भारत से दूर होते विदेशी निवेशक, जून में भारतीय इक्विटी से अब तक 46,000 करोड़ रुपये निकाले
आंकड़ों के मुताबिक FPI द्वारा 2022 में अब तक इक्विटी से शुद्ध निकासी बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी बाजारों लगातार दूरी बना रहे है. भारतीय बाजारों से निकासी जारी है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने के बाद FPI (Foreign portfolio investors) ने इस महीने अब तक लगभग 46,000 करोड़ रुपये निकाले हैं.
फेडरल रिजर्व की नीतियों, कच्चे तेल की कीमतों और अस्थिर रुपये ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के रुख को प्रभावित किया.
आंकड़ों के मुताबिक FPI द्वारा 2022 में अब तक इक्विटी से शुद्ध निकासी बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
इससे पहले, भारतीय कैपिटल मार्केट में पार्टिसिपेटरी नोट (पी-नोट) (participatory notes) के जरिये निवेश मई, 2022 में मासिक आधार पर घटकर 86,706 करोड़ रुपये रह गया.
इक्विटी बाजार के प्रमुख विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दूसरे प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक सख्ती, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और अस्थिर रुपये के बीच अनुमान है कि FPI उभरते बाजारों से दूर रहेंगे.
उन्होंने कहा कि FPI की आवक तभी दोबारा शुरू होगी, जब अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी रुक जाएगी.
वहीं, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अगर डॉलर और बॉन्ड प्रतिफल का मौजूदा रुझान बना रहता है, तो FPI द्वारा और अधिक बिकवाली करने की संभावना है.
आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने जून में (24 तारीख तक) इक्विटी से 45,841 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की.
विदेशी निवेशक अक्टूबर 2021 से भारतीय इक्विटी से लगातार धन निकाल रहे हैं.
इस तरह की निकासी आखिरी बार 2020 की पहली तिमाही में देखी गई थी, जब महामारी तेजी से बढ़ रही थी.