जिंस वायदा बाजार में भाग ले सकेंगे विदेशी निवेशक, सेबी ने दी मंजूरी
सेबी का सबसे महत्वपूर्ण कदम विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को गैर-कृषि जिंस वायदा और चुनिंदा गैर-कृषि मानक सूचकांकों में कारोबार की अनुमति देना है. शुरू में एफपीआई को नकद में ही सौदों के निपटान की अनुमति होगी.
पूंजी बाजार नियामक सेबी
ने बुधवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को एक्सचेंज में कारोबार वाले जिंस वायदा बाजार में भाग लेने की अनुमति दे दी. इस कदम से बाजार का दायरा और तरलता बढ़ेगी.भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया. साथ ही म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो प्रबंधकों के संचालन से संबंधित नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दी गई है. इसके अलावा, एसईसीसी (प्रतिभूति अनुबंध नियमन) नियमन के प्रावधान में संशोधन को भी स्वीकृति दी गयी.
सेबी का सबसे महत्वपूर्ण कदम विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को गैर-कृषि जिंस वायदा और चुनिंदा गैर-कृषि मानक सूचकांकों में कारोबार की अनुमति देना है. शुरू में एफपीआई को नकद में ही सौदों के निपटान की अनुमति होगी.
सेबी ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘ एक्सचेंज में कारोबार वाले जिंस वायदा (ईटीसीडी) बाजार में एफपीआई की भागीदारी से नकदी और बाजार दायरा बढ़ने की उम्मीद है. साथ ही इससे बेहतर मूल्य सामने आएगा.’’
नियामक ने पहले ही श्रेणी तीन के अंतर्गत आने वाले वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा और म्यूचुअल फंड को ईटीसीडी बाजार में भागीदारी की अनुमति दे दी है.
इसके साथ मौजूदा व्यवस्था में भारतीय जिंस बाजार में वास्तविक निवेश की जरूरत थी. अब यह समाप्त हो गया है. कोई भी विदेशी निवेशक अगर देश के भौतिक जिंसों में निवेश के साथ या उसके बिना भारतीय ईटीसीडी खंड में भाग लेने का इच्छुक है, वह एफपीआई मार्ग के जरिये यह कर सकता है.
वर्तमान में भारतीय जिंस बाजार में वास्तविक निवेश करने वाली विदेशी इकाइयों यानी पात्र विदेशी इकाइयों को जिंस वायदा बाजार में भाग लेने की अनुमति है.
हालांकि, बड़े स्तर पर खरीद क्षमता वाले वित्तीय निवेशक के रूप में एफपीआई को ईटीसीडी खंड में भाग लेने की अनुमति नहीं है.
अब एफपीआई को देश के ईटीसीडी बाजार में भाग लेने की अनुमति होगी. लेकिन यह जोखिम प्रबंधन उपायों पर निर्भर है.
इसके अलावा, सेबी और बाजार प्रतिभागियों के प्रतिनिधियों को लेकर एक कार्यकारी समूह बनाया गया है. यह समूह इस बात पर विचार करेगा कि क्या एफपीआई के लिये जोखिम प्रबंधन को लेकर और उपाय किये जाने की जरूरत है. सेबी ने कहा, ‘‘परिपत्र के जरिये प्रभावी तिथि को अधिसूचित किया जाएगा.’’
निदेशक मंडल ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दी है. इसका मकसद ऐसे प्रायोजकों के लिये ‘सहयोगी’ की परिभाषा को हटाना है, जो बीमा पॉलिसी या ऐसी अन्य योजनाओं के लाभार्थियों की ओर से विभिन्न कंपनियों में निवेश करते हैं.
इसके अलावा, पोर्टफोलियो प्रबंधकों के नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गयी है. इसका उद्देश्य सहयोगियों और संबंधित इकाइयों में निवेश सहित पोर्टफोलियो प्रबंधकों द्वारा निवेश को लेकर मानदंडों को बढ़ाना है.
सेबी के निदेशक मंडल ने प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) (शेयर बाजार और समाशोधन निगम) नियमन में संशोधन को भी मंजूरी दी. इसका मकसद एसईसीसी नियमन को आरबीआई ‘सेंट्रल काउंटर पार्टी’ निर्देशों के समरूप बनाना है. निदेशक मंडल ने सेबी की सालाना रिपोर्ट 2021-22 को भी स्वीकृति दी. रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी.