप्ता, मनोज सारडा, अक्षय देशराज और प्रतीक गुप्ता का मानना है, कि बढ़ते मोबाइल इंटरनेट के उपयोग के साथ, भविष्य में 500 करोड़ भारतीयों को ऑनलाइन आने में मददगार बनाने के लिए कुछ करना चाहिए, साथ ही इस ऑनलाइन सामग्री के उपयोग का अनुभव एक बटन को दबाने जैसा आसान हो और इसी सोच ने नींव रखी Vernacular.ai स्टार्टअप की...
टीम @ Vernacular.aia12bc34de56fgmedium"/>
Vernacular.ai एक ऐसा स्टार्टअप है जो बहुभाषी ग्राहकों से एनएएलपी प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए उनकी भाषाओं में बातचीत करता है और इस प्रकार अधिक से अधिक ग्राहकों तक अपनी पैठ बढ़ाने में व्यापारियों की मदद करता है। ये व्यापारिओं के लिए बहुभाषी संवाद एजेंट के रूप में कार्य करता है।
IIT रुड़की के पूर्व छात्र और चार दोस्त (पांच साल से मित्र हैं) सौरभ गुप्ता, मनोज सारडा, अक्षय देशराज और प्रतीक गुप्ता ने जब देखा कि कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में, व्यवसायों ने डिजिटल चैनलों पर गैर अंग्रेजी बोलने वाले उपभोक्ताओं की उपेक्षा की जाती है, तो अच्छा नहीं लगा। उन्होंने ये महसूस किया कि लोगों की पहुंच इंटरनेट तक तो है, लेकिन वे उसका सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। इस प्रकार से बहुत से लोग इंटरनेट तक तो पहुंच रखते हैं, लेकिन उनकी पहुँच विषय या सामग्री तक नहीं हैं और फिर ऐसे में उन्होंने Vernacular.ai शुरू करने का फैसला किया।
ये भी पढ़ें,
रजनीश विश्नोई ने किसानों को बनाया आत्मनिर्भर
Vernacular.ai टीम के सदस्य सौरभ गुप्ता कहते हैं, कि 'समस्या की जटिलता भारतीय भाषाओं के मामले में बढ़ जाती है, क्योंकि भारतीय भाषाएँ आकृति विज्ञान में समृद्ध है। इसकी संवादात्मक बातचीत पाठ्यपुस्तक के नियमों से अलग होती है और बातचीत में अन्य भाषाओं का लगातार मिश्रण होता रहता है।' साथ ही वे ये भी कहते हैं, 'हम अग्रणी उद्योग सहभागियों और शिक्षाविदों के सहयोग से अपनी खुद की तकनीक का निर्माण कर रहे हैं।'
इस साल के शुरुआत में Vernacular.ai ने पहली बार अपना उत्पाद बी 2 सी के रूप में लॉन्च किया था। द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में रहने वाले लोगों के लिए हिंदी में एक निजी सहायक जैसे इस उत्पाद का नाम था- ऐशा। इस उत्पाद के प्रति लोगों में एक गहन आकर्षण देखा गया और छोटी अवधि में ही 50,000 उपयोगकर्ताओं ने दस 10 लाख से अधिक संदेशों का आदान-प्रदान किया।
Vernacular.ai के माध्यम से बी 2 बी व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है, जिससे संगठनों को बहुभाषी चैटबॉट्स बनाने में मदद मिल सकती है। इसकी प्रोद्यौगिक संरचना के दो मुख्य घटक हैं, Language Understanding (भाषा की समझ) और Deep Learning (गहरी सीख)।
Language Understanding: ये अर्थ, संदर्भ और कई भाषाओं में आने वाले संदेशों का मतलब निकालने के लिए अत्याधुनिक एनएलपी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है।
Deep Learning: गहरे और बड़े नेटवर्क डोमेन को साथ पहले से प्रशिक्षित किया जाता है, जो एंटरप्राइज़- विशिष्ट डेटा के साथ संवर्धित होता है ताकि चैटबॉट्स के लिए अधिकतम सटीक अर्थ प्राप्त किया जा सके।
ये भी पढ़ें,
BITS पिलानी ग्रेजुएट्स ने एक ग्रामीण स्कूल का किया कायाकल्प
सौरभ कहते हैं, कि 'हम वित्तीय संस्थानों के साथ इसके दिलचस्प उपयोगों पर भी काम कर रहे हैं, जिससे कि व्यापार को बढ़ाने, परिचालन व्यय को कम करने और ग्राहक की वफादारी और संतुष्टि को बढ़ाने का परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।'
माना जाता है कि भारत में 100 मिलियन से अधिक अंग्रेजी बोलने वाले हैं जो कि यहाँ की आबादी का करीब 10% है। हालाँकि हमें ये नहीं भूलना चाहिए, कि 'भारतीय लोक भाषाविज्ञान सर्वेक्षण' के अनुसार, भारत करीब 780 भाषाओं के साथ एक बहुभाषी राष्ट्र है।
मोबाइलस्पॉर्क्स 2015 में, Aspada इंवेस्टमेंट्स कि प्रमुख साहिल किनी ने कहा था, कि सभी ऑनलाइन सामग्री का 56 प्रतिशत अंग्रेजी में होता है। मोबाइल इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर आने वाले अगले 300 मिलियन प्रयोक्ताओं की बड़ी संख्या स्थानीय भाषाओं में सामग्री का उपयोग करना पसंद करेगी। अकेले ग्रामीण भारत के उपयोगकर्ताओं की संख्या 2018 तक 280 मिलियन तक पहुंच जाने का अनुमान है, जो कि लगभग संयुक्त राज्य की कुल आबादी के बराबर है। ये भी अनुमान लगाया गया है, कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट एक्सेस का 90 प्रतिशत मोबाइल फोन के माध्यम से ही होगा।
ये भी पढ़ें,
100 यंग ग्लोबल लीडर्स 2017 की लिस्ट में 5 भारतीय
इस प्रकार इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि कई खिलाड़ी स्थानीय भाषा के खेल में शामिल हो रहे हैं, जिसमें ShareChat (स्थानीय भाषाओं में भारत का पहला सोशल नेटवर्क) भी शामिल है, जिसने हाल ही में एसएआईएफ पार्टनर्स से सीरीज ए फंडिंग प्राप्त की है। Tiger-backed InShorts, Way2News और Hike (न्यूज) जैसे अन्य समाचार समूह भी स्थानीय भारतीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त डेलीहंट का भी नाम आता है, जिसने हाल ही में 25 मिलियन डॉलर की सीरीज डी से निवेश प्राप्त किया है।
बी 2 बी स्पेस पर ध्यान केंद्रित करना भी Aspada-backed Reverie Technologies है, जो कंपनियों को बहुभाषी मल्टीपल फ्रेंडली बनाती है।
फंडिंग के इस दौर में Vernacular.ai एक मजबूत उत्पाद के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रही है और वह अपनी तकनीकी टीम में और लोगों को नियुक्त करने की भी सोच रही है। सौरभ कहते हैं, 'हमारा दृष्टिकोण उन अरबों भारतीयों के लिए एक व्यापक मंच बनाना है, जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं और जिन तक केवल स्थानीय भाषाओं के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है। 1.3 अरब से अधिक लोगों के देश में, केवल 15 करोड़ लोग ही अंग्रेजी समझ सकते है। बाकियों के लिए, इंटरनेट काफी हद तक पहुंच के बाहर है। इसलिए हम इस समस्या के समाधान के लिए भारत-विशिष्ट उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं।'
जहाँ मोबाइल और इंटरनेट आज ज्यादातर लोगों तक तेजी से अपनी पहुँच बना रहा है, वही भाषा को लेकर इसमें आने वाली प्रमुख बाधा को दूर करने के लिए तकनीकी के माध्यम से किया जा रहा Vernacular.ai का ये अनूठा प्रयास भविष्य में उपभोक्ताओं के लिए अत्यंत मददगार साबित होगा।
-अनुवाद: प्रकाश भूषण सिंह