ग्लोबल वार्मिंग: तिरपाल से ढक कर पिघलने से रोका जा रहा है ये ग्लेशियर
इसकी गंभीरता को इस प्रकार समझा जा सकता है कि 1993 के बाद से प्रेसेना ग्लेशियर अपनी मात्रा का एक तिहाई से अधिक खो चुका है।
ग्लोबल वार्मिंग आज एक सबसे बड़ी वैश्विक समस्याओं में से एक है। लगातार बढ़ रहे उद्योगीकरण के चलते पृथ्वी के वातावरण में बढ़ी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा ने बीते कुछ दशकों में पृथ्वी के तापमान को कई डिग्री सेल्सिलयस तक बढ़ाने का काम किया है।
दुनिया भर में गोबल वार्मिंग को रोकने के उद्देश्य से कई पहल चलाई जा रही है, इस बीच संरक्षणवादियों के एक दल ने ग्लोबल वार्मिंग के कारण इसे पिघलने से रोकने के लिए उत्तरी इटली में प्रेसेना ग्लेशियर के 100,000 वर्ग मीटर में विशाल तिरपाल शीट बिछाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
न्यूज़ एजेंसी एएफपी के अनुसार स्की सीजन खत्म होने और गर्मियों के शुरू होने के दौरान छह सप्ताह की इस प्रक्रिया को हर साल दोहराया जाता है।
यह संरक्षण परियोजना पहली बार 2008 में इटालियन फर्म क्रोसेलो-टोनाले द्वारा शुरू की गई थी, तब ग्लेशियर के केवल 30,000 वर्ग मीटर क्षेत्र को कवर किया गया था।
इसके पीछे की गंभीरता को इस प्रकार समझा जा सकता है कि 1993 के बाद से प्रेसेना ग्लेशियर अपनी मात्रा का एक तिहाई से अधिक खो चुका है।
लोम्बार्डी और ट्रेंटिनो अल्टो अदिगे क्षेत्रों के बीच लगभग 2,700 से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर टीम ने लंबे स्ट्रिप्स को बिछना शुरू कर दिया है। ये जियोटेक्सटाइल तिरपाल हैं जो सूरज की रोशनी को परावर्तित करती हैं और भीतर के तापमान को बाहर के तापमान से कम बनाए रखते हैं। इसके जरिये बड़े स्तर पर बर्फ को संरक्षित करने में मदद मिलती है।