शुरू हुए गुप्त नवरात्रि, जानें कैसे सामान्य नवरात्रों से हैं अलग गुप्त नवरात्रि
हिन्दू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। चार बार का अर्थ यह कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती है। यह चार माह है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं। तुलजा भवानी बड़ी माता है तो चामुण्डा माता छोटी माता है।
गौरतलब हो कि बड़ी नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है।
माघ मास में आने वाले नवरात्रों को गुप्त नवरात्रि या माघी नवरात्रि भी कहा जाता है। आपको बता दें कि इस बार की नवरात्रि पर ग्रहों के अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इस दिन मकर राशि में सूर्य, शनि, बुध और चंद्र एक साथ होंगे।
25 जनवरी से शुरू हो रही गुप्त नवरात्रि आगामी 3 फरवरी को पूरी होगी। साथ ही 10 दिनों की इस नवरात्रि में 7 शुभ योग रहेंगे।
इस नवरात्रि में खरीदारी, लेन-देन और विवाह जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे। इन शुभ मुहूर्त के साथ बसंत पंचमी पर्व भी रहेगा। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
सामान्य और गुप्त नवरात्रि में अंतर
सामान्य नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों की जाती है। जबकि गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं किया जाता है, बल्कि अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है। गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ही ज्यादा मिलेगी।
अगर कलश की स्थापना की है तो दोनों वेला मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए। दोनों ही समय आरती भी करना अच्छा होगा। मां को दोनों वेला भोग भी लगाएं। मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है पर ध्यान रखना चाहिए मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल न चढ़ाएं।