क्या है Freebies कल्चर, जिससे कर्ज में फंसती जा रहीं सरकारें, RBI के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई चिंता
फ्रीबीज के मुद्दे पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के रूख तय न कर पाने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या इस मुद्दे से निपटने के लिए वित्त आयोग की राय मांगी जा सकती है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा फ्रीबीज यानि मुफ्त उपहार देने के कल्चर पर चिंता जताते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं.
फ्रीबीज के मुद्दे पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के रूख तय न कर पाने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या इस मुद्दे से निपटने के लिए वित्त आयोग की राय मांगी जा सकती है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमण ने केंद्र सरकार को अपना रूख साफ करते हुए एक एफिडेविट दाखिल कर विस्तार से जानकारी देने का भी निर्देश दिया.
क्या है फ्रीबीज कल्चर?
विभिन्न राजनीतिक दल लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र और राज्य की सत्ता में आने के लिए चुनाव से पहले और बाद में भी मुफ्त उपहार देने की घोषणाएं करती हैं.
सरकारें मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी के साथ गैस सिलिंडर और कई अन्य चीजों पर सब्सिडी दे रही हैं. इसके अलावा अधिकतर सरकारें समाज के अलग-अलग तबकों को नकद राशि भी देती हैं.
सभी सरकारें और पार्टियां देती हैं फ्रीबीज
कुछ दिन पहले ही विपक्षी दलों पर रेवड़ी बांटने का आरोप लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार खुद उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर पर सब्सिडी देती है. इसके साथ किसान सम्मान निधि के तहत सालान 6 हजार रुपये की राशि किसानों को दी जाती है. वहीं, दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार बिजली, पानी और एजुकेशन पर भारी सब्सिडी देती है.
हाल ही में समाप्त हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कॉलेज जाने वाली छात्राओं को फ्री में स्कूटी देने, किसानों को पांच साल तक मुफ्त बिजली देने, होली और दिवाली पर उज्ज्वला लाभार्थियों को दो एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देने और सीनियर सिटिजन को मुफ्त बस यात्रा का वादा किया था.
हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था जिससे राज्य के राजस्व पर 250 करोड़ रुपये का अनुमानित बोझ पड़ता. ग्रामीण इलाकों में पानी बिल पर छूट, सरकारी बसों में यात्रा पर 50 फीसदी छूट का वादा किया था.
पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने हर परिवार को हर महीने 300 यूनिट फ्री बिजली और हर वयस्क महिला को हर महीने 1 हजार रुपये देने की योजना शुरू की है. इन दोनों योजनाओं पर 17 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस तरह, 2022-23 में पंजाब का कर्ज 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है.
इसके अलावा केरल, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित कई अन्य राज्य ऐसी फ्रीबीज देने की घोषणाएं करते रहते हैं.
आरबीआई की रिपोर्ट
हाल ही में आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं पर जमकर खर्च कर रहीं हैं, जिससे वो कर्ज के जाल में फंसती जा रही हैं.
आरबीआई की 'स्टेट फाइनेंसेस: अ रिस्क एनालिसिस' की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, राजस्थान, बिहार, केरल और पश्चिम बंगाल कर्ज में धंसते जा रहे हैं और उनकी हालत बिगड़ रही है.
आरबीआई ने अपनी इस रिपोर्ट में CAG के डेटा के हवाले से बताया है कि राज्य सरकारों ने 2020-21 में सब्सिडी पर कुल खर्च का 11.2 फीसदी खर्च किया था, जबकि 2021-22 में 12.9 फीसदी खर्च किया था.
रिपोर्ट में बताया गया कि सब्सिडी पर सबसे अधिक खर्च झारखंड, केरल, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में बढ़ा है. वहीं, गुजरात, पंजाब और छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने कुल खर्च का 10 फीसदी से ज्यादा खर्च सब्सिडी पर किया है.
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2026-27 तक पंजाब सरकार पर ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GSDP) का 45 फीसदी से अधिक कर्ज हो सकता है. इसके अलावा राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल का कर्ज GSDP का 35 तक जा सकता है.
मार्च, 2021 तक राज्य सरकारों पर 69.47 लाख करोड़ का कर्ज
आरबीआई की रिपोर्ट में बताया गया था कि मार्च, 2021 तक देशभर की सभी राज्य सरकारों पर 69.47 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. मार्च, 2021 तक 19 राज्यों पर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था. सबसे अधिक 6.59 लाख करोड़ का कर्ज तमिलनाडु की सरकार पर है. उत्तर प्रदेश पर 6.53 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है.