कार के बेकार पुर्जों से बेहद खूबसूरत फर्नीचर बनाते हैं हिमांशु, ऑटोमोबाइल कचरे को कम करने में कुछ इस तरह कर रहे हैं मदद
"कार्टिस्ट के संस्थापक हिमांशु जांगिड़ अब ऑटो आर्ट ईकोसिस्टम बनाना चाहते हैं जिसके जरिये कारों से निकालने वाले कचरे या बेकार पार्ट्स को डम्प करने के बजाय उनका इस्तेमाल किसी कलाकृति के निर्माण में किया जा सके।"
जयपुर के ये कलाकार आज ऑटोमोबाइल स्क्रैप से खूबसूरत फर्नीचर का निर्माण कर रहे हैं, जिसे सोशल मीडिया पर खूब सराहा जा रहा है। खूबसूरत फर्नीचर का निर्माण करने के लिए ये कारों से निकले हुए कबाड़ और पुराने पार्ट्स का इस्तेमाल करते हैं।
कार्टिस्ट के संस्थापक हिमांशु जांगिड़ अब ऑटो आर्ट ईकोसिस्टम बनाना चाहते हैं जिसके जरिये कारों से निकालने वाले कचरे या बेकार पार्ट्स को डम्प करने के बजाय उनका इस्तेमाल किसी कलाकृति के निर्माण में किया जा सके। संस्थापक हिमांशु के अनुसार इस प्रयास के पीछे उनके प्रमुख उद्देश्य क्लाइमेट चेंज को लेकर सकारात्मक पहल करना भी है।
इनोवेशन के साथ अवेयरनेस
हिमांशु का कहना है कि अब तक इस तरह के आइडिया पर काम नहीं हुआ है, ऐसे में यह एक इनोवेटिव तरीका है जिसके जरिये कारों से निकलने वाले कबाड़ की मात्रा में कमी लायी जा सकेगी। हिमांशु आज इसके लिए लोगों और कॉर्पोरेट्स से कार ले रहे हैं और फिर उन कार के पुर्जों से फर्नीचर तैयार कर रहे हैं।
इसके तरीके पीछे हिमांशु का तर्क है कि जब लोग अपनी पुरानी कार उनके पास लाते हैं और फिर वे उसके हिस्सों से बने फर्नीचर को अपने साथ लेकर जाते हैं तो ऐसे में वे उस कार से जुड़ी यादों को भी अपने साथ ले जा रहे होते हैं जो लंबे समय तक उनके साथ रहने वाली हैं।
आज अपने इन प्रयासों के साथ हिमांशु लोगों के बीच क्लाइमेट चेंज और रिसाइकलिंग को लेकर जागरूकता फैलाने का भी काम कर रहे हैं। हिमांशु के अनुसार जो भी कार उनके पास आती है वे उस कार के 90 प्रतिशत हिस्सों को फर्नीचर में बदल देते हैं, जिन्हें बाद में गोल्ड प्लेटेड भी किया जाता है।
अब तक कार्टिस्ट 10 हज़ार किलो से अधिक ऑटोपार्ट्स को रिसाइकल कर उन्हें खूबसूरत फर्नीचर की शक्ल दे चुका है, जिसमें टेबल, कुर्सी और अन्य आइटम भी शामिल है।
पुराने कारीगरों को दिया काम
मीडिया से बात करते हुए हिमांशु ने बताया है कि जयपुर की एक काफी पुरानी क्राफ्ट है, जिसे गोल्ड लीफिंग कहा जाता है। इसका इस्तेमाल पुराने महलों को तैयार करने में किया जाता था और इसके कुछ कारीगर आज भी जयपुर में मौजूद हैं हालांकि बदलते समय के साथ अब उन कारीगरों के लिए काम मिलना काफी मुश्किल सा हो गया है।
हिमांशु के अनुसार पहले उन्होने पुरानी गाड़ियों के बेकार हो चुके सामान से फर्नीचर का निर्माण किया और उसके बाद उन्होने उन कारीगरों को बुलाकर इसमें गोल्ड लीफिंग का काम करवाया है। इस सामान को अब डिस्प्ले के लिए रखा गया है।
इस अपने इस काम के जरिये पीएम मोदी के अभियान ‘वेस्ट टू वेल्थ’ का भी समर्थन कर रहे हैं। उनके अनुसार अब यह सभी की ज़िम्मेदारी भी है कि वे आगे आयें और क्लाइमेट चेंज जैसी गंभीर समस्याओं से निपटने में अपना योगदान दें।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने हाल ही में व्हीलकल स्क्रैप पॉलिसी जारी की है, जिसका उद्देश्य देश भर में कबाड़ हो चुके और प्रदूषण फैला रहे वाहनों की संख्या में कमी लाना है। हिमांशु के अनुसार इस नई पॉलिसी के बाद उन्हें अपने काम में काफी सहूलियत मिलने के आसार हैं।
Edited by Ranjana Tripathi