स्टार्टअप्स के लिए सरकार ने की 945 करोड़ रुपये की सीड फंडिंग स्कीम की घोषणा, 1 अप्रैल से होगी प्रभावी
SISFS, 945 करोड़ रुपये के कोष से स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जो 2021-25 में पूरे भारत में चयनित इनक्यूबेटरों के माध्यम से वितरित किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, प्रोडक्ट-ट्रायल, मार्केट-एंट्री और व्यावसायीकरण (commercialization) के लिए स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) को मंजूरी दे दी है।
SISFS, 945 करोड़ रुपये के कोष से स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जो 2021-25 में पूरे भारत में चयनित इनक्यूबेटरों के माध्यम से वितरित किया जाएगा।
DPIIT और स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के संयुक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने ट्वीटर पर इसकी जानकारी दी।
इस योजना के तहत वित्तीय सहायता के लिए पात्रता मानदंड यह है कि एक स्टार्टअप, जिसे DPIIT (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) द्वारा मान्यता प्राप्त है, को आवेदन के समय 2 साल से पहले इनकॉर्पोरेट नहीं किया गया हो, स्टार्टअप के पास प्रोडक्ट डेवलपमेंट के लिए एक बिजनेस आइडिया होना चाहिए या मार्केट के साथ एक सर्विस होनी चाहिए, व्यवहार्य व्यावसायीकरण (viable commercialization), और स्केलिंग की गुंजाइश; स्टार्टअप को अपने कोर प्रोडक्ट या सर्विस में टेक्नोलॉजी का उपयोग करना चाहिए, या बिजनेस मॉडल, या डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल या कार्यप्रणाली को लक्षित करने वाली समस्या को हल करना चाहिए।
किसी भी स्टार्टअप को दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार एक से अधिक बार सीड फंडिंग प्राप्त नहीं होगी।
सरकार ने घोषणा की है कि सामाजिक प्रभाव, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण (food processing), जैव प्रौद्योगिकी (biotechnology), स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, गतिशीलता, रक्षा, अंतरिक्ष, रेलवे, तेल और गैस, कपड़ा इत्यादि जैसे क्षेत्रों में इनोवेटिव सॉल्यूशन बनाने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी।
सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार, “स्टार्टअप को किसी अन्य केंद्र या राज्य सरकार की योजना के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की मौद्रिक सहायता नहीं मिलनी चाहिए। इसमें प्रतियोगिताओं और भव्य चुनौतियों, रियायती कार्य स्थान, संस्थापक मासिक भत्ता, प्रयोगशालाओं तक पहुंच, या प्रोटोटाइप सुविधाओं तक पहुंच से पुरस्कार राशि शामिल नहीं है।"
कंपनी अधिनियम, 2013 और SEBI (ICDR) विनियम, 2018 के अनुसार, इस योजना के लिए इनक्यूबेटर के लिए आवेदन के समय स्टार्टअप में भारतीय प्रमोटरों की हिस्सेदारी कम से कम 51% होनी चाहिए।
सरकार ने इनक्यूबेटर्स द्वारा सीड फंड टू स्टार्टअप्स के disbursement पर विस्तार से बताया।
सबसे पहले, 20 लाख रुपये के रूप में कॉन्सेप्ट के प्रमाण के लिए, या प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, या प्रोडक्ट-ट्रायल के लिये अनुदान। यह अनुदान उपलब्धि आधारित किश्तों में वितरित किया जाएगा। ये उपलब्धियां प्रोटोटाइप के डेवलपमेंट, प्रोडक्ट-ट्रायल, बाजार में लॉन्च के लिए तैयार प्रोडक्ट के निर्माण आदि से संबंधित हो सकते हैं।
उसके बाद, बाजार में प्रवेश, व्यावसायीकरण, या परिवर्तनीय डिबेंचर या ऋण या ऋण से जुड़े उपकरणों के माध्यम से वृद्धि के लिये 50 लाख रुपये।
अंत में, सीड फंडिंग का उपयोग किसी भी सुविधा के निर्माण के लिए स्टार्टअप द्वारा नहीं किया जाएगा और इसका उपयोग उस उद्देश्य के लिए किया जाएगा जो इसके लिए प्रदान किया गया है।
DPIIT द्वारा एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (Experts Advisory Committee - EAC) का गठन किया जाएगा, जो स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी। ईएसी सीड फंड के आवंटन के लिए इनक्यूबेटरों का मूल्यांकन और चयन करेगा, प्रगति की निगरानी करेगा, और स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए फंड्स के कुशल उपयोग के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।
सरकार 2024-25 के अंत तक योजना के परिणाम का मूल्यांकन करेगी, विशेष रूप से वित्तीय, सामाजिक और आर्थिक रिटर्न के संदर्भ में।