दिल्ली में लगा पहला ‘स्मॉग टावर’, 750 मीटर तक मिलेगी शुद्ध हवा
प्रदूषण से हाँफती दिल्ली में पहले ‘स्मॉग टावर’ की स्थापना लाजपत नगर में हुई है। इस टावर को गौतम गंभीर फ़ाउंडेशन की मदद से व्यापारियों ने लगवाया है, इसके लिए सरकार की ओर से कोई मदद नहीं की गई है।
भीषण प्रदेशन से हाँफ रही दिल्ली के लोगों को थोड़ी राहत की सांस मिलने की उम्मीद जगी है। दिल्ली के लाजपत नगर में राजधानी का पहला ‘स्मॉग टावर’ लगाया गया है, जिसका संचालन शुक्रवार से तय है। इस ‘स्मॉग टावर’ को लाजपत नगर बाज़ार में स्थापित किया गया है, जिसके तहत रोजाना 15 हज़ार से अधिक लोगों को साफ हवा मुहैया हो सकेगी।
सरकारी मदद से नहीं लगा टावर
गौरतलब है कि राजधानी के इस पहले ‘स्मॉग टावर’ को स्थापित करने में कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, बल्कि इसकी स्थापना लाजपत नगर ट्रेडर्स एसोसिएशन और गौतम गंभीर फ़ाउंडेशन द्वारा की गई है।
7 लाख रुपये है लागत
इस ‘स्मॉग टावर’ को 7 लाख रुपये की लागत से स्थापित किया गया है, गौरतलब है कि इसके संचालन में 30 हज़ार रुपये का मासिक खर्च आयेगा, जिसे क्षेत्र के व्यापारी खुद ही वहन करेंगे। टावर की स्थापना में सांसद गौतम गंभीर की तरफ से भी मदद की गई है।
750 मीटर के दायरे में हवा होगी साफ
‘स्मॉग टावर’ की मदद से 750 मीटर के दायरे में लोगों को स्वच्छ हवा मिल सकेगी। यह टावर एक दिन में 2 लाख 50 हज़ार से 6 लाख क्यूबिक मीटर तक हवा को शुद्ध करने का काम करेगा। टावर के भीतर स्थापित की गई मशीन प्रदूषण के प्रमुख कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 पार्टिकल्स को करीब 80 प्रतिशत तक कम करने का काम करेगी, जिसके चलते स्थानीय बाज़ार में शुद्ध हवा का संचार हो सकेगा।
20 फीट है टावर की ऊंचाई
लाजपत नगर मार्केट में स्थापित इस टावर की ऊंचाई 20 मीटर की है, गौरतलब है कि उत्तरी चीन के शांग्सी प्रांत में भी साल 2018 में एक ‘स्मॉग टावर’ स्थापित किया गया था, जिसकी ऊंचाई 328 मीटर है, हालांकि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए 50 से अधिक ऐसे ‘स्मॉग टावर’ की आवश्यकता है।
कैसे काम करता है ये एयर प्यूरीफायर?
सबसे पहले प्रदूषित हवा को टावर में बने ग्लास हाउस में इकट्ठा किया जाता है, फिर हवा को ऊर्जा कि मदद से गर्म किया जाता है, जिसके बाद यह हवा ऊपर उठकर टावर में लगे फिल्टर्स से गुजरकर साफ होती है।