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आठ साल बाद विदेश से लौटी नागालैंड की इस महिला उद्यमी ने अपने प्राकृतिक साबुन के साथ मचा दी धूम

आठ साल बाद विदेश से लौटी नागालैंड की इस महिला उद्यमी ने अपने प्राकृतिक साबुन के साथ मचा दी धूम

Thursday July 23, 2020 , 2 min Read

इन साबुनों की पैकिंग भी बेहद खास है जो पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है, क्योंकि साबुन की पैकिंग के लिये रिसाइकल हो सकने वाले कागज का उपयोग किया जाता है।

(चित्र साभार: द बेटर इंडिया)

(चित्र साभार: द बेटर इंडिया)



आठ सालों बाद अपने वतन लौटी नागालैंड की महिला उद्यमी अकितोली शू ने प्रकृति के साथ जुडते हुए लोगों के सामने कुछ बेहद खास ऑफर किया है। शू ने विदेश में अपनी अपनी पढ़ाई के बाद यूएस और यूके में पोषण विशेषज्ञ के तौर पर नौकरी की, हालांकि वो अपने पिता के रबर बागान को मैनेज करने में मदद करने के उद्देश्य से वापस भारत आ गई।


प्रकृति के साथ इतनी निकटता ने अकितोली के लिए उद्यमिता के नए रास्ते खोल दिये। इसी दौरान उन्होने दैनिक जीवन में उपयोग में लाये जाने वाले तमाम सामान जिसमें केमिकल का उपयोग होता है उनके बारे में सोचना शुरू किया, इस दौरान उनका पहला ध्यान साबुन पर गया।


शुरुआती दौर में उन्होने अपने इस्तेमाल के लिए प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल करते हुए घर पर ही साबुन बनाने का काम किया, हालांकि बाद में उनकी इस पर रिसर्च आगे बढ़ी और साल 2014 में उन्होने एंग्री मदर सोप कंपनी की स्थापना कर डाली।


द बेटर इंडिया के अनुसार, वह इन ऑर्गैनिक साबुनों के निर्माण लिए नारियल, लेमनग्रास, जैतून, बादाम के कोल्ड-प्रेस खाद्य तेलों का उपयोग करती हैं, जिसमें लैवेंडर, सीडरवुड, लोबान के तेलों का भी उपयोग किया जाता है।


एंग्री मदर सोप कंपनी का स्टोर

एंग्री मदर सोप कंपनी का स्टोर (चित्र: फेसबुक/@theangrymothersoapco)




उन्होने अब तक 35,000 से अधिक साबुन बेचे हैं और उसका सालाना कारोबार 6 लाख रुपये के करीब है। अपने साबुनों की अलग अलग क़िस्मों के लिए वो लगातार रिसर्च करती रहती हैं। आज वह 22 अलग-अलग किस्म के साबुनों का निर्माण करती हैं।


इन साबुनों की पैकिंग भी बेहद खास है, जो पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है, क्योंकि साबुन की पैकिंग के लिये रिसाइकल हो सकने वाले कागज का उपयोग किया जाता है। इन कागजों का निर्माण यहीं पर किया जाता है, जिस पर लोकल आर्टिस्ट कलाकृति भी बनाते हैं।


अकितोली कुत्तों के लिए भी खास तरह के साबुनों का निर्माण करती हैं जिसमें जैतून, नारियल, शीया मक्खन, चावल की भूसी, अरंडी, नीम और आवश्यक तेलों का एक ऑर्गैनिक मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है।