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सभी बंदिशों को तोड़ मुंबई की ऑटो ड्राइवर्स सड़कों पर लहरा रही हैं परचम

सभी बंदिशों को तोड़ मुंबई की ऑटो ड्राइवर्स सड़कों पर लहरा रही हैं परचम

Tuesday May 16, 2017 , 3 min Read

'अॉटो वाले भईया' तो आप लोगों ने सड़कों पर खूब देखे होंगे, लेकिन क्या कभी 'अॉटो वाली दीदी' के बारे में सुना है? नहीं न, तो फिर महाराष्ट्र जाने से पहले उनके बारे में जान लें, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने कुछ दिन पहले एक प्रशंसनीय कदम उठाते हुए वहां महिला अॉटो ड्रावर्स नियुक्त कर दी हैं। महाराष्ट्र सरकार का ये प्रयास महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए किया गया है। मुंबई की सड़कों पर महिला ड्राइवर्स के इशारों पर दौड़ रहे ये अॉटोरिक्शा पुरानी रुढ़ियों को खत्म करने की एक सकारात्मक शुरुआत हैं। इस योजना को सरकार ने पिछले साल 2016 में पेश किया था, जिसमें महिलाओं को रिक्शा परमिट में 5 प्रतिशत का आरक्षण भी प्रदान किया गया था।

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फोटो साभार: India Timesa12bc34de56fgmedium"/>

महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल 2016 में एक योजना पेश की थी, जिसमें महिलाओं को रिक्शा परमिट में 5 प्रतिशत का आरक्षण प्रदान किया गया था। मतलब साफ था, कि 465 महिलाओं को परमिट मिल सकता है, जिनमें से कुछ ने पिछले दिनों मुंबई में ऑटो रिक्शा चलाना शुरू करके एक अनोखी शुरुआत कर दी है।

ठाणे की औरतों पिछले साल से अॉटोरिक्शा चला रही हैं। सरकार का ये कदम उन औरतों के लिए एक बड़ी राहत की बात है, जिनके सामने केवल एकमात्र विकल्प घरों में बर्तन मांजना और झाड़ू-पोंछा करना ही होता है। घर में काम करने वाली बाईयों की न तो कोई इज्ज़त होती है और न ही उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा मिलती हैं। घर-घर जाकर झाड़ू-पोंछे के काम में औरतों का शोषण भी काफी होता है, जो कि काफी जोखिम का काम है। वो अपनी शर्तों पर नहीं बल्कि मालिक की शर्तों और पसंद पर काम करती हैं। लेकिन महाराष्ट्र सरकार की इस पहल ने कई ज़रूरतमंद औरतों की मदद करते हुए एक सराहनीय कम उठाया है। अॉटो ड्राइवर बनीं महिलाएं एक पेशे के रूप में ऑटो रिक्शा ड्राइविंग को अपना कर सभी तरह के सामाजिक कलंकों के खिलाफ लड़ते हुए अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं।

मुंबई की पहली महिला ऑटो रिक्शा चालकों में से एक और तीन बच्चों की माँ, छाया मोहिते का कहना है,

'ये काम घरेलू काम करने से काफी बेहतर है। मैं इस से अधिक धन कमा सकती हूं और ये हमारे भविष्य को सुरक्षित करने में भी हमारी मदद करता है। मैं कभी साइकिल भी नहीं चला सकती थी, लेकिन आज मैं ऑटो रिक्शा चला रही हूं। मैं आज अपने पैरों पर खड़ी हूं और ये बात मुझे बहुत ख़ुशी देती है।'

यहां ये बात उल्लेखनीय है, कि सरकार ने पहले एक 'पिंक टैक्सी' योजना शुरू की थी, जिसमें महिला यात्रिओं के लिए टैक्सी में महिला चालक ही होती है। लेकिन चूंकि मुंबई एक भीड़भाड़ वाला शहर है, इसलिए बहुत से लोग ऑटो से चलना पसंद करते हैं। इस वजह से ऑटो रिक्शा ड्राइविंग में महिलाओं को प्रशिक्षित करना एक तार्किक प्रयास है।

महिलाओं को परमिट देने के साथ ही सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है, कि महिला चालित ऑटो का रंग पुरुषों द्वारा चलाये जाने वाले ऑटो के रंग से अलग होगा, जिसकी मदद से ये सुनिश्चित किया जा सकेगा कि महिलाओं द्वारा संचालित ऑटो रिक्शा उनके पुरुष साथियों द्वारा नहीं लिया जा सके।

मुंबई की सभी महिला ड्राइवर्स को प्रशिक्षित करने वाले सुधीर ढोईपोडे को इन महिलों को ऑटो रिक्शा ड्राइविंग सिखाने में गर्व महसूस होता है। फिलहाल वे 40-50 और महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं और ख़ुशी की बात ये है कि 500 ​​अन्य महिलाओं ने परमिट लेने और शहर में ऑटो रिक्शा चालक बनाने में रुचि दिखाई है।

-प्रकाश भूषण सिंह