15 अगस्त 2015 को पहली बार 10-12 साल के दो भाईयों ने जाना स्टार्टअप का मतलब, बनाया वेंचर, शुरू कर दिया 'स्मार्टअप इंडिया'
पीएम मोदी के स्वतंत्रता दिवस स्पीच में दोनों भाईयों ने पहली बार सुना स्टार्टअप शब्द...
अपने इंजीनियर पिता से दोनों भाईयों ने जाना स्टार्टअप का मतलब...
स्टार्टअप का मतलब जानने के बाद Indian homemade toys के नाम से शुरू किया वेंचर...
www.indianhomemadetoys.com पर दोनों भाईयों के बनाए खिलौने खरीदे जा सकते हैं..
क्या आपने किसी ऐसी कंपनी का नाम सुना है जहां CEO 12 साल का हो और CTO महज 10 साल का। पड़ गए ना हैरत में! इतना ही नहीं इन दोनों ने 16 जनवरी को पीएम मोदी द्वारा शुरु किए गए स्टार्टअप इंडिया का हिस्सा थे और विशेष आमंत्रण पर दिल्ली आए थे। इन दोनों के द्वारा भेजे गए वीडियो टीजर को विज्ञान भवन में पीएम मोदी द्वारा स्टार्टअप इंडिया के लॉन्च के ठीक पहले प्ले किया गया था जिसे 235 स्टार्टअप्स के द्वारा समिट किए गए वीडियो में से चुना गया था।
जी हां ये कहानी केरल के कोल्लम शहर से शुरु होती है, जहां अदभुद प्रतिभा के धनी दो भाईयों अभिजीत प्रेमजी और अमरजीत प्रेमजी ने महज 12 और 10 साल उम्र में अपना स्टार्टअप शुरु किया है जो उम्र बच्चों के खेलने कूदने की होती है उस उम्र में ये दोनों भाई स्टार्टअप की शुरुआत कर रहे हैं...ना केवल इन्होंने अपना स्टार्टअप किया बल्कि भारत भर के बच्चों के लिए इन दोनों का एक स्मार्ट आईडिया है और ये इसे "स्मार्टअप" का नाम देते हैं। इन दोनों की इस सफलता के पीछे इनके माता-पिता का योगदान है। मां प्रीथा प्रेमजीथ कॉलेज में प्रोफेसर हैं जबकि पिता मैकेनिकल इंजीनियर हैं।
दोनों भाईयों की इस सफलता के पीछे पीएम मोदी का लालकिले से दिया गया 15 अगस्त 2015 का वो भाषण है, जिसमें पीएम ने स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया की बात की थी। पीएम के इसी भाषण ने दोनों भाईयों को प्रेरित किया। पीएम के लंबे भाषण की वजह से दोनों बच्चों ने आपस में खेलना शुरु कर दिया था लेकिन जैसे ही पीएम ने स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप की बात की तो दोनों भाईयों ने अपने पिता प्रेमजीथ प्रभाकरन से पूछा कि ये क्या है...? दोनों ने अपने पिता से स्टार्टअप का मतलब जानना चाहा...तो पिता ने दोनों को स्टार्टअप का अर्थ समझाते हुए कहा था
"ऐसा कोई आईडिया जिसे आप आगे चलकर बिजनेस वेंचर में बदल सकें और निवेशक को अपने आइडिया में निवेश करने के लिए पिच कर सकें"
उसी वक्त दोनों भाईयों ने अपने स्टार्टअप का आइडिया सोच लिया और पिता से खिलौने के स्टार्टअप के बारे में कहा। हालांकि मां के ये पूछने पर कि कौन सा खिलौना बेचोगे...चाइनीज? इसपर दोनों ने तपाक से जबाव दिया....नहीं, जो खिलौने हम बनाएंगे वही बेचेंगे...।
और यहीं से Indian Homemade Toys (IHT) की स्थापना हुई। स्किल इंडिया के तहत 2022 तक मोदी जी का सपना 400 मिलियन युवकों को तैयार करना है उनमें से करीब 200 मिलियन स्कूली बच्चे होंगे और खिलौनों से जहां एक तरफ सभी बच्चे कनेक्ट होते हैं वहीं इसके माध्यम से इंडियन होम मेड टॉय (IHT) स्किल इंडिया, ड्रीम इंडिया, डिजाइन इंडिया, मेक इंन इंडिया, क्लीन इंडिया, डिजीटल इंडिया और ग्लोबल इंडिया को एक छतरी के नीचे लाकर स्मार्टअप इंडिया के लिए एक मजूबत आधारशीला रखना चाहती है।
एक आंकड़े के मुताबिक हम हर साल खिलौने के आयात पर करीब 2 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा खर्च करते हैं इस आयात में चीन का सबसे बड़ा हिस्सा है। इन खिलौने में से कई तो बच्चों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अच्छे नहीं होते। सो इन दोनों प्रतिभाशाली बच्चों के पिता प्रेमजी प्रभाकरन (प्रभाकरन को भारत सरकार के डिजिटल इंडिया में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार से प्रशस्ति पत्र दिया गया है) के मुताबिक इंडियन होम मेड टॉय ही इसका सबसे मजबूत समाधान दिखता है। इसके पीछे प्रेमजी प्रभाकरन का तर्क है कि हर बच्चे में कुछ ना कुछ इनोवेट करने की क्षमता होती है। प्रभाकरन जी बताते हैं कि आज के ये टॉय मेकर कल के भारत के टेकनॉलोजी मेकर हैं।
कंपनी के CEO अभिजीत प्रेमजी के मुताबिक,
IHT (Indian Homemade Toy) सिर्फ ऑनलाईन स्टोर ही नहीं, बल्कि बच्चों की क्रिएटीविटी के लिए एक सोर्स के जैसा है जहां बच्चे अपनी कल्पना को पंख दे सकते हैं।
वहीं अमरजीत प्रेमजी, जो कि कंपनी के CTO हैं के मुताबिक,
हमारा मिशन भारतीय बच्चों को तकनीकि इनोवेटर बनाने के लिए प्रेरित करना है इसलिए हमने, IHT (Indian Homemade Toy) को स्टार्टअप न कहकर स्मार्टअप का नाम दिया।
व्यापार के मौके
भारत में हर साल खिलौने के आयात की वजह से जो हजारों करोड़ का विदेशी मुद्रा खर्च होता है उसके बड़े हिस्से को बचाया जा सकता है। IHT के मुताबिक, खिलौने बनाने में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स जैसे-इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, प्लास्टिक व्हील्स, गियर बॉक्स, कनेक्टर्स, चीप, सोलर पैनल और कई सारी चीजें है जिनमें काफी बिजनेस के मौके हैं। IHT ऐसे खिलौना मेन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर बनाना चाह रही है जहां चाइल्ड फ्रेंडली के साथ-साथ इकोफ्रेंडली खिलौने का निर्माण हो सके। इसके लिए IHT की सोच अपने अंदर कम से कम 1000 स्टार्टअप बनाने की है ताकि पीएम मोदी के सपने का भारत स्किल भारत का निर्माण किया जा सके।
अमरजीत के मुताबिक-
शैक्षणिक संस्थान IHT के साथ मिलकर इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस कदम से Educational Toys बनाने में काफी मदद मिलेगी।
वहीं अभिजीत की सोच हैं कि टॉय मेकिंग को स्कूलों में नई शिक्षा नीति के तहत एडिशनल क्रिएटिव एक्टिविटी के तौर पर पढ़ाया जाए इससे बच्चों को काफी कुछ सीखने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं पिता प्रेमजीथ प्रभाकर इसमें काफी संभावना देखते हैं वो बताते हैं कि अगर ऐसी शिक्षा पद्धति से बच्चों के पढ़ाया जाए तो नवमीं-दसवीं में जाते-जाते बच्चे रोबोटिक्स के सिद्धांत पर कई ऐसी चीजों का निर्माण करने में सफल होंगे जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
पीएम मोदी जी के भारत को एक विकसित देश बनाने की योजना में खुद को शामिल करने की बात करने वाले अभिजीत और अमरजीत की योजना Indian Homemade Toy से होने वाले फायदे के एक बड़े हिस्से को देश में गरीब बच्चों की पढ़ाई को उपर खर्च करने की है जिससे कि भारत की स्थिति को एक विकसित देश में बदला जा सके।
ये दोनों भाई अपने मां और पिताजी को ऐसी सोच देने और कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद देते हैं। स्टार्टअप इंडिया में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित करने वाले सचिव अमिताभ कांत के लिए विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अब पीएम मोदी से मिलना उनका सबसे बड़ा सपना है। ये दोनों भाई पीएम से मिलकर स्मार्टअप इंडिया की योजना पर विस्तार से चर्चा करना चाहते हैं।