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स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न की वैल्यूएशन कैसे होती है? सेबी ने PE और VC फंडों से मांगा जवाब

किसी कंपनी का वैल्यूएशन फंड के निवेशकों के सामने पोर्टफोलियो की एक अच्छी तस्वीर पेश करता है और फंड मैनेजर के लिए फंड जुटाने के अगले दौर में नए और पुराने निवेशकों से अधिक पैसा जुटाने का रास्ता तैयार करता है.

स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न की वैल्यूएशन कैसे होती है? सेबी ने PE और VC फंडों से मांगा जवाब

Monday September 12, 2022 , 3 min Read

स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न की वैल्यूएशन तय करने के तरीकों को लेकर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) प्राइवेट इक्विटी हाउसेज (PE) और वेंचर कैपिटल फंडों (VCF) पर कड़ी नजर रख रहा है. सेबी ने इन फंडों से वैल्यूएशन तय करने के तरीकों के बारे में कई जानकारियां मांगी हैं.

बता दें कि, किसी कंपनी का वैल्यूएशन फंड के निवेशकों के सामने पोर्टफोलियो की एक अच्छी तस्वीर पेश करता है और फंड मैनेजर के लिए फंड जुटाने के अगले दौर में नए और पुराने निवेशकों से अधिक पैसा जुटाने का रास्ता तैयार करता है.

इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, निवेशकों की शिकायतों और कुछ यूनिकॉर्न के अकाउंटिंग को लेकर उठे सवालों के बाद सेबी ने 6 सितंबर को एक कम्यूनिकेशन में बड़ी संख्या में फंड को अपनी वैल्यूएशन प्रैक्टिस का खुलासा करने और उनकी जानकारी शेयर करने के लिए कहा.

इसमें वैल्यूअर की योग्यता के साथ यह भी जानकारी मांगी गई की कहीं हायर किया गया वैल्यूअर फंड से जुड़ा हुआ तो नहीं है. इसके साथ ही उनसे यह भी पूछा गया है कि क्या पिछले तीन सालों में अन्य चीजों के साथ वैल्यूएशन मेथडोलॉजी में कोई परिवर्तन आया है.

एक्सपर्ट्स ने कहा है कि सेबी वास्तव में फंड्स की वैल्यूएशन एक्सरसाइज को समझना चाहता है. जहां सेबी वैकल्पिक निवेश फंड्स (AIF) की परफॉर्मेंस को समझने की कोशिश कर रहा है. अब इसके साथ ही वह किसी रेगुलेटरी दिशानिर्देशों के अभाव में होने वाली वैल्यूएशन प्रैक्टिस को भी समझने की कोशिश कर रहा है.

सेबी का यह कदम वैल्यूएशन पॉलिसीज के महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. इसके माध्यम से सेबी एआईएफ इंडस्ट्री के डिस्क्लोजर नॉर्म्स सेट कर सकती है ताकि वैल्यूएशन करने में निरंतरता को बरकरार रखा जा सके और इन्वेस्टर के इंटरेस्ट में पारदर्शिता लाई जा सके.

अधिकांश एआईएफ क्लोज एंडेड फंड हैं, जिनका नॉन लिस्टेड शेयरों में बड़ा निवेश है. जबकि ओपन एंडेड फंड को हर महीने नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) प्रकाशित करनी होती है, जो कि फंड या स्कीम द्वारा रखी गई सिक्योरिटीज का बाजार मूल्य है, वहीं अगर निवेशक तैयार हों तो क्लोज एंडेड फंड साल में दो बार या सालाना भी नेट एसेट वैल्यू (NAV) की घोषणा कर सकते हैं.

हाल के समय में एआईएफ कई अमीर भारतीय निवेशकों के लिए निवेशक का मुख्य तरीका बन गया है. ऐसे में सेबी ने इसके लिए नियमों को सख्त करना शुरू कर दिया है. एक साल पहले ही सेबी ने एआईएफ को फंडों के स्पॉन्सर या मैनेजरों से स्वतंत्र ट्रस्टियों को रखने का सुझाव दिया है.

बता दें कि, देश की सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप और एडटेक यूनिकॉर्न Byju’s ने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 और 2021-22 के लिए अपनी ऑडिट रिपोर्ट अभी तक फाइल नहीं की है. BYJU'S की कुल वैल्यूएशन 22 अरब डॉलर (17.58 खरब रुपये) है. 17 मार्च को बायजू ने घोषणा की थी कि उसने सुमेरु वेंचर्स, वित्रुवियन पार्टनर्स और ब्लैकरॉक से 800 मिलियन डॉलर (6,401 करोड़ रुपये) जुटाए हैं. कंपनी के संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन ने इस फंडरेज में 40 करोड़ डॉलर (3,200 करोड़ रुपये) का निजी निवेश किया था.

हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में बायजू की फंडिंग गायब होने का दावा किए जाने के बाद जुलाई में कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने देश के फ्रॉड रेगुलेटर को पत्र लिखकर BYJU'S के फाइनेंसेस की जांच करने की मांग की है. इसके बाद कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) ने कंपनी से जवाब मांगा है कि उसने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के लिए अपनी ऑडिट रिपोर्ट अभी तक क्यों फाइल नहीं की है.


Edited by Vishal Jaiswal