'लगे रहो मुन्ना भाई' और 'थ्री ईडियट्स' जैसी फिल्म लिखने वाले स्क्रिप्ट राइटर अभिजात जोशी
युवाओं के लिए साहित्य अब सिर्फ निठल्ला चिंतन नहीं रहा। इसके बूते अभिजीत जोशी जैसे पटकथा लेखक करोड़पति बन रहे हैं तो लाखों युवा प्रोफेसर, पत्रकार, अनुवादक, हिंदी अधिकारी के रूप में हर महीने लाखों रुपए कमा रहे हैं।
हिंदी भाषा और साहित्य के छात्र लिंग्विस्टिक का भी कोर्स कर अच्छी नौकरी पा सकते हैं। इसके साथ ही अगर हिंदी में अच्छी पकड़ है, तो क्रिकेट कमेंटरी से लेकर फैशन जगत व एड एजेंसी और एनजीओ में भी करियर बनाया जा सकता है।
साहित्य को जो लोग निठल्ला चिंतन, यानी बैठे-ठाले का काम मानते हैं, आज हालात वैसे नहीं रहे। हिंदी साहित्य में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए एजुकेशन सेक्टर और फिल्म इंडस्ट्री में करोड़पति बनने की संभावनाएं साकार होने लगी हैं। यदि पटकथा लेखक अभिजात जोशी सिर्फ एक पिक्चर की कहानी लिखकर तीन करोड़ रुपए कमा सकते हैं और कॉलेज-यूनिवर्सिटी के हिंदी के प्रोफेसर हर महीने लाखों की सैलरी ले सकते हैं तो कैसे मान लिया जाए कि साहित्य लिखना सिर्फ निठल्ला चिंतन है। इसके अलावा अनुवाद के क्षेत्र में भी हिंदी साहित्य के युवाओं के लिए बड़ी संभावनाएं पैदा हुई हैं।
आइए, पहले फिल्म पटकथा लेखन की दुनिया का जायजा लेते हैं। बॉलीवुड के नायक-नायिकाओं के साथ ही पटकथा लेखकों को भी सफलता के बाद उनकी मुंहमांगी फीस दी जा रही है। बॉलीवुड में इस वक्त सबसे महंगे पटकथा लेखक अभिजात जोशी हैं, जिन्हें एक फिल्म की पटकथा लिखने के लिए तीन करोड़ रूपये का पारिश्रमिक मिलता है। इसके साथ ही पांच स्टार होटल की सुविधा, जहां के एसी कमरों में बैठकर यह पटकथा लिखने का काम करते हैं। गौरतलब है कि अभिजात जोशी को पहली बडी सफलता विधु विनोद चोपडा के बैनर तले 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' में मिली थी, जिसकी पटकथा उन्होंने राजकुमार हिरानी के साथ मिलकर लिखी थी। इसके बाद विधु विनोद चोपड़ा के लिए 'लगे रहो मुन्नाभाई', 'थ्री इडियट' आदि फिल्मों की उन्होंने पटकथा लिखी। आमिर की राजकुमारी हिरानी निर्देशित 'थ्री इडियट' ने बॉक्स ऑफिस पर तीन सौ करोड़ का व्यवसाय करके अपने आप में एक ऐसा इतिहास लिखा है, जिसे फिलहाल हासिल करना किसी फिल्म के बस के बात नहीं।
वरिष्ठ आलोचक और मीडिया विशेषज्ञ सुधीश पचौरी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त सचिव जितेंद्र त्रिपाठी आदि का कहना है कि हिंदी साहित्य के छात्र बाजार की नई चुनौतियों से आराम से निपट सकते हैं, बशर्ते वे साहित्य के साथ-साथ मीडिया की ओर भी पहलकदमी करें। मीडिया अपने आप में ऊंची तनख्वाहों वाले रोजगार का अथाह भंडार बन चुका है। अब मीडिया और साहित्य दोनों को साथ-साथ पढ़ने वाले छात्र आराम से कॉलेज-यूनिवर्सिटी के अलावा मीडिया हाऊस में भी लाखों के वेतनभोगी बन सकते हैं। यह भी ध्यान देने की बात है कि अब हिंदी केवल राजभाषा तक ही सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बना रही है। चाहे वह अध्यापन का कार्य हो या कॉल सेंटर्स, टूरिज्म और इंटरप्रेटर का, सभी में अवसर ही अवसर हैं।
जहां तक स्किल का सवाल है, तो छात्र को हिंदी ऑनर्स या एमए करते समय भाषा की अच्छी समझ जरूरी है। हिंदी भाषा और साहित्य का अध्ययन एक गहन पठन-पाठन की प्रक्रिया है। पढ़ने-लिखने, विचार करने और किसी भी सिद्धांत और उसके व्यावहारिक पक्ष को समझने का भरपूर मौका इस क्षेत्र में मिलता है। प्रोफेसर मुकेश मानस का कहना है कि इसमें कविता, कहानी के अलावा मीडिया, अनुवाद और रचनात्मक लेखन जैसी कई चीजें हैं, जो करियर बनाने में मदद कर रही हैं। हिंदी से ऑनर्स करने वालों को नौकरी के लिए कोई दिक्कत नहीं। वे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो सकते हैं। आज ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जहां साहित्य के छात्र अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।
हिंदी से बीए व बीएड करने के बाद स्कूलों में हिंदी अध्यापक की नौकरी मिल जाती है। कॉलेज के स्तर पर अध्यापन करने वाले छात्रों को एमए के बाद एमफिल और पीएचडी करने के बाद कॉलेज में प्रवक्ता का पद मिल जाता है। पीएचडी होल्डर कॉलेज व विश्वविद्यालय स्तर पर देश में कहीं भी लेक्चरर की नौकरी पा सकते हैं। अध्यापन के लंबे अनुभव पर वे रीडर व प्रोफेसर भी बन सकते हैं। हिंदी से स्नातक करने वालों के लिए मीडिया एक बड़ा अवसर लेकर आया है। देश-विदेश में फैला यह जाल हिंदी के छात्रों को कई तरह से काम करने का अवसर प्रदान करता है। हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ होने के कारण छात्रों को पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश करने में आसानी होती है।
स्टूडेंट्स बीए या एमए के बाद पत्रकारिता का डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। यह कोर्स करने के बाद किसी भी पत्र-पत्रिका में रिपोर्टर, संपादक बन सकते हैं। भारत सरकार का करीब हर संस्थान अपने यहां से हिंदी में पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित करता है। इन पत्रिकाओं में प्रकाशन से लेकर संपादन तक में हिंदी के छात्रों की जरूरत पड़ती है। प्रिंट मीडिया के अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी हिंदी जानने वालों को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा रेडियो में भी साहित्यिक युवाओं के रोजगार के अनेक अवसर हैं। हिंदी के छात्रों के लिए विभिन्न बैंक राजभाषा अधिकारी की नियुक्ति कर रहे हैं। हिंदी भाषा अधिनियम का प्रावधान है कि सभी संस्थानों में हिंदी अधिकारी को रखना पड़ेगा। भारत सरकार व निजी संस्थानों में हिंदी अधिकारी के रूप में काम करने के बड़े अवसर सामने आ रहे है। देश-विदेश में सरकारी संस्थानों में हिंदी सलाहकार के रूप में भी काम करने का अवसर भी मिल रहा है।
हिंदी भाषा और साहित्य के छात्र लिंग्विस्टिक का भी कोर्स कर अच्छी नौकरी पा सकते हैं। इसके साथ ही अगर हिंदी में अच्छी पकड़ है, तो क्रिकेट कमेंटरी से लेकर फैशन जगत व एड एजेंसी और एनजीओ में भी करियर बनाया जा सकता है। आज के बढ़ते इंटरनेट और आधुनिकता के युग ने सारी दुनिया को एक साथ जोड़ दिया है। किसी भी देश के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से जुड़ कर आप अपनी बातें शेयर कर सकते है। जहां तक मोटी कमाई का सवाल है, स्क्रिप्ट राइटर के लिए काम की कोई कमी नहीं है। अगर साहित्य में रुचि रखने अथवा साहित्यिक लेखन में कोई युवा निपुण है तो शुरू में किसी शॉर्ट फिल्म आदि के लिए भी स्क्रिप्ट राइटिंग की जा सकती हैं। इंटरनेट के माध्यम से भी अपने दम पर भी लोगों को अपनी सेवाएं देकर अच्छी कमाई की जा सकती है। आमतौर पर लोग सभी तरह के लेखन को एक ही प्रकार का मान लिया जाता है, लेकिन हर तरह के लेखन का अपना एक अलग पैटर्न होता है। बस स्क्रिप्ट राइटिंग में लेखक को इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है कि वह सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि कहानी को फिल्माने के लिए लिख रहा है।
एक स्क्रिप्ट राइटर आमतौर पर एड के लिए जिंगल्स, टीवी सीरियल व फिल्मों के लिए राइटिंग करते हैं और हर स्वरूप में उसे अपनी कला का प्रदर्शन करना होता है। वर्तमान समय में, ऐसे जिंगल्स की डिमांड हैं, जो ग्राहकों के मन−मस्तिष्क में लंबे समय तक अपना प्रभाव छोड़ें। ठीक इसी तरह टीवी सीरियल्स व फिल्मों में भी एक स्क्रिप्ट राइटर अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करते हुए कहानी के रूख को मोड़ते हैं, जो दर्शकों को प्रभावित करती है। शुरुआती दौर में एक स्क्रिप्ट राइटर तीस से चालीस हजार रुपए महीना आराम से कमा सकता है।
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