GST Council Meet: पेट्रोल-डीजल के GST के दायरे में आने और सस्ते होने के कोई आसार नहीं
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से जनता परेशान है, लेकिन GST काउंसिल की मीटिंग में इसे GST के दायरे में लाए जाने पर कोई विचार नहीं.
पिछले दो दिनों चंडीगढ़ में चल रही GST काउंसिल की मीटिंग के बाद खबरें आ रही हैं कि वहां क्या महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. इन फैसलों का आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ेगा. कौन से उत्पाद और सेवाएं पहले से महंगी हो जाएंगी. हालांकि इस सूची में ऐसी कोई चीज नहीं है, जिसके बारे में कहा जाए कि यह सस्ती हो जाएगी.
इतने सारे उत्पादों और सेवाओं पर चर्चा के बाद भी जिस चीज की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की जेब पर सबसे ज्यादा असर डाला है, उस पर अभी तक कोई खबर नहीं आई है. वह है पेट्रोल और डीजल, जो लगातार महंगे होते जा रहे हैं और जिनके महंगे होने का असर बाकी खुदरा चीजों की कीमत पर भी पड़ रहा है क्योंकि माल ढुलाई और उसके ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी बढ़ रहा है.
जेब पर पड़ने वाला बोझ होगा कम
पिछले लंबे समय से इस पर चर्चा होती रही है कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो इससे हमारी जेबों पर पड़ने वाला बोझ कम हो जाएगा. अभी अलग-अलग राज्य जो पेट्रोल पर कई प्रकार के और अलग-अलग टैक्स लेते हैं, वो खत्म हो जाएगा और पूरे देश में एक ही कीमत पर पेट्रोल मिलेगा.
पिछले साल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की 46वें मीटिंग के वक्त भी यह कयास लगाए जा रहे थे. इस बार भी लगाए गए, लेकिन इस संबंध में अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है. कुछ वक्त पहले केरल हाईकोर्ट में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी. उस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जीएसटी काउंसिल से इस विषय पर कुछ फैसला करने के लिए कहा था. लेकिन यह फैसला अभी तक हो नहीं पाया है.
हर राज्य का अलग टैक्स
अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आते हैं तो उस पर लगने वाला केंद्र का एक्साइज टैक्स और राज्यों का वैट खत्म हो जाएगा. जीएसटी में सबसे बड़ा टैक्स स्लैब 28 फीसदी का है. जीएसटी के दायरे में आने पर यदि पेट्रोल-डीजल को सबसे बड़े टैक्स स्लैब में रखा जाता है, तब भी उस पर लगने वाला टैक्स मौजूदा टैक्स से काफी कम होगा. इसका सीधा असर उसकी कीमतों पर पड़ेगा.
आज की तारीख में हर राज्य पेट्रोल पर अलग-अलग दरों से टैक्स लेती है. राजस्थान में यह टैक्स सबसे ज्यादा है, जहां पेट्रोल पर 36 फीसदी वैट लगता है. मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर लगने वाला वैट 33 फीसदी है तो दिल्ली में 30 और उत्तर प्रदेश में 26.80 फीसदी. कर्नाटक में 35 फीसदी सेल्स टैक्स लगता है.
GST में आने के बाद कितना सस्ता होगा पेट्रोल
इसे यूं समझ लीजिए कि अभी यदि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 97 रुपए प्रति लीटर है तो जीएसटी के दायरे में आने पर यह कीमत घटकर 55 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी. यह इतना बड़ा फर्क है कि इसका आम जनता की जेब पर बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा, लेकिन राज्य सरकारों की जेब हल्की हो जाएगी.
राज्य सरकारों को घाटा
दरअसल पेट्रोल को जीएसटी में लाने के सबसे ज्यादा खिलाफ राज्य सरकारें ही हैं क्योंकि यह उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा है. पूरे देश में महाराष्ट्र पेट्रोल-डीजल से कमाई करने वाला सबसे बड़ा राज्य है. महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य पेट्रोल-डीजल से सबसे ज्यादा कमाई करते हैं. पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने का अर्थ है कि राज्य सरकारों 4.10 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा. हालांकि इसके बावजूद दिल्ली और छत्तीसगढ़ की सरकार इसके लिए राजी है.
Edited by Manisha Pandey