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अपनी मेहनत और प्रतिभा से कांगड़ा की दिव्यांग बेटी प्रियंका बनीं सिविल जज

अपनी मेहनत और प्रतिभा से कांगड़ा की दिव्यांग बेटी प्रियंका बनीं सिविल जज

Wednesday December 11, 2019 , 3 min Read

एलएलएम फर्स्ट डिवीजन, यूजीसी नेट भी उत्तीर्ण कर पीएचडी कर रहीं कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) के गांव वडाला की दिव्यांग बेटी प्रियंका ठाकुर अब सिविल जज बन चुकी हैं। वह बताती हैं कि उन्होंने कभी भी दूसरों की नेगेटिव थिंकिंग को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। आखिरकार उन्हें अपनी मेहनत में कामयाबी मिली। 

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कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) के गांव वडाला की दिव्यांग प्रियंका ठाकुर ने सिविल जज बनकर यह साबित कर दिया है कि अपनी प्रतिभा और मेहनत से लड़कियां अब बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल कर समाज के लिए मिसाल बन सकती हैं। हिमाचल विश्वविद्यालय से कानून में पीएचडी कर रहीं प्रियंका ठाकुर का हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा के लिए चयन हुआ है। उन्हे इस कठिन एग्जाम में टॉप टेन में स्थान हमिला है। इससे पहले वह हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र से एलएलबी करने के बाद वहीं से एलएलएम परीक्षा में भी फर्स्ट डिवीजन पास कर इस समय पीएचडी कर रही हैं।


साथ ही, प्रियंका यूजीसी नेट भी पास कर चुकी हैं। प्रियंका ठाकुर कहती हैं कि कभी भी दूसरों की नेगेटिव थिंकिंग को उन्होंने अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और आखिरकार उन्हे अपनी मेहनत में कामयाबी मिली। प्रियंका ठाकुर के पिता सुरजीत सिंह बीएसएफ में इंस्पेक्टर पद से रिटायर हुए हैं। मां सृष्टा देवी गृहिणी हैं। 


हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की इस चुनौतीपूर्ण परीक्षा की इस टॉप टेन लिस्ट में शामिल छह अन्य प्रतिभाएं दिव्या शर्मा, अनुलेखा तंवर, मेघा शर्मा, रितु सिन्हा, श्रुति बंसल और प्रियंका देवी भी अब सिविल जज बन गई हैं। प्रियंका ठाकुर कहती हैं, 'यदि दृढ़ निश्चय हो तो एक न एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है। आज सिर्फ उनके परिवार में ही नहीं, बल्कि उनके पूरे वडाला गांव में खुशी का माहौल है।




अक्सर बेटियों और दिव्यांगों को कमजोर मानकर उनकी उपेक्षा कर दी जाती है लेकिन यदि उन्हें परिवार, समाज और शिक्षकों से सहयोग मिले तो बेटियां किसी भी मुकाम तक पहुंच सकती हैं।' उमंग फाउंडेशन से जुड़ीं 54 फीसदी दिव्यांग प्रियंका ठाकुर अपनी कठिन परिश्रम और अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता से मिले सहयोग के अलावा विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और परिसर में विकलांग विद्यार्थियों के अधिकारों के बारे में आ रही जागरूकता को देती हैं।


कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने प्रियंका को बधाई देते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय कार्यकारिणी परिषद ईसी के सदस्य और विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो. अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि शारीरिक रूप से दिव्यांग प्रियंका ने अपने हौसले, मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है। जहां उन्होंने अपने मां बाप का नाम रोशन किया है, वहीं दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी हैं।


इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि आज की हेडलाइन क्या हैं तो उनका जवाब था- हैदराबाद का रेपिस्ट एनकाउंटर। जब उनसे एग्जामनर्स ने पूछा कि क्या आप हैदराबाद के रेपिस्ट एनकाउंटर को सही मानती हैं, उनका जवाब था- कानून अवहेलना नहीं, उसका सम्मान होना चाहिए। प्रियंका कहती हैं, उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती उनका शारीरिक रूप से दिव्यांग होना था। लोग कहते थे, वह कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने खुद ही अपने आप को संभाला। पढ़ाई जारी रखी और अपनी इस कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया।