खाद्यान्न खरीद में उतरेंगी प्राइवेट कंपनियां, केंद्र के बफर स्टॉक के लिए करेंगी खरीद
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि अगर निजी कंपनियां मौजूदा एजेंसियों की तुलना में कम लागत पर और अधिक कुशलता से खाद्यान्न खरीदती हैं, तो इसमें सरकार को कोई समस्या नहीं है.
केंद्र जल्द ही बफर स्टॉक के लिए खाद्यान्न खरीद के काम में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ निजी कंपनियों को आमंत्रित करेगा. खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केंद्रीय खाद्य मंत्रालय इस संबंध में सभी राज्य सरकारों को पहले ही पत्र लिख चुका है.
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की 82वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए पांडेय ने कहा कि केंद्र ने खाद्यान्न की खरीद के संबंध में राज्य सरकारों को दो स्पष्ट संदेश दिए हैं. ‘‘एक यह कि केंद्र राज्य सरकारों द्वारा की गई खरीद पर दो प्रतिशत तक आकस्मिक खर्च प्रदान करेगा. दूसरा, यह दक्षता में सुधार और खरीद की लागत को कम करने के उद्देश्य से केंद्रीय बफर स्टॉक के लिए खाद्यान्न की खरीद के काम में निजी कंपनियों को साथ लेना चाहता है.’’
उन्होंने सवाल उठाया, ‘‘हम खरीद प्रक्रिया में निजी कंपनियों को भी शामिल करना चाहते हैं. केवल एफसीआई और राज्य एजेंसियां ही खरीद क्यों करें?’’
सचिव ने कहा कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अनाज सम्मेलन की अपनी यात्रा में उन्होंने पाया कि निजी कंपनियां अधिक कुशलता से खरीद का काम कर रही थीं. उन्होंने कहा कि अगर निजी कंपनियां मौजूदा एजेंसियों की तुलना में कम लागत पर और अधिक कुशलता से खाद्यान्न खरीदती हैं, तो इसमें सरकार को कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने राज्यों को लिखा है कि सरकार एफसीआई और राज्य एजेंसियों के अलावा निजी क्षेत्र को खरीद प्रक्रिया में लाना चाहती है.’’
कार्यक्रम से इतर पांडेय ने कहा, ‘‘हम अगले सत्र से खरीद प्रक्रिया में भाग लेने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित करने जा रहे हैं.’’
सचिव के अनुसार, एफसीआई और अन्य सरकारी एजेंसियां बफर स्टॉक के लिए सालाना लगभग नौ करोड़ टन अनाज की खरीद करती हैं, जबकि छह करोड़ टन की मांग होती है.
खाद्यान्न, मुख्य रूप से चावल और गेहूं, सीधे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जाता है और गरीबों को कल्याणकारी योजनाओं के तहत इसका वितरण किया जाता है. खरीद की लागत कम करने के बारे में पांडेय ने कहा कि राज्य सरकारों को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केंद्र सरकार दो प्रतिशत से अधिक का आकस्मिक खर्च वहन नहीं करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें संकेत दिया है कि भारत सरकार दो प्रतिशत से अधिक आकस्मिक खर्च वहन नहीं करेगी. यदि राज्य सरकारें अधिक देना चाहती हैं, तो (वे) अपने दम पर ऐसा कर सकती हैं. ... इसके कारण खरीद की लागत कम हो जाएगी.’’
सचिव ने बताया कि खरीद लागत बढ़ गई है क्योंकि कुछ राज्यों ने 6-8 प्रतिशत कर और अन्य शुल्क लगाए हैं जिसका भुगतान मौजूदा समय में केंद्र कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इससे न केवल खरीद की लागत बढ़ी है बल्कि उपभोक्ताओं और उद्योगों को भी नुकसान हो रहा है. यह संदेश राज्यों को दिया गया है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि यह मामला अभी चर्चा के स्तर पर है.
Edited by Vishal Jaiswal