विमान से अकेले अटलांटिक महासागर पार करने वाली पहली महिला आरोही
'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है', ये लाइनें पहली भारतीय महिला पायलट मुंबई की 23 वर्षीय कैप्टन आरोही पंडित पर हू-ब-हू सटीक बैठती हैं। चार साल की उम्र में ही आरोही ने ऐसी उड़ान भरने का सपना देखा था।
'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है', ये लाइनें पहली भारतीय महिला पायलट मुंबई की 23 वर्षीय कैप्टन आरोही पंडित पर हू-ब-हू सटीक बैठती हैं। स्पोर्ट एयरक्राफ्ट माही, जो, एक छोटा से सिंगल इंजन साइनस 912 जहाज है और चार सौ किलोग्राम से थोड़ा ज्यादा है, उससे दुनिया की सैर करती हुई सौ दिनो के भीतर तीन हजार किलोमीटर अकेली अटलांटिक महासागर पार करने वाली आरोही विश्व की पहली उड़ाकू महिला बन गई हैं।
इसके लिए उड़ान पूर्व आरोही ने सात महीने ग्रीनलैंड, सर्बिया, इटली में अभ्यास किया था। अब उनकी कनाडा से रूस जाने और भारत लौटने के समय तक उनके कई नए रिकॉर्ड बनाने की उम्मीद की जा रही है। दुनिया की सैर करने का ख्वाब तो बहुत से लोग पालते हैं और सैर करते भी हैं, लेकिन अगर कोई खुद एयरक्राफ्ट उड़ाकर इस सैर को पूरा करने की ठाने तो उसके हौसले को सलाम करना चाहिए। इसी सलाम की हकदार आरोही पंडित के साथ उड़ान भरने वाली पचीस वर्षीय किथियर मिस्क्विटा भी हैं। दोनों ने मही पर सवार होकर दुनिया घूमने की योजना बनाई और उसे अब पूरा कर दिखाया है। आरोही ने तो चार साल की उम्र में ही पायलट बनने का सपना देख लिया था। आरोही मुंबई फ्लाइंग क्लब से एविएशन में बैचलर्स की पढ़ाई के दौरान किथियर की सहेली बन गईं। उड़ान भरने से पहले दोनो सहेलियों ने अपने इस मिशन का नाम डब्ल्यूई यानी 'वुमन इम्पावरमेंट' रखा था।
आरोही कहती हैं- 'अटलांटिक के ऊपर करीब साढ़े पांच घंटे की यह उड़ान इतनी खूबसूरत थी कि शुरुआती आधे घंटे तक तो मेरे चेहरे से मुस्कान हट ही नहीं पाई। जब ग्रीनलैंड के एक द्वीप से उड़ान गुजर रही थी, करीब दो सौ फुट की ऊंचाई पर उनको बहुत तेज झटका लगा और उनका एयरक्राफ्ट समुद्र की ओर सौ फुट नीचे उतर आया। उस समय लगा जैसे किसी ने सिर में गोली मार दी हो। कॉकपिट में रखीं सारी चीजें तितर-बितर हो गईं। टर्बुलेंस कुछ ज्यादा ही तेज था और मुझे वापस लौटना पड़ा। दो हफ्ते तक इंतजार के बाद महज दो घंटे की उड़ान के बाद वापसी से मन उदास जरूर हुआ, लेकिन वे हौसले से डिगी नहीं।
आज तो वह अपने को बेहद सम्मानित और खुश महसूस कर रही हैं कि वह अपने देश के लिए ऐसा कर पाने वाली पहली महिला बन गई हैं। अटलांटिक महासागर के ऊपर से जाना बेहद शानदार अनुभव रहा। वहां सिर्फ मैं, छोटा सा प्लेन और नीला आसमान था और नीचे नीला समंदर।' माही देश का पहला रजिस्टर्ड लाइट स्पोर्ट्स एयरक्राफ्ट है। इसका इंजन मारुति की बलेनो जितना पावरफुल है और यह 215 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इसका कॉकपिट करीब-करीब एक ऑटो जितना बड़ा है, जिसमें दो लोग बैठ सकते हैं। आरोही और किथियर ने इसे माही नाम इसलिए दिया क्योंकि संस्कृत में इस शब्द का मतलब है पृथ्वी। दोनों का सपना था कि वे आसमान से धरती का मुआयना करें।
यह ऐतिहासिक उड़ान प्रायोजित करने वाली 'सोशल एसेस' के प्रमुख लियन डीसूजा बताते हैं कि यह उनकी एक साल से पहले शुरू की वैश्विक जहीज योजना का हिस्सा है, जो उन्होंने अपनी दोस्त केथर मिसक्वेटा के साथ 30 जुलाई को लांच की थी। वह 30 जुलाई 2019 को भारत लौट रही हैं। इस दौरान वह एलएसए में ग्रीनलैंड को पार कर एक और विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर ले गई हैं। आरोही की इस कामयाबी से उनके परिवार, दोस्त और ऐविएशन सर्किल के लोग फूले नहीं समा रहे हैं। की दूरी तय कर अपने छोटे से एयरक्राफ्ट के साथ कनाडा के इकालुइट हवाईअड्डे पर उतरीं। इस दौरान वह ग्रीनलैंड और आइसलैंड में भी रुकी थीं।
उड़ान भरने के दौरान उनके सामने एक वक्त ऐसा भी आया, जब दोनों को अलग होना पड़ा। वजह, सुरक्षा कारणों से एक वक्त में एयरक्राफ्ट में एक को ही बैठने की इजाजत थी, ताकि एयरक्राफ्ट का वजन संतुलित रह सके। उड़ान के दौरान आरोही और कैथर ने पंजाब, राजस्थान, गुजरात के ऊपर से उड़ान भरती हुईं पाकिस्तान में अपना जहाज उतारा तो वे 1947 के बाद पड़ोसी मुल्क में एलएसए जहाज लैंड कराने वाली पहली नागरिक बन गईं। इसके बाद वह ईरान, तुर्की, सर्बिया, स्लोवेनिया, जर्मनी, फ्रांस और ग्रेट ब्रिटेन पहुंचीं। कनाडा हवाईअड्डे पर पहुंचने के बाद आरोही ने तिरंगा झंडा फहराया, जो कनाडा में भारत के राजदूत विकास स्वरूप ने उन्हें सौंपा।
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