युद्धग्रस्त सीरिया में ‘लंगर ऐड’, रोज़ाना 14 हजार शरणार्थियों का पेट भरने की कोशिश
सिख समुदाय के कुछ सदस्य धार्मिक आतिथ्य की अपनी परंपरा का नमूना वर्तमान समय में विश्व कुछ सबसे दुर्गम और खतरनाक मानी जाने वाली जगहों में दिखा रहे हैं। ये लोग युद्धग्रस्त सीरिया की सीमा से करीब 5 मील दूर देश में चल रहे गृहयुद्ध के चलते लगातार पलायन करने को मजबूर लोगों के लिये संचालित हो रहे शरणार्थी शिविरों में रहने वालों के लिये किसी देवदूत से कम नहीं हैं। यूके स्थित एक एनजीओ ‘खालसा ऐड’ का ही एक विस्तार ‘लंगर ऐड’ इन शिविरों में एक बेकरी का निरंतर संचालन कर रहा है और प्रतिदिन करीब 14 हजार लोगों का पेट भर रहा है।
इस संगठन के स्वयंसेवक बीते लगभग एक वर्ष से व्यथित लोगों को खाना मुहैया करवाते हुए उनके भीतर एक नई आशा का संचार करने के प्रयास में लगे हुए हैं। हालांकि इसका प्रारंभ तो एक पारंपरिक और संपूर्ण लंगर के रूप में ही किया गया था लेकिन चूंकि इस कुर्दिश क्षेत्र में भोजन सामग्री काफी कम मात्रा में आ पाती है इसलिये स्वयंसेवकों को अपने पारंपरिक माॅडल में बदलाव करते हुए इसे सिर्फ एक बेकरी के रूप में संचालित करने पर मजबूर होना पड़ा।
इसके अलावा सीरिया के दूसरे छोर पर स्थित लेबनान-सीरिया की सीमा पर यह संगठन करीब 5 हजार स्थानीय बच्चों के लिये एक स्कूल का संचालन करके इन शरणार्थियों की मदद कर रहा है। टाइम्स आॅफ इंडिया के साथ एक साक्षात्कार में खालसा ऐड के सीईओ रवि सिंह कहते हैं, ‘‘हमारे हुलिये को देखते हुए अक्सर शरणार्थी हमें गल्ती से आईएस का सदस्य मान लेते हैं।’’ इस संगठन से जुड़े अधिकतर स्वयंसेवक यूरोप से आते हैं जिनके पूर्वज उत्तरी भारत के पंजाब क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे।
लेखकः थिंक चेंज इंडिया
अनुवादकः निशांत गोयल