[फंडिंग अलर्ट] लॉजिस्टिक स्टार्टअप पोर्टर ने लाइटस्टोन ग्लोबल फंड से सीरीज डी राउंड में 140 करोड़ रुपये जुटाए
ऑन-डिमांड लॉजिस्टिक्स मार्केटप्लेस पोर्टर (Porter) ने लाइटस्टोन ग्लोबल फंड से 140 करोड़ रुपये जुटाए हैं। स्टार्टअप के लिए फंड ऐसे समय में आया है जब COVID-19 लॉकडाउन के बीच कंपनियों को लॉजिस्टिक्स की बढ़ती आवश्यकता को सपोर्ट करने के लिए इसकी बहुत आवश्यकता है।
YourStory द्वारा रिव्यू की गई MCA फाइलिंग के अनुसार, पोर्टर ने अपने सीरीज डी फंडिंग राउंड में 139.7 करोड़ रुपये जुटाए हैं। फाइलिंग से पता चलता है कि इस डील के तहत पोर्टर द्वारा वेंचर कैपिटल फर्म को 5,48,190 शेयर आवंटित किए गए थे। प्रति शेयर की कीमत 100 रुपये के अंकित मूल्य (nominal value) के साथ 2,540.21 रुपये थी। YourStory ने फंड के बारे में अधिक जानकारी के लिए ईमेल के माध्यम से पोर्टर से संपर्क किया।
प्रणव गोयल, उत्तम डिग्गा, और विकास चौधरी द्वारा 2014 में स्थापित, मुंबई स्थित पोर्टर हल्के ट्रकों का एक एग्रीगेटर है, जो व्यवसायों को उनकी इंट्रा-सिटी लॉजिस्टिक्स जरूरतों को पूरा करने की मांग पर वाहनों को बुक करने की अनुमति देता है। वर्तमान में, पोर्टर ईकॉमर्स, एफएमसीजी, एसएमई, ट्रेडर्स, 3PLs, कूरियर, और कार्गो कंपनियों के साथ काम करता है।
वर्तमान में, स्टार्टअप मुंबई, दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और अहमदाबाद सहित छह शहरों में मौजूद है। तकनीक-सक्षम कंपनी यूजर्स को ट्रक लोकेशन और ड्राइवर कॉन्टैक्ट तक पहुंच शेयर करके रियल टाइम में राइड को ट्रैक करने की अनुमति देती है।
पोर्टर के पोर्टफोलियो के एक हिस्से के रूप में गोदरेज, रिलायंस, आईटीसी, अर्बन लैडर, डेल्हीवेरी और आरमेक्स जैसी कंपनियां हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिंद्रा ग्रुप के स्वामित्व वाली लॉजिस्टिक्स मार्केटप्लेस स्मार्टशिफ्ट ने 2018 में पोर्टर के साथ अपने परिचालन को विलय कर दिया था, और इस डील के हिस्से के रूप में स्टार्टअप में 10 मिलियन डॉलर का निवेश किया था।
2015 में, कंपनी ने मौजूदा उत्पादों और समाधानों में सुधार और अच्छे प्रतिभा वाले लोगों को हायर करने के लिए सीक्विया, काई कैपिटल और अन्य निवेशकों से सीरीज ए फंडिंग में 35 करोड़ रुपये जुटाए थे
COVID-19 के चलते जारी लॉकडाउन ने लॉजिस्टिक क्षेत्र को अत्यधिक प्रभावित किया है। कई उद्यमियों और स्टार्टअप्स ने कहा है कि पूरे भारत में माल और उत्पादों को भेजने में लॉजिस्टिक सेवाओं की कमी एक बड़ी कठिनाई है।
Edited by रविकांत पारीक