सरकार ने अगले दो वर्षों के लिए रबर क्षेत्र का समर्थन 23% बढ़ाकर 708 करोड़ रु किया
वित्तवर्ष 24-25 और वित्तवर्ष 25-26 के लिए रबर क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता 23 प्रतिशत बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपये कर दी गई है.
'प्राकृतिक रबर क्षेत्र के सतत और समावेशी विकास' के अंतर्गत रबर क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता अगले 2 वित्तीय वर्षों (2024-25 और 2025-26) के लिए 576.41 करोड़ रुपये से 23 प्रतिशत बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपये कर दी गई है.
रबर उद्योग को समर्थन देने के लिए, 2024-25 और 2025-26 के दौरान 43.50 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पारंपरिक क्षेत्रों में 12,000 हेक्टेयर में रबर का रोपण किया जाएगा. इसके लिए सहायता दर पहले के 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दी गई है. इससे उत्पादन की बढ़ी हुई लागत को कवर करने में मदद मिलेइलने के साथ ही साथ ही उत्पादकों को रबर लगाने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन भी मिलेगा. इसी अवधि के दौरान 18.76 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में 3752 हेक्टेयर क्षेत्र को रबर की खेती के अंतर्गत लाया जाएगा.
रबर बोर्ड द्वारा 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मूल्य की रोपण सामग्री की आपूर्ति की जाएगी. यह उत्तर पूर्व में समर्थित विकास हेतु भारतीय प्राकृतिक रबर संगठन (इंडियन नेचुरल रबर आर्गेनाईजेशन्स फॉर असिस्टेड डेवलपमेंट - INROAD) परियोजना के अंतर्गत किए जा रहे वृक्षारोपण के अतिरिक्त होगा. गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के उत्पादकों के लिए 2,00,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से रोपण सहायता प्रदान की जाएगी.
अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री (नया घटक) पैदा करने के लिए गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में बोर्ड द्वारा प्रायोजित नर्सरी को बढ़ावा दिया जाएगा. ऐसी 20 नर्सरियों को 2,50,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी.
सरकार उत्पादित रबर की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कई उपायों की योजना बना रही है. इस दिशा में, 67,000 हेक्टेयर (पारंपरिक में 60,000, गैर-पारम्परिक में 5000 और पूर्वोत्तर में 2000) क्षेत्र में बारिश से बचाव और 22,000 हेक्टेयर (पारंपरिक में 20,000 और गैर-पारम्परिक में 2000) में पौधों की सुरक्षा (छिड़काव) के लिए सहायता प्रदान की जाएगी. अगले दो वर्षों में इसके लिए 35.60 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है.
इसके अतिरिक्त यह योजना रबर उत्पादकों के सशक्तिकरण के लिए रबर के छोटे धारकों जैसे रबर उत्पादक समितियों के मंचों को बढ़ावा देती है. अगले दो वर्षों में लगभग 250 नए आरपीएस के गठन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी. इस सहायता का पैमाना 3000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है और इससे हितधारकों के समग्र लाभ के लिए किसान शिक्षा, सेमिनार, समूह बैठकें, क्षमता निर्माण गतिविधियां, एक्सपोजर विजिट, मॉडल फार्म और अन्य गतिविधियों का समर्थन करने में सहायता मिलेगी. गैर-पारंपरिक और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में अन्य 1450 किसान समूहों के गठन का समर्थन किया जाएगा. रबर उत्पादकों को रबर उत्पादक समितियों में संगठित करने से उत्पादकों द्वारा उत्पादित रबर की कीमत वसूली में सुधार करने में भी सहायता मिलेगी.
55 रबर उत्पादक समितियों को लेटेक्स संग्रह और डीआरसी परीक्षण उपकरण के लिए प्रति आरपीएस 40,000 रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी. कृषि मशीनीकरण और स्प्रेयर/डस्टर खरीदने के लिए आरपीएस को सहायता दी जाएगी. 180 उत्पादक समितियों को प्रति आरपीएस 30,000 रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी. रबर शीट की गुणवत्ता और मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए समूह प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है. उत्तर पूर्व और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में 18 जीपीसी के निर्माण का समर्थन किया जाएगा.
पारंपरिक क्षेत्र में 10 जीपीसी के निर्माण का समर्थन किया जाएगा. वर्तमान जीपीसी को टनल स्मोक हाउस की स्थापना, भट्टी के नवीनीकरण, शीटिंग बैटरी को बदलने , बायो गैस प्लांट की ओवरहालिंग, ट्रॉली रैक, प्रेशर वॉशर, टेट्रा पैन और सोलर ड्रिपिंग सुविधा की खरीद के माध्यम से आधुनिकीकरण करने का प्रस्ताव है. 77 जीपीसी (पारंपरिक क्षेत्र में 50, गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में 2 और उत्तर पूर्व में 25) को सहायता प्रदान की जाएगी. समूह प्रसंस्करण केंद्रों के लिए अतिरिक्त धूम्रपान गृहों (स्मोक हाउसेस) की स्थापना और प्रवाह उपचार प्रणालियों (एफ़्लुएंट ट्रीटमेंट सिस्टम) की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जाएगी. 79 जीपीसी (अतिरिक्त स्मोक हाउस-37 नग और एफ्लुएंट ट्रीटमेंट-42 नग) के लिए सहायता प्रदान की जाएगी.
रबर अनुसंधान को वित्तपोषित करने के लिए अगले दो वर्षों के लिए 29.00 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रदान किया गया है. इसका उद्देश्य देश में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रबर की खेती को नए क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त रबर क्लोन विकसित करना होगा. इसमें हर साल वर्ष संकर पौधों की वृद्धि, उत्पादकता और रोग सहनशीलता का मूल्यांकन करने के लिए जर्मप्लाज्म का संरक्षण, पौधे प्रजनन और व्यापक बहु-स्थानीय क्षेत्र परीक्षण शामिल हैं.
रबर उत्पादकों को सेवा वितरण में सुधार लाने के उद्देश्य से रबर बोर्ड अपने डिजिटलीकरण प्रयासों को तेज करेगा और अपने मोबाइल आधारित ऐप्स के माध्यम से तीव्र एवं त्वरित सेवाएं प्रदान करने के साथ ही जियो-टैगिंग आदि के लिए ड्रोन का उपयोग करेगा. रबर बोर्ड के समग्र डिजिटलीकरण के लिए 8.91 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है.
पूर्वोत्तर क्षेत्र अगरतला, गुवाहाटी और नागालैंड में राष्ट्रीय रबर प्रशिक्षण संस्थान (नेशनल रबर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट-एनआईआरटी) के ऐसे तीन नोडल केंद्रों की स्थापना अगले दो वर्षों में 5.25 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रस्तावित की गई है, जिनका उद्देश्य मुख्य रूप से उत्पाद निर्माण और गुणवत्ता नियंत्रण में प्रशिक्षण प्रदान करके इस क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमईएस) को बढ़ावा देना है. 2024-25 और 2025-26 के दौरान देश भर में कुल 712 प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र के 3800 व्यक्तियों सहित 10,700 व्यक्तियों को लाभ होगा.
श्रमिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने, वर्तमान में पेड़ों से प्राकृतिक रबर एकत्र करने वाले (टैपर्स) / श्रमिकों को बनाए रखने और अधिक टैपरों, विशेषकर महिला टैपरों को आकर्षित करने के लिए कल्याणकारी उपाय लागू किए गए हैं. अगले दो वर्षों के लिए 7.02 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शैक्षिक छात्रवृत्ति , महिला सशक्तिकरण योजनाएं, गृह निर्माण के लिए सहायता, समूह जीवन बीमा-सह -टर्मिनल लाभ, व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना और पेंशन योजना जैसे विभिन्न उपायों के प्रावधान किए गए हैं.