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19061 फीट ऊंचे सिचायिन ग्लेशियर पर भी अब जवानों को मिलेगी हाईस्पीड इंटरनेट सेवा

भारतीय सेना के सियाचिन सिग्नलर्स द्वारा रविवार, 18 सितंबर को सियाचिन ग्लेशियर पर सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट एक्टिवेट किया गया. इसे फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने सोशल मीडिया पर शेयर किया.

19061 फीट ऊंचे सिचायिन ग्लेशियर पर भी अब जवानों को मिलेगी हाईस्पीड इंटरनेट सेवा

Tuesday September 20, 2022 , 3 min Read

बेहद ही मुश्किल हालात का सामना करते हुए भारतीय सेना के जवान न सिर्फ देश की सीमाओं पर तैनात रहते हुए सरहदों की रक्षा करते हैं बल्कि माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक चले जाने वाले दुनिया के सबसे ऊंचे और ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन-ग्लेशियर पर भी तैनात रहते हैं. 19061 फीट की ऊंचाई होने के कारण वहां से वे अपने परिवारों से संपर्क भी नहीं कर पाते हैं.

हालांकि, अब उनके लिए राहत भरी खबर आ गई है. भारतीय सेना के सियाचिन सिग्नलर्स द्वारा रविवार, 18 सितंबर को सियाचिन ग्लेशियर पर सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट एक्टिवेट किया गया. इसे फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने सोशल मीडिया पर शेयर किया. इस तरह अब वे अपने परिवारों से सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस के माध्यम से संपर्क कर पाएंगे. इंटरनेट की सुविधा शुरू होने से अब इमरजेंसी में हेड क्वार्टर को फौरन महत्वपूर्ण जानकारी दी जा सकती है.

पहले एक ही सैटेलाइट फोन उपलब्ध होता था

भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी ने इस महत्वपूर्ण डेवलपमेंट का सोशल मीडिया पर स्वागत करते हुए कहा कि पहले कंपनी लोकेशन पर एक ही सैटेलाइट फोन होता था. हम बहुत ही अधिक कीमत पर दिन में एक बार परिवार से बात कर पाते थे.

हालांकि, उन्होंने सियाचिन-ग्लेशियल जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में इंटरनेट की उपलब्धता को लेकर चेताया भी है क्योंकि आजकल इंटरनेट और टेक्नोलॉजी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

रेगुलर सेवाओं से कितना अलग है?

सियाचिन पर हाईस्पीड इंटरनेट चलना कभी अविश्नसनीय लगता था लेकिन अब इसे सार्वजनिक क्षेत्र की भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) ने सच कर दिखाया है. बीबीएनएल दूरसंचार मंत्रालय के अंतर्गत आता है और भारतनेट परियोजना को लागू करने वाला प्राधिकरण है. इस परियोजना ने भारत के कई स्थानों पर उपग्रह आधारित इंटरनेट लॉन्च किया है. सियाचिन ग्लेशियर के बाद अगला स्थान पूर्वोत्तर है.

ये सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सेवाएं भारतनेट परियोजना के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किए गए GSAT-19 और GSAT-11 जैसे कम्यूनिकेशंस सैटेलाइट्स द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं.

इंटरनेट सेवा वायरलेस है और इसे उन सैटेलाइट्स से पहुंचाया जा रहा है जो पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं. यह सेवा लैंड बेस्ड से अलग है जो केबल या डीएसएल के माध्यम से आती है और वास्तव में तारों के माध्यम से डेटा संचारित करती है.

बता दें कि, यह इंटरनेट सेवा उन जगहों के लिए बहुत ही सहायक है जहां इंटरनेट एक्सेस उपलब्ध नहीं है या फिर बहुत ही खराब क्वालिटी की है. यह उन कनेक्शनों को प्रदान करने में भी मदद करेगा जहां लैंड इंटरनेट का एक्सेस अनुपलब्ध है.

कितना इंपॉर्टेंट है सियाचिन ग्लेशियल?

सियाचिन ग्लेशियल हिमालय में पूर्वी काराकोरम रेंज में लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. और यह दुनिया का सबसे ऊंचा मिलिटराइज्ड जोन है. यहां भारतीय सेना ने अपने 10 हजार जवानों को तैनात किया है.

यह भारतीय सेना के लिए रणनीतिक महत्व रखता है क्योंकि इस क्षेत्र में दो विरोधियों - पाकिस्तान और चीन की मौजूदगी के कारण इसे अपनी सीमाओं और देश की संप्रभुता की रक्षा करनी होती है.


Edited by Vishal Jaiswal