ये काम कर लिए तो रुक जाएगा कोरोना और समय रहते देश को मिल पाएगा छुटकारा
कोरोना वायरस संक्रमण मामलों में कमी लाने के लिए कुछ जरूरी कदमों के उठाए जाने की आवश्यकता है। देश में 3 मई तक लॉकडाउन जारी है लेकिन इसके पहले संक्रमण के मामलों में कमी आना आवश्यक है।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के बीच पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया है। देश में कोरोना वायरस मामलों की संख्या 10,541 तक पहुँच गई है। इस दौरान चले 21 दिनों के लॉकडाउन के बावजूद देश में कोरोना वायरस मामलों में कमी देखने को नहीं मिली, जिसके चलते सरकार ने यह कदम उठाया है।
अपने सम्बोधन में पीएम मोदी ने यह जरूर कहा है कि जिन इलाकों में कोरोना संक्रमण का एक भी मामल सामने नहीं आता है उन इलाकों में 20 अप्रैल से सशर्त छूट दी जा सकती है। देश में कोरोना वायरस के मामलों में कमी लाने के लिए हर स्तर पर विचार करने और एक्शन लेने की जरूरत है। आज देश समय रहते कोरोना वायरस को हराने के लिए इन पाँच कदमों के साथ आगे बढ़ सकता है।
बुजुर्गों और बीमार का ख्याल जरूरी
60 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को पुरानी बीमारियों खासकर मधुमेह या हृदय रोग से पीड़ित हैं, उनके कोरोना वायरस की चपेट में आकर बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना काफी अधिक है। ऐसे व्यक्तियों को फौरन अस्पताल ले जाने और वेंटिलेटर पर रखने की नौबत भी आ सकती है। ऐसे स्थिति में विशेष कर बुजुर्ग व्यक्तियों को आइसोलेशन में रखने की आवश्यकता है।
इस दौरान बुजुर्ग सामाजिक जुड़ाव जरूर रख सकते हैं, लेकिन उन्हे इसके लिए सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करना अनिवार्य है। यदि बुजुर्ग इस बीमारी की चपेट में नहीं आते हैं, तो देश के हेल्थकेयर सिस्टम पर भी दबाव कम पड़ेगा और भारत ज्यादा प्रभावी रूप से कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में आगे बढ़ सकेगा।
हेल्थकेयर का दायरा बढ़े
कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इलाज सिर्फ बड़े अस्पतालों में नहीं किया जा सकता है। देश में जिस तेजी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं देश को बड़े हेल्थकेयर सिस्टम की आवश्यकता है। इस दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मचारी से लेकर रिटायर हो चुके डॉक्टरों को भी आगे आकर अपनी सेवाएँ देनी होंगी। कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में हेल्थकेयर वर्कर्स को समय रहते खास ट्रेनिंग की भी आवश्यकता है।
देश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए अधिक से अधिक बेड का प्रबंध करने की आवश्यकता है। हेल्थकेयर सिस्टम को बुनियादी तौर पर मजबूर कर हम कोरोना वायरस संक्रमण का डटकर मुक़ाबला कर सकते हैं।
वैकल्पिक उपायों पर भी काम हो
वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए वैक्सीन के निर्माण में अभी महीनों का समय है, ऐसे में देश को वैकल्पिक साधनों की ओर बढ़ना चाहिए। जानने की जरूरत है कि क्या एंटीवायरल या एंटीपैरासिटिक दवाएं इस दौरान कारगर हैं?
इस तो साफ है कि कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में वेंटिलेटर एकलौता विकल्प नहीं है। इस दौरान ऑक्सिजन थेरेपी पर भी काम किया जा सकता है। ऑक्सिजन थेरेपी सस्ती होने के साथ ही आसानी से उपलब्ध भी है। WHO ने भी कोविड-19 के चलते सांस संबंधी तकलीफ़ों को ध्यान में रखते हुए ऑक्सिजन थेरेपी को भी अपने दिशानिर्देशों में जोड़ा है।
और अधिक टेस्ट हों
जिन देशों में कोरोना वायरस संक्रमण के सर्वाधिक मामले पाये गए हैं वहाँ टेस्ट भी बड़ी मात्रा में किए गए हैं। भारत में अभी 2 लाख से कुछ अधिक टेस्ट जो पाये हैं, जिनमें कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की संख्या 10 हज़ार पार कर चुकी है, ऐसी स्थिति में देश को टेस्ट करने की गति और संख्या बढ़ानी होगी। इसी के साथ रैंडम टेस्ट की योजना पर भी काम करना होगा।
गौरतलब है कि आइसलैंड में कोरोना वायरस के बड़ी संख्या में ऐसे भी मामले सामने आए थे जिनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण ही दिखाई नहीं दिये थे। इस स्थिति से बचने के लिए आवश्यक है कि देश में बड़ी संख्या में रैंडम टेस्ट भी किए जाएँ।