ऑटो ड्राइवर की बेटी पूनम टोडी ने टॉप की पीसीएस-जे की परीक्षा, बनेगी जज
अॉटो ड्राइवर की बेटी बनेगी जज...
पूनम के पिता अशोक टोडी ऑटो चलाकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूनम की सफलता पर गौरान्वित होकर उन्होंने कहा कि हर किसी की बेटी पूनम जैसी हो।
इसी हफ्ते बुधवार को उत्तराखंड पीसीएस-जे का रिजल्ट आया जिसमें पूनम ने अपनी सफलता का परचम लहरा दिया। पूनम ने अपने तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है।
अपने देश भारत में गुदड़ी के लालों की कमी नहीं है। हर एक परीक्षा में कुछ प्रतिभाएं ऐसी होती हैं जो कम संसाधनों में ही अपनी मेहनत से सफलता की इबारत लिख देती हैं। उत्तराखंड पीसीएस-जे रिजल्ट की टॉपर पूनम टोडी भी उन्हीं में से एक हैं। पूनम के पिता अशोक टोडी ऑटो चलाकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूनम की सफलता पर गौरान्वित होकर उन्होंने कहा कि हर किसी की बेटी पूनम जैसी हो। इसी हफ्ते बुधवार को उत्तराखंड पीसीएस-जे का रिजल्ट आया जिसमें पूनम ने अपनी सफलता का परचम लहरा दिया। पूनम ने अपने तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है।
इस परीक्षा को पास करने वाले प्रतियोगी जज का जिम्मा संभालते हैं। पूनम ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत सही नहीं है, लेकिन उसके बावजूद मुझे कभी कोई प्राइवेट नौकरी कर घर की जिम्मेदारी में हाथ बंटाने को नहीं कहा गया। बल्कि घरवालों ने तो मुझे पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित रहा। वे सब हर कदम पर मेरे साथ रहे।' पूनम ने पहले एमकॉम. किया था जिसके बाद लॉ की पढ़ाई की और फिर जज बनने के लिए तैयारी करने लगी।
पूनम अपने परिवार के साथ देहरादून के धर्मपुर में नेहरू कालोनी में रहती हैं। उन्होंने 2016 में परीक्षा दी थी तो उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी कि वह टॉप कर जाएंगी। यह होली उनके परिवार के लिए और भी खुशियों भरा रहने वाला है। इस मौके पर पूनम के माता-पिता ने उन्हें गुलाल भी लगाया। परिणाम से खुश उनकी मां लता टोडी ने कहा, 'मैं चाहती हूं हर मां को मेरी बेटी जैसी ही बेटियां मिलें, जो नाम ऊंचा कर सकें।' पूनम के पिता अशोक टोडी ने कहा, 'मेरी बेटी ने इसके लिए बहुत मेहनत की है। उसकी सफलता का श्रेय उसके भाइयों को भी जाता है।'
पूनम ने इसके पहले भी दो प्रयासों में लिखित परीक्षा पास की थी, लेकिन इंटरव्यू की बाधा से नहीं पार पाई। इस बार उसने अपनी प्रतिभा साबित कर दी। वह कहती हैं, 'मैं ईमानदारी से अपना काम करके समाज के वंचित तबके के लोगों को उनका हक दिलाऊंगी। मैं देश और प्रदेश की बाकी लड़कियों को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हूं।' पूनम के पिता ने कहा कि उन्होंने कभी बेटी और बेटों में फर्क नहीं किया। उन्होंने अपनी जरूरतों को कम करके बच्चों की पढ़ाई के लिए जो बन सका किया। उन्होंने कहा, 'अपने बच्चों के भविष्य के लिए हमने अपनी जरूरतों से समझौता कर लिया। अब पूनम की सफलता ने मुझे गर्व से भर दिया है। पूनम ने पूरे प्रदेश का नाम ऊंचा किया है।'
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