डूबी हुई कंपनी को ख़रीद किया रीब्रैंड, सिर्फ़ 6 सालों में रेवेन्यू पहुंचा 84 करोड़ रुपए तक
अक्सर हम ऐसे उदाहरण सुनते रहते हैं, जिनमें किसी बिज़नेस की शुरुआत और उसे बढ़ाने और सफल मुकाम तक पहुंचाने से जुड़ीं चुनौतियों का ज़िक्र होता है, लेकिन ऐसे कम ही उदाहरण हमारे सामने आते हैं, जिनमें किसी डूबे हुए बिज़नेस को फिर से खड़ा किया गया हो और क़ामयाब बनाया गया हो। कुछ ऐसी ही कहानी है, गुरुग्राम के 43 वर्षीय सुकृत बंसल की, जिन्होंने पूरी तरह से घाटे में जा चुकी कंपनी को वापस से अपने पैरों पर खड़ा किया और आज 6 सालों के भीतर कंपनी का रेवेन्यू 84 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
सुकृत और उनके पिता अशोक बंसल ने एक ऐसी कंपनी को ख़रीदा, जो सैनिटरीवेयर उत्पाद बनाती थी और पूरी तरह से घाटे में जा चुकी थी। सुकृत ने कंपनी के डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को भी अपना लिया। इसके बाद उन्होंने इयॉसेट नाम से कंपनी को रीब्रैंड किया और उत्पादों की क़ीमतें बढ़ा दीं। लेकिन कुछ समय बाद ही कंपनी के साथ जुड़े डिस्ट्रीब्यूटरों और डीलरों ने रीब्रैंडेड कंपनी को सहयोग देने से मना कर दिया। उनका कहना था कि वे बढ़ी हुई क़ीमतों के साथ एक नए ब्रैंड के ज़रिए ऐसे उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकते, जिनसे वे परिचित तक नहीं हैं। लेकिन सुकृत ने अपने सहयोगियों का विश्वास जीता और आज की तारीख़ में इयॉसेट के पास 2 हज़ार से ज़्यादा चैनल पार्टनर्स हैं और कंपनी दुनियाभर के 10 से भी ज़्यादा देशों में अपने उत्पाद निर्यात करती है। कंपनी बहुत से सरकार संगठनों जैसे कि एनबीसीसी (भारत) लि. और भारतीय रेलवे आदि को भी अपने उत्पाद सप्लाई करती है।
कंपनी गुरुग्राम से अपनी मैनुफ़ैक्चरिंग यूनिट का संचालन करती है और कंपनी की योजना है कि जल्द ही भिवंडी (राजस्थान) में भी एक अत्याधुनिक और विस्तृत मैनुफ़ैक्चरिंग यूनिट की शुरुआत की जाए।
सुकृत बताते हैं कि वह लंबे समय से बतौर ऑन्त्रप्रन्योर काम कर रहे हैं और इयॉसेट से जुड़ने से पहले वह बिल्डिंग मटीरियल्स इंडस्ट्री से जुड़े हुए थे। इंडस्ट्री से बाहर निकलने के बाद वह नए मौक़ों और संभावनाओं की तलाश में थे और इस दौरान ही उन्होंने एक रिपोर्ट पढ़ी, जिसके मुताबिक़, देश में सैनिटेशन के क्षेत्र में कई चीज़ों की कमी थी और विशेषरूप से ग्रामीण, टियर II और टियर III शहरों में।
सुकृत बताते हैं कि यह एक व्यापक समस्या थी और इस वजह से प्राइवेट और पब्लिक दोनों ही सेक्टरों की कई कंपनियां इस क्षेत्र में काम कर रही थीं। इस वजह से उन्होंने तय किया कि वह और अधिक रिसर्च करेंगे और इस क्षेत्र में ही किसी ऐसी समस्या की तलाश करेंगे, जो अछूती हो। सुकृत ने बताया कि उन्होंने ख़ुद से ही हालात का जायज़ा लेने के लिए टियर II और टियर III शहरों की यात्रा शुरू की। इस दौरान उन्होंने पाया कि ज़्यादातर आबादी खुले में शौच करने या फिर टॉयलट इस्तेमाल करने के लिए काफ़ी दूरी तय करने को मजबूर थी।
सुकृत को लगा कि सैनिटरीवेयर के बाज़ार में बड़ी आबादी को लक्ष्य बनाते हुए क़ीमत के हिसाब से मध्यम दर्जे़ के उत्पादों की ज़रूरत थी। इस अवसर को पहचानने के बाद ही सुकृत और उनके पिता ने सैनिटरीवेयर उत्पाद बनाने वाली एक कंपनी को ख़रीदा और उसे रीब्रैंड करते हुए इयॉसेट (Eauset) नाम से अपनी नई कंपनी की शुरुआत की। कंपनी के ब्रैंड नेम के संदर्भ में बात करते हुए सुकृत बताते हैं कि फ़्रेंच भाषा में ‘eau’ का अर्थ है पानी और सेट का अभिप्राय बाथरूम सेट से है।
सुकृत बताते हैं कि जब डिस्ट्रीब्यूटरों और डीलरों का भरोसा नए ब्रैंड पर नहीं था, तब उन्होंने इसके लिए एक ख़ास तरीक़ा निकाला। उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स की क़ीमतें नहीं घटाईं, बल्कि कई नए ऐसे प्रोडक्ट्स अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल किए, जो ग्राहकों या उपभोक्ताओं के लिए पूरी तरह से नए थे और उपयोगी भी थे। इस क्रम में कंपनी ने सिंगल लीवर वाले फ़ॉसेट्स (नल), शॉवर और सैनिटरीवेयर आदि लॉन्च किए।
इयॉसेट ने बिल्कुल अलग तरह के प्रोडक्ट्स जैसे कि बाथरूम इन अ बॉक्स आदि लॉन्च किए। इस बॉक्स की क़ीमत मात्र 6,299 रुपए थी, जिसमें सिंगल लीवर
वाले बेसिन मिक्सर, बाथ टब स्पॉउट, सिंगल लीवर वाले शॉवर आदि थे। इस पैकेज के माध्यम से कंपनी ग्राहकों के बीच सिंगल लीवर शॉवर और फ़ॉसेट्स का प्रचार करना चाहती थी।
सिंगल लीवर वाले शॉवर के बारे में सुकृत का कहना है कि इसकी मदद से पानी की तो बचत होती है साथ ही, इसकी मदद से लोग सही अनुपात में आसानी से गर्म और ठंडा पानी ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें परंपरागत रूप से दो लीवर वाले शॉवर्स की तरह, सही तापमान में पानी लेने के लिए दो लीवरों को एडजस्ट करने की ज़रूरत नहीं। इतना ही नहीं, सुकृत ने अपने ग्राहकों को मुफ़्त में अपने उत्पादों पर 10 साल की वॉरंटी देना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, केरल, दिल्ली और गुजरात इयॉसेट का मुख्य बाज़ार हैं।
सुकृत मानते हैं कि उनके ब्रैंड का कॉम्पिटिशन हिंडवेयर, सेरा और पैरीवेयर से है, लेकिन उनके उत्पाद बिल्कुल अलग हैं और साथ ही, उनकी क़ीमतें भी बाक़ी ब्रैंड्स की अपेक्षा काफ़ी कम हैं।
सुकृत ने बताया कि उनके ब्रैंड ने स्वच्छ भारत मिशन में पंजीकरण किया और इसके बाद हाल ही में संपन्न हुए कुंभ मेले के आयोजन में उन्होंने 3,000 टॉयलट्स मुहैया करवाए। इतना ही नहीं, कंपनी ने तेलंगाना सरकार को गांवों में इस्तेमाल के लिए 30 लाख नल उपलब्ध करवाए हैं। इयॉसेट भारतीय रेल के साथ मिलकर ट्रेनों में यूरिनल सेंसर और नल लगावाने की दिशा में प्रयासरत है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए सुकृत बताते हैं कि वह एक ऐसा ऐप लॉन्च करना चाहते हैं, जिसकी मदद से लोग पास के टॉयलट का पता लगा सकें। सुकृत का मानना है कि इस ऐप की मदद से हाई-वे पर यात्रा करने वाले यात्रियों और विशेष रूप से महिलाओं को काफ़ी सहूलियत होगी।
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