लाल किले पर दशहरा समारोह में नहीं जलाये जाएंगे पटाखे
दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए आयोजकों ने उठाया आतिशबाजी की परंपरा खत्म करने का कदम
नयी दिल्ली, लाल किला के मैदान में दिल्ली के प्रसिद्ध लवकुश रामलीला में इस बार रावण दहन में आतिशबाजी का इस्तेमाल नहीं होगा।
आयोजकों ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए आतिशबाजी की परंपरा खत्म करने का कदम उठाया है। वैसे पटाखे छूटने की आवाज स्पीकर से निकाली जाएगी।
लवकुश रामलीला के एक आयोजक अर्जुन कुमार ने सोमवार को कहा,
‘‘ हम प्रदूषण के खिलाफ संदेश देना चाहते हैं। रावण का दहन तो होगा लेकिन पटाखों की आवाज स्पीकर के माध्यम से सुनायी जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि रावण, उनके बेटे मेघनाथ और भाई कुंभकरण के पुतलों की ऊंचाई भी 125 फुट से घटाकर 60 फुट कर दी गयी है।
उधर दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के द्वारका के सेक्टर-10 में रावण दहन के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम को लेकर सभी सुरक्षा ऐजेंसियां तैयार हो गई हैं। बता दें कि 8 अक्टूबर को देशभर में रावण दहन का कार्यक्रम किया जाएगा। इसमें रावण के साथ साथ मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाएगा।
माना जाता है कि दशहरा के दिन भगवान राम ने लंका के राज रावण का वध किया था और अपनी पत्नी सीता को उसकी कैद से आजाद किया था। इसके बाद से ही हर साल ये त्यौहार बड़ी धूमधाम से सभी धर्मों के बीच मनाया जाता है।