कॉरपोरेट वर्ल्ड की नौकरी छोड़ इस तरह करोड़पति बनीं दिल्ली की 'मोमोज वाली मैडम'
"दिल्ली में 'मोमोज वाली मैडम' के नाम से मशहूर यूनिटा फूड्स की डायरेक्टर पूजा महाजन के मोमोज देशभर में सप्लाई हो रहे हैं। उनकी फ्रैक्ट्री में 10 से 12 लाख मोमोज बनाए जाते हैं। वह वेज-नॉन वेज मोमोज, स्प्रिंग रोल्स, समोसा, इडली, बटाटा वड़ा भी बना रही हैं। पूजा अपने घर की पहली सफल महिला उद्यमी हैं।"
देखते ही देखते अरबों की कंपनी बन चुकी ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग और डिलिवरी सेवा कंपनी स्विगी के राहुल जैमिनी, श्रीहर्ष और नंदन रेड्डी की तो खैर बात ही छोड़ दीजिए, फूड मार्केट में नए-नए स्टार्टअप आए दिन कदम रखते ही कारोबार की ऊंची उड़ान भरने लग रहे हैं। अपने बूते करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर चुकी दिल्ली की पूजा महाजन 'मोमोज वाली मैडम' के नाम से मशहूर हो चुकी हैं। यूनिटा फूड्स की डायरेक्टर और यम यम डिमसम्स नाम से उनके मोमोज देशभर में सप्लाई हो रहे हैं। एक माह में उनकी फैक्ट्री बारह लाख मोमोज बना देती है।
पूजा पढ़ाई पूरी करने के बाद 1998 में 'कॉरपोरेट वर्ल्ड' में जॉब करने लगी थीं। तभी उन्होंने खुद का बिजनेस करना संकल्प लिया। वर्ष 2004 में वह नौकरी छोड़कर गुड़गांव के डीएलएफ मॉल में बॉम्बे चौपाटी नाम से रेस्त्रां चलाने लगीं। उसी दौरान उन्होंने बॉम्बे के ट्रॉली बिजनेस 'सिड फ्रैंकी' में कुछ पैसा लगा दिया। बिजनेस चल निकला तो उन्होंने मोमोज ट्रॉली शुरू कर दी।
पूजा ने वर्ष 2008 में सरकार से लोन लेकर दिल्ली के घिटोरनी में ताइवान से इंपोर्ट मशीन लेकर खुद की मोमोज फ्रैक्ट्री लगा दी। कोल्ड रूम लगवाकर प्लांट में रोजाना हजारों मोमोज बनने लगे। देश भर के सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्सेस, होटल, बैक्विंट, केटरर्स, रेस्त्रां, कॉफी चेन में उनकी फैक्ट्री के मोमोज सप्लाई होने लगे।
इस समय पूजा का कारोबार करोड़ों में हो रहा है। महीने भर में उनकी फ्रैक्ट्री में 10 से 12 लाख मोमोज बनाए जाते हैं। उनकी फैक्ट्री में वेज-नॉन वेज मोमोज, स्प्रिंग रोल्स, समोसा, इडली और बटाटा वड़ा भी बनता है। पूजा कहती हैं कि निजी कारोबार के हिसाब अभी उनके पास लॉजिस्टिक सपोर्ट नहीं है। वह धीरे-धीरे, लेकिन पूरी सफलता के साथ अपने उद्यम को विकसित करती जा रही हैं।
पूजा बताती हैं कि वह नौकरी पेशा कमाते-खाते परिवार से पहली ऐसी महिला रही हैं, जिसने बिजनेस में कदम रखा है। उनके माता-पिता पेशे से शिक्षक हैं। पढ़ाई के बाद वह भी कई बड़ी कंपनियों से जुड़ीं लेकिन जॉब में मन नहीं लगा। उन्होंने गुड़गांव में जब मोमोज की ट्रॉली शुरू की तो मोमोज की सप्लाई करना भी उन्हे नहीं आता था। उस समय घिटोरनी में अपना काम शुरू किया तो मोमोज कारोबार में कोई व्यवस्थित कारोबारी नहीं था।
शुरूआती दिनों में पूजा को कई तरह की कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कोई उन्हें गाइड करने वाला नहीं था, लेकिन आज की तारीख में उनकी टीम में दो दर्जन से अधिक लोग जुड़े हैं। एक पार्टी तीन से चार लाख मोमोज ले लेती है।