क्या गोल्ड अपनी अधिकतम ऊंचाई पर है? आगे गिरावट आएगी या फिर कीमतों में उछाल आएगा
2023 में सोना ने अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजारों और एमसीएक्स में क्रमश: लगभग 12.5 प्रतिशत और 12 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
2022 में हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड या सोने की कीमतें सपाट रही थीं, लेकिन रुपये के कमजोर होने की वजह से भारतीय बाजारों में इसने लगभग 14.5 प्रतिशत का रिटर्न दिया.
2023 में सोना ने अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजारों और एमसीएक्स में क्रमश: लगभग 12.5 प्रतिशत और 12 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
सोने की मजबूत कीमतों का कारण कई व्यापक घटनाएं रहीं, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों के कारण मंदी की प्रतिकूल परिस्थितियां और इसकी वजह से उत्पन्न होने वाला बैंकिंग संकट, यूरोप में बढ़ती ब्याज दरें और वैश्विक अर्थव्यवस्था का मंदी की गिरफ्त में आना शामिल है.
अमेरिका में बैंकिंग संकट गोल्ड निवेशकों के पक्ष में है
महंगाई के दबाव को कम करने के लिए, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 2022 के दौरान आक्रामक सख्ती की है और 2023 में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है. फेडरल रिजर्व ने पिछले एक साल से कुछ ही अधिक समय में (2-3 मई 2023 को आयोजित अपनी बैठक में) 10वीं ब्याज दर वृद्धि को अनुमति दी, जो यह संकेत देता है कि अब ब्याज दरों में सख्ती का चक्र समाप्त होने जा रहा है. इस निर्णय की उम्मीद थी, जो फेड फंड दर को 5% -5.25% की लक्षित सीमा तक ले जाता है. फेड का यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया. बैठक के बाद के बयान में केंद्रीय बैंक की मार्च की टिप्पणियों में मौजूद एक वाक्य को यह कहते हुए छोड़ दिया गया कि फेड के 2% महंगाई लक्ष्य को हासिल करने के लिए "समिति कुछ अतिरिक्त नीति निर्धारण फैसले ले सकती है."
इंस्टीट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट गेज के अनुसार, पिछले छह महीनों से मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट की स्थिति है. हालांकि, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 26.5 ट्रिलियन डॉलर की हिस्सेदारी रखने वाले सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था के विस्तार का संकेत दे रहा है. श्रम बाजार भी लचीला बना हुआ है. पेरोल प्रोसेसिंग फर्म एडीपी ने बुधवार को बताया कि अप्रैल में निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा भर्ती में 296,000 की वृद्धि हुई, जो अर्थशास्त्रियों की अपेक्षाओं से काफी आगे है.
हालांकि, फेड कब तक उच्च स्तर पर दरों को बनाए रखेगा, इसके बारे में कहना अनिश्चित है. इसलिए 2023 में सुरक्षित-संपत्ति विशेष रूप से सोने में वैश्विक निवेशकों की रुचि काफी बढ़ गई है. इसके अलावा, अमेरिका में बैंकिंग संकट (सिलिकॉन वैली बैंक, सिग्नेचर बैंक और क्रेडिट सुइस का पतन और बैंकिंग दिग्गज जेपी मॉर्गन द्वारा हाल ही में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के अधिग्रहण) ने हाल के हफ्तों में सुरक्षित ठिकानों में निवेशकों की रुचि पैदा की है. सोना एक ऐसा ही परिसंपत्ति वर्ग है जिसे एक सुरक्षित निवेश ठिकाने के रूप में देखा गया है, जहां वित्तीय प्रणाली में मुश्किल होने पर पैसा तेजी से आता है.
क्या डी-डॉलराइजेशन हकीकत है?
डॉलर की दिशा जिंसों या वस्तुओं की दिशा को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 28 मार्च 2023 तक डॉलर इंडेक्स में 2 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि सोने की कीमतों में 12.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसकी तुलना में 2022 में डॉलर इंडेक्स 8 फीसदी चढ़ा है और सोने का रिटर्न सपाट रहा. डॉलर की दिशा यूएस फेड द्वारा और अधिक ब्याज दरों में बढ़ोतरी के रुख और अन्य आर्थिक डेटा सेटों से तय होगी, जो 2023 में डॉलर इंडेक्स के आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वैश्विक संदर्भ निर्धारित करने वाली नई थीम है डी-डॉलराइजेशन, जिसमें देशों ने व्यापार के माध्यम के रूप में डॉलर का उपयोग करने के बजाय अपनी मुद्रा में व्यापार करने का फैसला लिया है. 2023 में यह थीम कैसा रहेगा, यह निश्चित रूप से तय करेगा कि साल के शेष आधे हिस्से में डॉलर इंडेक्स बढ़ता है या गिरता है.
2023 में सोने की कीमत- क्या गिरावट से और बढ़ेगी?
अभूतपूर्व मौद्रिक सख्ती ने अमेरिका में मजबूत अर्थव्यवस्था को प्रभावित नहीं किया है और मांग पर अंकुश लगाने और महंगाई के दबावों को नियंत्रित करने के लिए और अधिक सख्ती की जरूरत है. भविष्य के लिए अमेरिकी डॉलर की मजबूती और कमजोरी सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट रूप से परिभाषित करेगा कि 2023 के शेष महीनों में सोने की कीमतें कैसे बढ़ेंगी.
उच्च भू-राजनीतिक जोखिम, विकसित बाजारों में आर्थिक मंदी, रिकॉर्ड ऊंचाई पर ब्याज दरें और अमेरिकी डॉलर में संभावित कमजोरी, बैंक संकट के कारण इक्विटी वैल्यूएशन के लिए जोखिम और अंत में केंद्रीय बैंकों के सोने की खरीद सुनिश्चित करेगा कि सोना 2023 में कैसा प्रदर्शन करेगा.
चूंकि, 2023 में सोने की कीमतें काफी तेजी से बढ़ी हैं, इसलिए यह देखा जाना बाकी है कि बढ़ते बाजार में निवेशक लंबी अवधि के लिए सोना कैसे जमा करते हैं. भारत में, सोने की कीमतें लगभग 61500/10 ग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, जो संभवत: भौतिक मांग पर असर डालेगा, जबकि कीमतों में सुधार होने पर सोने के निवेशक अपनी खरीदारी रोक देंगे. यह कहना सुरक्षित होगा, कि सोने की कीमतें भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा महंगी हो गई है और भारतीय निवेशकों के लिए इसे जमा करने का सबसे अच्छा सौदा मूल्य लगभग 56000-58000/10 ग्राम होगा.
2023 में, हम भारतीय बाजारों में सोने की कीमतों को और ऊपर जाते हुए देख रहे हैं और जल्द ही यह 64000/10 ग्राम के स्तर को छू सकता है. निवेशकों को हमारी सलाह है कि गिरावट पर सोना जमा करें और लंबी अवधि के लिए अपने पोर्टफोलियो में इसे बनाएं रखें.
Edited by रविकांत पारीक