भारत सरकार तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती है: पीयूष गोयल
पीयूष गोयल ने कहा कि तिरुपुर ने देश को गौरवान्वित किया है और यह हर वर्ष 30,000 करोड़ रुपये के वस्त्र उत्पादन का केन्द्र है. उन्होंने कहा कि वस्त्र क्षेत्र छह लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं चार लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और इस प्रकार कुल मिलाकर 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है.
केन्द्रीय वस्त्र, वाणिज्य एवं उद्योग तथा उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने रविवार को तिरुपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती है जो न सिर्फ टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट (textile products export) में सहायता एवं टिकाऊ टेक्नोलॉजी का समावेश सुनिश्चित करेगा, बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी पैदा करेगा.
गोयल ने कहा कि तिरुपुर ने देश को गौरवान्वित किया है और यह हर वर्ष 30,000 करोड़ रुपये के वस्त्र उत्पादन का केन्द्र है. उन्होंने कहा कि वस्त्र क्षेत्र छह लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं चार लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और इस प्रकार कुल मिलाकर 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है.
उन्होंने कहा कि 1985 में, तिरुपुर 15 करोड़ रुपये मूल्य के वस्त्र उत्पादों का निर्यात कर रहा था. मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष में, तिरुपुर से होने वाला अनुमानित निर्यात 30,000 करोड़ रुपये का है, जोकि लगभग दो हजार गुना की वृद्धि है. इस इलाके में वस्त्र क्षेत्र की अभूतपूर्व वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 37 से अधिक वर्षों के दौरान, तिरुपुर में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 22.87 प्रतिशत हो गई है.
उन्होंने कहा कि तिरुपुर में रोजगार के अपार अवसर हैं और उन्होंने युवाओं से इस अवसर का लाभ उठाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि युवाओं को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्होंने उल्लेख किया कि वर्तमान में, तिरुपुर के वस्त्र क्षेत्र में कार्यरत लोगों में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं और वंचित वर्गों के लोग हैं.
पीयूष गोयल ने कहा कि पूरे भारत में लगभग 3.5-4 करोड़ लोग अकेले वस्त्र क्षेत्र की समग्र मूल्य श्रृंखला में संलग्न हैं. वस्त्र क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है. इस उद्योग का आकार लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का है. इसका निर्यात लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये का है. उन्होंने दोहराया कि वस्त्र क्षेत्र के अगले पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ के निर्यात के साथ 20 लाख करोड़ रुपये वाला उद्योग बनने की संभावना है. फिर भी 7.5-8 लाख करोड़ का साधारण निर्यात लक्ष्य और लगभग 20 लाख करोड़ का उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इन लक्ष्यों को अगले पांच वर्षों में हासिल किया जाना संभव है.
उन्होंने कोविड के साथ-साथ अन्य देशों के बीच युद्ध के संदर्भ में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की. हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि भारत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि के आधार पर हर साल आठ प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तो हमारी अर्थव्यवस्था लगभग 9 वर्षों में दोगुनी होकर 6.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जाएगी. इसी तरह, अब से 18 वर्षों में, भारत की अर्थव्यवस्था के 13 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था हो जाने का अनुमान है. अब से 27 वर्षों में, अर्थव्यवस्था की वृद्धि की गणना 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के तौर पर की जा सकती है और इसलिए 30 वर्षों के बाद, यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था होगी.
उन्होंने कहा कि तिरुपुर होजरी, बुने हुए वस्त्रों, कैजुअल वियर, स्पोर्ट्सवियर का प्रमुख स्रोत है और रुई की ओटाई का एक पारंपरिक केन्द्र है.
उन्होंने कहा कि कल की सिट्रा की यात्रा के दौरान, उन्होंने कई नवीन परियोजनाएं देखीं. उन्होंने कहा कि पीएम जन औषधि योजना के तहत कम कीमत में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केन्द्र सिट्रा में सेनेटरी नैपकिन मशीनरी के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा.
गोयल ने तिरुपुर में निर्यातकों के सम्मेलन सह सम्मान समारोह में भाग लिया. उन्होंने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) और अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के प्रतिनिधियों के साथ एक संवादात्मक बैठक की. इस कार्यक्रम में 350 से अधिक निर्यातकों, कोयंबटूर, करूर, मदुरैल एवं इरोड के इंजीनियरिंग, एग्री और प्रोसेस फूड, टेक्सटाइल यार्न सेक्टर से जुड़े लोगों ने भाग लिया.
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल मुरुगन ने अपने संबोधन में नए हस्ताक्षरित FTAS के लाभों पर प्रकाश डाला जोकि देश को कई गुना आगे बढ़ने में मदद करेगा. लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के उद्देश्य से पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय मास्टर प्लान जैसे क्रांतिकारी उपायों से बुनियादी ढांचे की योजना निर्माण में सुधार लाने और निर्धारित समय एवं बजट के भीतर परियोजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों की स्थापना, कंटेनर निर्माण पर ध्यान देना, ईस्ट वेस्ट और नॉर्थ साउथ फ्रेट कॉरिडोर इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं.