Go First एयरलाइन को सरकार से मिलेंगे 210 करोड़ रुपये, विमानों की संख्या 37 से बढ़ाकर 53 करने की तैयारी
कंपनी के सीईओ कौशिक खोना ने बताया कि विमानन कंपनी का लक्ष्य इस साल अप्रैल तक परिचालन में शामिल विमानों की संख्या को बढ़ाकर 53 करना है. विमानन कंपनी के पास परिचालन में अभी 37 विमान हैं. कंपनी ने प्रवर्तकों से पिछले महीने 210 करोड़ रुपये जुटाए थे.
वाडिया समूह की विमानन कंपनी गो फर्स्ट को सरकार की क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के तहत अगले महीने 210 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. कंपनी अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर करने और संचालन को विस्तार देने की योजना बना रही है.
कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कौशिक खोना ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विमानन कंपनी का लक्ष्य इस साल अप्रैल तक परिचालन में शामिल विमानों की संख्या को बढ़ाकर 53 करना है. विमानन कंपनी के पास परिचालन में अभी 37 विमान हैं. कंपनी ने प्रवर्तकों से पिछले महीने 210 करोड़ रुपये जुटाए थे.
कोरोना महामारी के प्रकोप के अलावा कंपनी को ‘प्रैट एंड व्हिट्नी’ इंजनों की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है. इंजनों की कमी के कारण उसे कई विमानों को खड़ा रखने के लिए मजबूर होना पड़ा.
गो फर्स्ट को आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत अब तक 600 करोड़ रुपये मिल चुके हैं. इस योजना से कोरोना महामारी के प्रकोप का सामना करने वाली कंपनियों को राहत दी गई है.
खोना ने बताया कि प्रवर्तकों के 210 करोड़ रुपये देने के साथ इतना ही रुपया विमानन कंपनी को अगले महीने ईसीएलजीएस से मिलेगा.
एक साक्षात्कार में खोना ने कहा कि इंजन की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो रही है और ‘प्रैट एंड व्हिट्नी’ से 20 नए इंजनों के अप्रैल तक मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि 20 इंजनों से 10 विमान चलाने में मदद मिल सकती है. एक विमान में दो इंजन होते हैं.
उन्होंने बताया कि सात नए एयरबस ए320 नियो विमान अप्रैल के पहले सप्ताह तक आ जाएंगे. इनमें से एक विमान पिछले सप्ताह आ चुका है. उन्होंने कहा कि विमानन कंपनी में मार्च, 2024 तक नौ और विमान शामिल होंगे.
कुछ दिन पहले ही, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बेंगलुरु हवाईअड्डे पर नौ जनवरी को एक बस में सवार 55 यात्रियों को लिए बगैर ही विमान के उड़ान भरने की घटना के संबंध में गो फर्स्ट एयरलाइन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. विमानन नियामक ने घटना के बाद एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
डीजीसीए ने एक बयान में कहा था, ‘‘नोटिस के जवाब में गो फर्स्ट ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक उक्त घटना टर्मिनल को-ऑर्डिनेटर, वाणिज्यिक कर्मियों और परिचालक दल के सदस्यों के बीच यात्रियों के विमान में सवार होने के बारे में संवाद और समन्वय की कमी के कारण हुई.’’ नियामक ने कहा कि अन्य खामियां भी हुई हैं. इस सब के मद्देनजर उसने एयरलाइन पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
Edited by Vishal Jaiswal