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कैसे EV टू-व्हीलर इंडस्ट्री की तस्वीर बदलने की राह पर है स्टार्टअप Ipower Batteries

स्टार्टअप Ipower Batteries की स्थापना हरियाणा के सोनीपत शहर में दिसंबर, 2019 में विकास अग्रवाल ने की थी. यह 2व्हीलर और 3व्हीलर के लिए बैटरियां बनाता है. स्टार्टअप का दावा है कि यह वर्तमान में प्रति दिन प्रति शिफ्ट 500 बैटरी पैक का बना रहा है.

कैसे EV टू-व्हीलर इंडस्ट्री की तस्वीर बदलने की राह पर है स्टार्टअप Ipower Batteries

Tuesday June 27, 2023 , 7 min Read

हाइलाइट्स

  • स्टार्टअप Ipower Batteries ने हाल ही में भारत की पहली LMFP (लिथियम मैंगनीज आयरन फॉस्फेट) बैटरी केमिस्ट्री लॉन्च की है
  • रगप्रो (Rugpro) सीरीज़ की ये बैटरियां किसी भी प्रकार के दबाव, मौसम का सामना कर सकती हैं
  • स्टार्टअप ने वित्त वर्ष 2022-2023 में 150 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया है और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 250 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) को बढ़ावा देने के लिए, कई राष्ट्रीय सरकारें वित्तीय प्रोत्साहन मुहैया करती हैं जैसे टैक्स में छूट और रिफंड, सब्सिडी, EVs के लिए पार्किंग / टोल दरों में कमी, और फ्री चार्जिंग. नतीजतन, दुनिया भर में ईवी बैटरी की मांग तेजी से बढ़ रही है और इसी के साथ ईवी बैटरी का बाजार भी लगातार बढ़ रहा है.

रेवेन्यू के मामले में ग्लोबल ईवी बैटरी मार्केट 2022 में 56.4 अरब डॉलर का होने का अनुमान लगाया गया था और 2027 तक 134.6 अरब डॉलर तक पहुंचने के लिए तैयार है, जो 2022 से 2027 तक 19.9% की CAGR (compound annual growth rate) से बढ़ रहा है. ये आंकड़े MarketsAndMarkets से जुटाए गए हैं.

इसी बढ़ते बाजार में अपना योगदान दे रहा है स्टार्टअप Ipower Batteries. हरियाणा के सोनीपत शहर में दिसंबर, 2019 में इसकी स्थापना विकास अग्रवाल ने की थी. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, अपने पिता की कंपनी Computech Systems Pvt Ltd को जॉइन कर लिया. यह कंपनी बैटरी ट्रेडिंग का काम करती थी. यहीं से विकास ने बैटरी, सेल आदि के बुनियादी सिद्धांतों के बारे में सीखकर अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने यहीं पर मैन्युफैक्चरिंग युनिट में भी काम किया. ईवी के आगमन के साथ ही, उन्हें जल्द ही भारत में इसके लिए क्षमता और बाजार का एहसास हुआ. इसलिए, भारत में शुरुआती चरण में ही उन्होंने ईवी व्यवसाय में कदम रखा और फैसला किया कि यदि इस व्यवसाय को बढ़ाना है तो भारतीय कंपनियों को अपने दम पर बैटरी बनाने की स्थिति में होना चाहिए. उन्होंने इस सेक्टर में खूब रिसर्च की है.

हाल ही में Ipower Batteries के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विकास अग्रवाल ने YourStory से बात की.

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विकास कहते हैं, "भारत ने 2070 तक नेट जीरो हासिल करने का लक्ष्य रखा है लेकिन उससे पहले भारत को एनर्जी सिक्योरटी हासिल करने की जरूरत है और इसके लिए उसे एनर्जी स्टोरेज समाधान की जरूरत है. भारत ने बिजली उत्पादन क्षेत्र में खुद को स्थापित किया है और अब समय आ गया है कि स्टैंड-अलोन एनर्जी स्टोरेज और ई-मोबिलिटी के लिए एनर्जी स्टोरेज दोनों पर काम किया जाए. आईपॉवर में, हम अपने इनोवेटिव एनर्जी स्टोरेज समाधानों की मदद से इसी समस्या को हल कर रहे हैं जो देश के भीतर ईवी इकोसिस्टम को पनपने और अच्छी तरह से बढ़ने में मदद कर सकता है."

वे आगे कहते हैं, "हमारी कंपनी का निरंतर ध्यान ईवी को तेजी से अपनाने की दिशा में है. इसीलिए इनोवेशन जारी है. इसे ध्यान में रखते हुए, हमारी कंपनी की इन-हाउस R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) टीम ने हाल ही में भारत की पहली LMFP (लिथियम मैंगनीज आयरन फॉस्फेट) बैटरी केमिस्ट्री लॉन्च की है. इन बैटरियों को रगप्रो (Rugpro) नाम दिया गया है जो किसी भी प्रकार के दबाव, मौसम आदि का सामना कर सकती हैं. हमें यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि हम इन बैटरियों को लॉन्च करने वाले देश में पहले हैं और ये बैटरियां मई से बाजार में उपलब्ध हो चुकी हैं. हमें इसके लिए भारत सरकार का AIS 156 चरण 2 प्रमाणन भी प्राप्त हुआ है."

बिजनेस मॉडल

बिजनेस मॉडल के बारे में समझाते हुए, विकास बताते हैं, "2व्हीलर और 3व्हीलर के लिए सुरक्षित/अनुकूलित, विश्वसनीय और लागत प्रभावी लिथियम बैटरी की आवश्यकता के आधार पर, हम OEM (original equipment manufacturer) के वाहनों के लिए बैटरी बनाते और सर्विस करते हैं."

वे आगे बताते हैं, "हम अलग-अलग 2व्हीलर और 3व्हीलर OEM खिलाड़ियों को विशेष रूप से निर्मित बैटरियां मुहैया करते हैं. हमारी बैटरियों में स्मार्ट बीएमएस है जो राइडर को पहले से ही अलर्ट कर देता है और बैटरी स्वैपिंग के लिए भी स्मार्ट तकनीक प्रदान करता है. हमारे पास एक मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और बिक्री के बाद सर्विस के लिए भी पूरे भारत में नेटवर्क है. वर्तमान में हम प्रति दिन प्रति शिफ्ट 500 बैटरी पैक का बना रहे हैं. हमारे पास एक इन-हाउस R&D टीम है जो बैटरियों की सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने पर लगातार काम कर रही है. बैटरियों के निर्माण के लिए हमारे पास इन-हाउस डिज़ाइन और इंजीनियरिंग टीम है."

चुनौतियां

इस बिज़नेस को खड़ा करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इसके जवाब में विकास ने बताया, "अब तक हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती तकनीकी ज्ञान की कमी है जो ग्राहकों और हमारे सप्लाई चेन पार्टनर्स की ओर से व्यवसाय के विकास और जागरूकता को बाधित करती है. उन्हें लगातार इस बात से अवगत कराने की जरूरत है कि बिजनेस वर्टिकल और बड़े पैमाने पर प्रोडक्ट को कैसे ऑपरेट किया जाए. लेकिन यह वह चुनौती है जिसका सामना किसी भी नए खिलाड़ी को करना पड़ता है. जागरूकता और ज्ञान के बीच का अंतर समय के साथ भर जाएगा. हम AIS 156 मापदंडों का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सरकार के बहुत आभारी हैं जिससे हमें सुरक्षित और अधिक कुशल बैटरी बनाने में मदद मिली."

स्टार्टअप अभी तक पूरी तरह बूटस्ट्रैप्ड है. विकास कहते हैं, "अगले साल कहीं बड़ी फंडिंग जुटाने की योजना बना सकते हैं."

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USP

Ipower Batteries की USP के बारे में बताते हुए, विकास कहते हैं, "हमारे सभी प्रोडक्ट्स की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे हमारे OEM पार्टनर्स की जरुरत के हिसाब से तैयार किए जाते हैं और उन्हें अपनाने को सहज बनाने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है; यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैटरियां सुरक्षित हैं और पैन इंडिया सर्विस नेटवर्क द्वारा समर्थित भारतीय जलवायु परिस्थितियों के अनुसार हैं, सरकार द्वारा तैयार किए गए सभी परीक्षण पास करने के बाद."

भविष्य की योजनाएं

विकास कहते हैं, "अगले साल तक हम अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य रख रहे हैं. बैटरी निर्माण के अलावा, हमने देश भर में बैटरी सर्विस सेंटर खोलना करना भी शुरू कर दिया है. ये सर्विस सेंटर हमारी बैटरी के उपयोगकर्ताओं को ऑन-ग्राउंड सहायता प्रदान कर रहे हैं."

रेवेन्यू के आंकड़ों का खुलासा करते हुए, विकास ने बताया, "हमने वित्त वर्ष 2022-2023 में 150 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया है.

और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 250 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है."

विकास बताते हैं, "हमारे पास 100 से अधिक 2व्हीलर और 3व्हीलर निर्माता हैं जो अपने प्रोडक्ट्स के लिए हमारी बैटरियों का उपयोग कर रहे हैं. इनमें से कुछ हैं Deltic, Lohia, Quantum, Gravaton, Sheema Electric, Jitendra EV आदि."

वे आगे कहते हैं, "रगप्रो को लॉन्च करने और अपने प्रोडक्ट के लिए बाजार से शानदार प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद हम अपने चल रहे अनुसंधान एवं विकास कार्य में भी उतना ही समय देना चाहते हैं. जैसा कि हमारा मानना है कि इस बाज़ार की क्षमता असीमित है और इसका उचित रूप से दोहन करने की आवश्यकता है. शीघ्र ही हम देशभर में अपने सर्विस नेटवर्क को मजबूत करने के अलावा और अधिक इनोवेटिव प्रोडक्ट्स को विकसित करने की दिशा में अधिक समय देना चाहते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी के लिए ईवी को अपनाना आसान हो जाए, चाहे वह ग्राहक हो या हमारे पार्टनर."

Ipower Batteries के फाउंडर विकास अग्रवाल अंत में कहते हैं, "हम लगातार इस बात पर भी नज़र रख रहे हैं कि बाज़ार कैसे बढ़ रहा है और बाज़ार क्या समाधान तलाश रहा है ताकि हम उसे डिलीवर कर सकें. ई-मोबिलिटी सेक्टर के लिए बैटरियों के अलावा, आवासीय और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए स्टैंड-अलोन एनर्जी स्टोरेज पर भी हम काम कर रहे हैं. हमारे स्टार्टअप के 5 साल और हम कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने, इंडियन वर्कफोर्स को शिफ्ट करने और मेक इन इंडिया में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए आश्वस्त हैं."

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