एक मोबाइल ऐप के जरिए बचाई जा रही है गर्भवती महिलाओं की जान
मेडिकल साइंस की इतनी तरक्की के बावजूद, समय पर प्रेग्नेंसी से संबंधित जटिलताएं न पता चल पाने की वजह से महिलाओं को अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है। महाराष्ट्र के नासिक में इस तरह के बुरे अनुभवों से बचने के लिए तीन लोगों ने मिलकर एक मोबाइल हेल्थ प्लेटफॉर्म 'मातृत्व' विकसित किया है।
'मातृत्व' का पहला पायलट वर्जन 5 अगस्त, 2016 को क्षेत्रीय भाषा में महाराष्ट्र के अंबोली गांव के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर लॉन्च किया गया। साथ ही, बिना इंटरनेट के इसे इस्तेमाल करने की सुविधा भी दी गई। इसे 8 सब-सेंटर्स से जोड़ा गया।
गर्भवती होना और बच्चे को जन्म देना, हर महिला के जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है। यह अवसर जितना महत्वपूर्ण होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। कोई भी महिला नहीं चाहती कि प्रेग्नेंसी से संबंधित किसी भी तरह की दिक्कत पेश आए। मेडिकल साइंस की इतनी तरक्की के बावजूद, समय पर प्रेग्नेंसी से संबंधित जटिलताएं न पता चल पाने की वजह से महिलाओं को अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है। महाराष्ट्र के नासिक में इस तरह के बुरे अनुभवों से बचने के लिए तीन लोगों ने मिलकर एक मोबाइल हेल्थ प्लेटफॉर्म 'मातृत्व' विकसित किया है। इसके माध्यम से प्रेग्नेंसी से संबंधित जोखिमों का समय पर पता लगाया जाता है और महिला को अच्छे इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
मुंबई के जेजे हॉस्पिटल के एक सर्वे के मुताबिक, मैटरनल डेथ (प्रेग्नेंसी की वजह से मौत) के एक मामले के अनुपात में लगभग 9 महिलाएं मौत के मुंह से बचकर आती हैं। मातृत्व, इस अनुभव से महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य सिर्फ मैटरनल डेथ के मामलों को कम करने का नहीं बल्कि महिलाओं के इस अनुभव को जितना संभव हो सके, उतना सहज और खूबसूरत बनाने का भी है।
प्रितेश अग्रवाल (25), अभिषेक वर्मा (26) और गरिमा दोसर (26), तीन युवाओं ने मिलकर इसे विकसित किया है। इन तीनों की मुलाकात जनवरी, 2016 में टीसीएस के एक कैंप में हुई थी। इस कैंप के बाद ही तीनों साथ आए और उन्होंने गर्भवती महिलाओं और स्वास्थ्य कर्मचारियों से संपर्क करना शुरू किया। कैंप खत्म होने के बाद मार्च, 2016 में तीनों ने साथ मिलकर, एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डिजिटल इम्पैक्ट स्कवेयर (डीआईएसक्यू) के अंतर्गत अपने काम की शुरूआत की। यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, डिजिटल तकनीक के जरिए नए प्रयोगों को बढ़ावा देता है। इस दौरान ही तीनों ने प्रेग्नेंसी की जटिलताओं को कम करने के उद्देश्य पर शोध करना शुरू किया। टीम ने नासिक नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग का सहयोग भी लिया।
प्रितेश ने बताया, ''गहरे शोध के बाद कुछ बड़ी चुनौतियों के बारे में पता चला, जिन्हें जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत थी। शोध को सरकार, इंडस्ट्री और एनजीओ के विशेषज्ञों से प्रमाणित भी करवाया गया।'' टीम ने बताया कि इस प्लेटफॉर्म की मुख्य अवधारणा थी, गर्भवती को महिलाओं को उपयुक्त सुविधाएं उपलब्ध कराना, लेकिन प्लेटफॉर्म को बनाने में कई अहम चुनौतियों को ध्यान में रखना था। जैसे कि कई गांव ऐसे थे, जहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी लगभग न के बराबर थी और वहां पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की मूलभूत सुविधाएं भी नहीं थीं। इन चुनौतियों के निराकरण के लिए टीम ने स्थानीय दाइयों (गांवों में डिलिवरी कराने वाली महिलाएं), स्वास्थ्य कर्मचारियों और अधिकारियों से संपर्क किया और उनकी राय ली। प्रितेश बताते हैं कि प्लेटफॉर्म को यूजर फ्रेंडली बनाने पर खास ध्यान दिया गया।
'मातृत्व' का पहला पायलट वर्जन 5 अगस्त, 2016 को क्षेत्रीय भाषा में महाराष्ट्र के अंबोली गांव के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर लॉन्च किया गया। साथ ही, बिना इंटरनेट के इसे इस्तेमाल करने की सुविधा भी दी गई। इसे 8 सब-सेंटर्स से जोड़ा गया। ग्रामीण इलाकों की गर्भवती महिलाएं दाइयों की मदद से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराने के बाद, सारी जानकारी इस प्लेटफॉर्म पर दर्ज कराने लगीं। इस जानकारी के माध्यम से यह पता लगाना आसान हो गया कि किस महिला का गर्भ, कितनी जटिलताओं से घिरा है। इन जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए गर्भवती महिलाओं को उपयुक्त सलाह दी गई कि वह अपना ध्यान कैसे रखें।
पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों के आधार पर अप्रैल, 2017 में नासिक के जिला स्वास्थ्य कार्यालय के साथ-साथ 5 तालुकाओं में 'मातृत्व' की शुरूआत की गई। स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य सहयोगियों को इस प्लेटफॉर्म को चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। अगस्त, 2017 में प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, मातृत्व को नासिक जिले के 15 ब्लॉक्स तक फैला दिया गया। जोखिम का पता चलते ही गर्भवती महिला को मेडिकल ऑफिसर के पास परामर्श के लिए भेजा जाता है, जहां उसकी ठीक तरह से जांच होती है और उचित सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। प्रितेश कहते हैं कि प्रेग्नेंसी में मदद के साथ-साथ इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाओं को तकनीक के करीब लाया जा रहा है और उन्हें पहले से कहीं अधिक सशक्त बनाया जा रहा है। हाल में, 1000 उपभोक्ता, 500 ग्रामीण महिला कर्मचारी मातृत्व के साथ जुड़े हुए हैं। 'मातृत्व' की टीम की योजना है कि इस प्लेटफॉर्म में रेफरल मॉड्यूल जैसे कुछ और फीचर्स भी जोड़े जाएं।
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