सरकार ने EV मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए ईवी पॉलिसी को दी मंजूरी
ई-वाहनों के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने वाली कंपनियों को कम सीमा शुल्क पर कारों के सीमित आयात की अनुमति दी जाएगी.
केंद्र सरकार ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में बढ़ावा देने के लिए एक योजना को स्वीकृति दे दी है ताकि देश में नवीनतम तकनीक वाले ई-वाहनों (ईवी) का निर्माण किया जा सके. इस नीति को प्रतिष्ठित वैश्विक ईवी निर्माताओं द्वारा ई-वाहन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए तैयार किया गया है.
यह भारतीय उपभोक्ताओं को नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करेगा, मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगा, ईवी विनिर्माणकर्ताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर उच्च मात्रा में उत्पादन के साथ ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करते हुए उत्पादन की लागत को कम करेगी और इससे कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी, व्यापार घाटा कम होगा, विशेषकर शहरों में वायु प्रदूषण कम होगा और स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
ईवी पॉलिसी की खास बातें
इस नीति में निम्नलिखित विशेषताए शामिल हैं: -
न्यूनतम निवेश आवश्यक : 4150 करोड़ रुपये (500 मिलियन अमरीकी डॉलर) जबकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं.
विनिर्माण के लिए समय-सीमा : भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए 3 वर्ष और ई-वाहनों के वाणिज्यिक उत्पादन का शुभारंभ करने और अधिकतम 5 वर्षों के भीतर 50 प्रतिशत घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) तक पहुंचने का लक्ष्य.
विनिर्माण के दौरान घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए): तीसरे वर्ष तक 25 प्रतिशत और पांचवें वर्ष तक 50 प्रतिशत का स्थानीयकरण स्तर हासिल करना होगा.
15 प्रतिशत का सीमा शुल्क (जैसा कि सीकेडी इकाइयों पर लागू होता है) कुल 5 वर्ष की अवधि के लिए 35,000 अमेरिकी डॉलर और उससे अधिक के न्यूनतम सीआईएफ मूल्य वाले वाहन पर लागू होगा बशर्ते निर्माता 3 वर्ष की अवधि के भीतर भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करे.
आयात के लिए स्वीकृत ईवी की कुल संख्या छोड़े गए शुल्क, किए गए निवेश अथवा 6484 करोड़ रुपये (पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन के बराबर) जो भी कम हो, तक सीमित होगी. यदि निवेश 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक है, तो प्रति वर्ष 8,000 से अधिक की दर से अधिकतम 40,000 ईवी की अनुमति नहीं होगी. अप्रयुक्त वार्षिक आयात सीमाओं को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी.
कंपनी द्वारा की गई निवेश प्रतिबद्धता को सीमा शुल्क में छूट के लिए बैंक गारंटी द्वारा समर्थित होना होगा. योजना दिशानिर्देशों के अंतर्गत परिभाषित डीवीए और न्यूनतम निवेश मानदंडों को पूर्ण न करने की स्थिति में बैंक गारंटी लागू की जाएगी.