Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

माता-पिता करवाने जा रहे थे बाल विवाह, बेटी ने थाने पहुंच रुकवाई शादी

हंसिका बनी मिसाल, पढ़ाई पूरी करने के लिए बिहार की पंद्रह साल की इस लड़की ने पुलिस की मदद से रुकवाई अपनी शादी...

माता-पिता करवाने जा रहे थे बाल विवाह, बेटी ने थाने पहुंच रुकवाई शादी

Wednesday July 25, 2018 , 5 min Read

नौंवी क्लास में पढ़ रही बिहार की पंद्रह वर्षीय छात्रा हंसिका के माता-पिता ने उसका बाल-विवाह रचाने की कोशिश की तो वह थाने पहुंच गई। पुलिस ने शादी रुकवा दी। हंसिका पढ़ाई पूरी कर पुलिस अफसर बनना चाहती है। साहस की दाद देते हुए बिहार प्रदेश सरकार उसे तीन अगस्त को 'बाल विवाह निषेध कानून' का ब्रांड अंबेसडर घोषित करने जा रही है। मंत्री के निर्देश पर शिक्षा विभाग उसे सम्मानित करेगा।

बाल विवाह रुकवाने वाली हंसिका

बाल विवाह रुकवाने वाली हंसिका


घर वालों का कड़ा रुख देखते हुए वह अपने क्षेत्र के बिहटा थाने पहुंच गई और उसने थाना प्रभारी रंजीत कुमार सिंह को पूरा वाकया बताया। उसने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि मेरी शादी रोकिए, वरना वह बड़े अधिकारियों से गुहार लगाएगी। उसे किसी भी कीमत पर पढ़ाई पूरी कर पुलिस अफसर बनना है।

बुजुर्गों की सीख से इनकार नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन कई बार ऐसे भी वाकये सामने आ जाते हैं कि उनके साथ कठोरता से पेश आना ही भविष्य के किसी बेहतर सपने का सबब बनता है। ऐसे में हमे हर बात पर अपने अनुभवों का दम भरते हुए नई पीढ़ी पर गुर्राना नहीं चाहिए, न अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करना चाहिए। बिहार में ऐसा ही कर रहे थे श्रीरामपुर, बिहटा (पटना) की नौवीं की छात्रा हंसिका के साथ उसके माता-पिता लेकिन इस साहसी और होनहार बालिका ने भी ऐसा कुछ कर दिखाया कि अब प्रदेश के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने उसको सम्मानित करने का अपने विभाग को निर्देश तो दिया ही, राज्य सरकार उसको बाल विवाह निषेध कानून का स्टेट अंबेसडर बनाने जा रही है।

वक्त इतना आधुनिक हो जाने के बावजूद आज भी तमाम मां-बाप कम उम्र में ही अपनी बेटियों की शादी कर देना चाहते हैं। इससे उनका भविष्य तो मझधार में फंसता ही है, मेधावी बेटियों की भी पढ़ाई-लिखाई छूट जाती है। ऐसे में किसी बच्ची के मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो, अभिभावक ही उसकी राह के सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं। पंद्रह वर्षीय हंसिका के एक भाई, पांच बहनों के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। पिता मनोज राठौर और मां लक्ष्मीनिया देवी मजदूरी कर बच्चों का भरण-पोषण करते हैं। अभी तक वह अपने ननिहाल में रहकर पढ़ रही थी। उसे मां-बाप ने तीन माह पूर्व अचानक अपने यहां बुला कर बिहटा के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में दाखिला करा दिया। कुछ दिन बाद बिना उसे बताए उसकी शादी भी तय कर दी।

बीती 20 जुलाई को भोजपुर के बखोरापुर स्थित माता मंदिर में उसकी शादी होनी थी। जब वर पक्ष लगन पान लेकर उसके घर पहुंचा तो ये जानकर हंसिका अवाक रह गई कि उसकी तो भोजपुर के बखोरापुर स्थित माता मंदिर में शादी होने जा रही है। उसने साफ अपने मां-बाप से यह कहकर वर पक्ष को लौटा दिया कि वह अभी शादी नहीं करेगी। उसे पढ़ाई करनी है। वह पुलिस अधिकारी बनकर देश सेवा करना चाहती है।

अपने इरादे पर अटल हंसिका की बात सुनकर उसके परिजन कुछ पल के लिए हतप्रभ रह गए। फिर हंसिका को डांटने, फटकारने लगे। घर वालों का कड़ा रुख देखते हुए वह अपने क्षेत्र के बिहटा थाने पहुंच गई और उसने थाना प्रभारी रंजीत कुमार सिंह को पूरा वाकया बताया। उसने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि मेरी शादी रोकिए, वरना वह बड़े अधिकारियों से गुहार लगाएगी। उसे किसी भी कीमत पर पढ़ाई पूरी कर पुलिस अफसर बनना है। इसके बाद थाना प्रभारी उसको लेकर उसके घर पहुंचे। उन्होंने उसके मां-बाप को समझाया कि अभी इसकी न उम्र शादी के लायक है, न यह अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर शादी करना चाहती है। परिवार वालों के चुप्पी साध जाने पर थाना प्रभारी ने चेतावनी दी कि अगर तुम लोगों ने हंसिका की शादी की तो तुम लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद परिजन मान गए और हंसिका की शादी की योजना धरी रह गई। थाना प्रभारी ने हंसिका के माता-पिता से लिखित में भी ले लिया कि अभी वे उसकी शादी नहीं करेंगे।

यह सारा वाकया जब मीडिया के माध्यम से प्रदेश के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा को पता चला तो उन्होंने हंसिका को सम्मानित करने का विभाग को निर्देश दिया। प्रदेश के मंत्री और अफसर हंसिका के हौसले की दाद दे रहे हैं। हंसिका ने छोटी उम्र में बच्चियों के हाथ पीले करने वालो को कड़ा संदेश दिया है। महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक डॉ. एन विजयलक्ष्मी ने घोषणा की है कि हंसिका को उसके साहसिक कदम के लिए सम्मानित किया जाएगा। वह कहती हैं कि बिहार में बाल विवाह निषेध कानून होने के बावजूद अभिभावक इस प्रकार के फैसले ले रहे हैं। यह चिंताजनक स्थिति है। छोटी-सी बच्ची ने अपनी शादी के खिलाफ बेमिसाल काम किया है। हमें उस पर फक्र है।

निगम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रूपेश सिन्हा का कहना है कि तीन अगस्त को मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की लांचिंग है। उस कार्यक्रम में ही हंसिका को राज्य सरकार की ओर से 'बाल विवाह निषेध कानून' का प्रदेश का ब्रांड अंबेसडर घोषित किया जाएगा। हंसिका कहती है कि वह पहले अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ बनकर दिखाएगी, उसके बाद शादी करेगी। उसकी बिना मर्जी के परिजनों ने शादी तय कर दी थी, जबकि वह अभी पढ़ना चाहती है। स्कूल में भी 'पहले पढ़ाई, फिर विदाई' के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है। केंद्र सरकार भी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान चला रही है।

यह भी पढ़ें: असम की ट्रांसजेंडर स्वाति बरुआ ने जज बनकर रच दिया इतिहास