Future Retail के चेयरमैन और डायरेक्टर किशोर बियानी ने दिया इस्तीफा, वजह?
किशोर बियानी को भारत में रिटेल किंग के रूप में भी जाना जाता था. उन्हें भारत में आधुनिक खुदरा क्षेत्र के अग्रणी के रूप में जाना जाता है.
उद्योगपति किशोर बियानी ने कर्ज में डूबी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) के निलंबित निदेशक मंडल के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है. यह कंपनी मौजूदा समय में दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही है. फ्यूचर रिटेल ने शेयर बाजारों को दी सूचना में कहा कि कंपनी के ‘कार्यकारी चेयरमैन एवं निदेशक' बियानी ने अपना त्यागपत्र सौंपा है. अब ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (IBC) के तहत उनके इस्तीफे को ऋणदाताओं की समिति (COC) के समक्ष रखा जाएगा.
कंपनी के समाधान पेशेवर को 24 जनवरी, 2023 को ईमेल के जरिये यह सूचना मिली. एफआरएल को बैंक ऑफ इंडिया से मिले कर्ज की चूक करने पर दिवाला कार्यवाही का सामना करना पड़ा. 2007 से फ्यूचर रिटेल लिमिटेड से जुड़े किशोर बियानी ने अपनी भावनात्मक विदाई में कहा कि कंपनी दुर्भाग्यपूर्ण व्यावसायिक स्थिति के परिणामस्वरूप CIRP (कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया) का सामना कर रही है. कंपनी हमेशा मेरा जुनून रही है और मैंने इसके विकास के लिए सब कुछ किया, मुझे वास्तविकता को स्वीकार करना होगा और आगे बढ़ना होगा.
61 साल के किशोर बियानी ने कर्जदाताओं को भी सहयोग करने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि मेरे इस्तीफे के बावजूद मैं हरसंभव मदद के लिए उपलब्ध रहूंगा जो मेरे द्वारा अपने सीमित संसाधनों और कंपनी से संबंधित किसी भी मुद्दे को हल करने की क्षमता के साथ किया जा सकता है.
किशोर बियानी को भारत में रिटेल किंग के रूप में भी जाना जाता था. उन्हें भारत में आधुनिक खुदरा क्षेत्र के अग्रणी के रूप में जाना जाता है.
FRL ने बिग बाजार, ईजीडे, फूडहॉल जैसे ब्रांडों के तहत हाइपरमार्केट सुपरमार्केट और होम सेगमेंट दोनों में कई रिटेल फॉर्मेट का संचालन किया. अपने चरम पर FRL लगभग 430 शहरों में 1500 से अधिक आउटलेट्स का संचालन कर रहा था.
इससे पहले, बीते साल जुलाई महीने में Future Retail की दिवाला प्रक्रिया को NCLT ने मंजूरी दे दी थी. FRL के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू करने की अपील बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) ने की थी.
क्यों दिवालिया हुई फ्यूचर रिटेल?
फ्यूचर रिटेल के दिवालिया होने के पीछे उसका दो दिग्गज कंपनियों मुकेश अंबानी की रिलायंस Reliance Industries और अमेरिकी कारोबारी जेफ बेजोज की अमेजन Amazon के बीच फंसना है. अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) के साथ 24713 करोड़ रुपये के विलय समझौते की घोषणा की थी. समझौते के तहत खुदरा, थोक, लॉजिस्टिक एवं भंडारण खंडों में सक्रिय फ्यूचर समूह की 19 कंपनियों का रिलायंस रिटेल अधिग्रहण करने वाली थी. आरआरवीएल, आरआईएल समूह के तहत सभी खुदरा कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है. हालांकि, अब यह डील कैंसिल हो चुकी है क्योंकि फ्यूचर समूह के सिक्योर्ड लेंडर्स ने इसे नामंजूर कर दिया है.
क्यों कर्ज चुकाने में विफल रहा फ्यूचर समूह?
फ्यूचर रिटेल पर 29 लेंडर्स के एक कंसोर्टियम का 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीं फ्यूचर ग्रुप पर कुल कर्ज 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. रिलायंस के साथ सौदे से मिलने वाले पैसे से एफआरएल अपना कर्ज चुकाने चाहता था. हालांकि, अब रिलायंस के साथ सौदा खत्म होने के बाद एफआरएल ने बैंक ऑफ इंडिया के कर्ज के भुगतान में चूक कर दी. इसके बाद इस साल अप्रैल में बैंक एफआरएल के खिलाफ एनसीएलटी में गया था. वहीं, 12 मई को अमेजन ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता की धारा 65 के तहत इस मामले में हस्तक्षेप की अपील दायर की थी. अमेजन ने कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा था कि बैंक ऑफ इंडिया और एफआरएल के बीच साठगांठ है. अमेजन ने कहा था कि अभी इस मामले में दिवाला कार्रवाई शुरू करना उसके अधिकारों के साथ ‘समझौता’ होगा.